इस्लामाबाद। भारत का पड़ोसी मुल्क अब गृहयुद्ध की ओर बढ़ रहा है। दरअसल, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पीटीआई के नेता इमरान खान को सेना के इशारे पर गिरफ्तार कर लिया गया है। इमरान खान को आज से 5 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेजा जा सकता है। इमरान की गिरफ्तारी के बाद पाकिस्तान में गृहयुद्ध जैसे हालात हैं। लाखों की तादाद में पीटीआई समर्थकों ने सेना के मुख्यालय से लेकर एयरबेस तक को निशाना बनाया है और आगजनी की है। पाकिस्तानी सेना के जवाबी ऐक्शन में कई इमरान समर्थक हताहत भी हुए हैं। सेना और पीटीआई समर्थकों में देशभर में यह झड़प जारी है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के साथ एक बैठक करने वाले हैं। इस बैठक में इमरान खान का भविष्य तय हो सकता है।
इस बीच विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तान के लिए अगले 48 घंटे बेहद अहम हैं और पाकिस्तानी सेना के पास मार्शल लॉ से लेकर पीटीआई पर बैन समेत कई विकल्प मौजूद हैं। पाकिस्तानी मामलों के विशेषज्ञ एफजे का कहना है कि पाकिस्तान के लिए अगले 48 से 72 घंटे बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। पाकिस्तान में कई विकल्प अभी मौजूद हैं जो आने वाले समय में हो सकते हैं। इसमें से एक विकल्प पाकिस्तान में इमरान खान की पार्टी को आतंकवादी पार्टी घोषित करना शामिल है। इसकी संभावना भी ज्यादा है क्योंकि पाकिस्तान में जारी हिंसा के बीच सेना की ओर से प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की गई है।
एफजे ने कहा कि यह सेना की इमरान खान समर्थकों को फंसाने की चाल हो सकती है, जिसमें वे फंस गए हैं। उन्होंने कहा कि एक और विकल्प यह हो सकता है कि सरकार सेना को मदद के लिए बुलाए और पूरे देश में आपातकाल का ऐलान कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि हालांकि सेना की ओर से मार्शल लॉ की घोषणा करना आखिरी विकल्प हो सकता है। इस विकल्प पर अभी विचार नहीं किया जा रहा है। एफजे ने लोगों को सलाह दी कि वे जरूरी सामान खरीद लें और आने वाले दिनों में संकट रहेगा।
पाकिस्तानी सेना खुद बनी पक्ष
वहीं अफगानिस्तान के पूर्व गृहमंत्री और पाकिस्तानी सेना पर करीबी नजर रखने वाले अमरुल्ला सालेह कहना है कि पाकिस्तानी सेना के पास दो विकल्प हैं। पहला वह हस्तक्षेप करे और विवाद को खत्म कराए। सालेह ने कहा कि इस विकल्प में दिक्कत है कि पाकिस्तानी सेना खुद ही इस संकट में एक पक्ष बन गई है। जनरल असीम मुनीर इमरान खान समर्थकों के निशाने पर हैं। उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले में अगर विदेश हस्तक्षेप होता है तो इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी संस्थानों के पास इस संकट का समाधान करने के लिए विश्वसनीयता और संसाधनों का संकट है।