कई जिलों में सुबह से हो रही बारिश, ज्यादातर
इलाकों में बादलों की गरज-चमक बरकरार
रायपुर। मौसम ने छत्तीसगढ़ में एक बार फिर करवट बदली है। शनिवार 18 मार्च को राजधानी रायपुर समेत प्रदेश के कई जिलों में सुबह से ही बादल छाए हुए हैं। जमकर ठंड़ी हवाएं चल रही हैं। रायपुर में दोपहर 12 बजे से हल्की बूंदाबांदी हो रही हैं। दुर्ग में वहीं तेज अधड़ के साथ बादल गरज-चमक रहे हैं। इस वजह से लोगों की दिनचर्या भी प्रभावित हुई है।
राजधानी रायपुर और पड़ोसी जिले दुर्ग सहित प्रदेश के कई जिलों में हल्की से भारी बारिश हो रही है। मौसम विभाग के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में समुंद्र से आ रही नमी के कारण राजधानी समेत बस्तर के कई हिस्सों में गरज-चमक के साथ बारिश हो रही है। रायपुर समेत मैदानी क्षेत्रों में शनिवार को गरज-चमक के साथ बौछारें पड़ने की संभावना है।
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रायपुर में दिन का तापमान 35 और रात में पारा 33 डिग्री के आसपास रहने की संभावना है। बारिश बादलों से अधिकांश स्थानों पर दिन में गर्मी और रात ठंडी रही। रायपुर में अधिकतम तापमान 5 डिग्री रहा जो सामान्य से दो डिग्री सेल्सियस कम था। अंबिकापुर, बिलासपुर, पेंड्रा रोड, दुर्ग में पारा 30 डिग्री के बीच रहा। बारिश के कारण जगदलपुर में दोपहर तक का तापमान 24 डिग्री सेल्सियस रहा है।
ओले गिरने की संभावना
बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में दक्षिण -पश्चिम राजस्थान और पूर्वोत्तर राजस्थान निचले स्तर पर दो चक्रवात बने हुए हैं। दक्षिण की एक द्रोणिका की वजह से मौसम बदला हुआ है और बादल लगातार गरज रहे हैं। शुक्रवार को भी इसी वजह से बारिश हुई थी। वहीं शनिवार को भी कई जगह गरज-चमक के साथ बौछारें और ओले गिरने की संभावना है। बस्तर के सुकमा में पिछले 24 घंटे में 50-50 मिलीमीटर बारिश हुई है। बीजापुर में 30 30 और भोपालपट्टनम में 20 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। इसके अलावा बिलासपुर, पेंड्रा रोड और जगदलपुर में भी हल्की बारिश हुई।
तेज आंधी और वज्रपात की संभावना
मौसम विभाग के अनुसार, बारिश के साथ तेज अंधड़ और गरज-चमक हो सकता है। अगले 24 घंटे के दौरान प्रदेश के पेंड्रा रोड, बिलासपुर, मुंगेली, कोरबा, सूरजपुर, बलरामपुर, सरगुजा और उसके लगे हुए जिलों में एक-दो स्थानों पर तेज आंधी चलने और वज्रपात होने की भी संभावना है। वहीं छत्तीसगढ़ के कबीरधाम, राजनांदगांव, सुकमा, कांकेर, बीजापुर और उससे लगे हुए जिलों में एक-दो स्थानों पर गरज चमक के साथ ओलावृष्टि पड़ सकती है।
येलो अलर्ट के बीच पेंड्रा में ‘महुआ’ को हुआ
नुकसान, 3 दिन मौसम में उतार-चढ़ाव रहेगा जारी
जिले में येलो अलर्ट के बीच पिछले तीन-चार दिनों से मौसम के बदले मिजाज ने जहां एक और चिलचिलाती गर्मी और धूप से राहत दिलाई है तो वहीं फसलों के लिए आफत की साबित हो रही है। सब्जी की खेती के साथ-साथ महुआ के संग्रह को इससे काफी नुकसान हो रहा है। मौसम विभाग अनुमान है कि 20 मार्च तक मौसम ऐसा ही बना रहेगा।
पश्चिमी विक्षोभ की वजह से बदले मौसम के मिजाज के अलग-अलग प्रभाव देखने को मिल रहे हैं। एक तरफ जहां मार्च के महीने में पढ़ रही चिलचिलाती धूप एवं गर्मी से निजात मिली है। तो वहीं लगातार चले तूफान ने सब्जी उत्पादकों को भारी नुकसान पहुंचाया है। गर्मी के मौसम में जहां तापमान 35 डिग्री पहुंच गया था। वहीं अब तेज हवाओं के साथ गरज एवं चमक के साथ हुई बारिश से तापमान में लगभग पांच डिग्री की गिरावट ला दी है।
न्यूनतम तापमान भी गिरा
प्रदेश में न्यूनतम तापमान में भी तीन डिग्री की गिरावट दर्ज की गई है। मौसम विभाग में 17 मार्च से 20 मार्च तक की वार्निंग जारी की थी। जिसमें ऑरेंज और येलो अलर्ट भी जारी किया गया था। वहीं, 8 जिले में येलो अलर्ट जारी किया गया है कल एक दिन में ही 33 मिलीमीटर बारिश मौसम विभाग ने दर्ज की है। कल दोपहर बाद बदला मौसम देर रात तक जारी रहा दोपहर बाद से शुरू हुई बारिश देर रात तक रुक-रुक कर होती रही। इसके साथ ही इस दौरान लगातार तेज हवाओं के साथ गरज एवं चमक दिखाई दी।
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बदले मौसम का असर महुआ संग्रह को पर बड़े पैमाने पर देखा जा रहा है। बारिश एवं तूफान की वजह से महुआ की फसल को खासा नुकसान हुआ है। किसान सुन्ना सिंह और साहस राम का कहना है कि लगभग 15 दिनों तक गिरने वाला महुआ की फसल अब बमुश्किल एक-दो दिन ही और गिरेगी। बता दें कि, फसल संग्रह कर आदिवासी अपने साल भर के नमक तेल के साथ जरूरी खर्च के लिए पैसा जुटा लेते हैं। जिससे हुआ नुकसान आदिवासी वर्ग के लिए बड़ा नुकसान है। वहीं, सब्जी उत्पादकों के लिए भी यह मौसम नुकसान भरा रहा है।
हालांकि ओले नहीं गिरने से सब्जियों को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है लेकिन, लगातार चले तूफान ने टमाटर एवं सब्जी उत्पादकों को काफी नुकसान पहुंचाया है। वहीं, मिट्टी का कच्चा काम करने वाले कुम्हार भी बारिश एवं तूफान से परेशान हैं। बेमौसम हुई बरसात में ईट एवं खबर बनाने वाले कुम्हारों को काफी नुकसान पहुंचाया है। कुम्हारों का कहना है कि अब तक भट्ठे में लगकर ईंट पका नहीं था जो खराब हो गया है। इस नुकसान की भरपाई शासन स्तर से भी नहीं होगी।