समय बीतने के साथ ही मुख्यमंत्री विष्णुदेव से अब बोल्ड फैसले की तरफ बढ़ रहे है। कैबिनेट की पहली ही बैठक में जहां उन्होंने 18 लाख प्रधानमंत्री आवाज़ को स्वीकृति दे दी तो दूसरे फैसले में लूप लाइन में चल रहे लो प्रोफ़ाइल आईएएस पी. दयानन्द को अपना प्रमुख सचिव नियुक्त कर दिया। वही अब उनकी नजर प्रदेश के पुलिस महकमें की तरफ घूम गई है। इसकी बानगी कल जारी हुए आदेश को देखने को मिली। यह फैसला पुलिसिंग को लेकर पिछली सरकार में किया गया था। जबकि यह फैसला सीधे तौर पर मौजूदा मुख्यमंत्री के गृह जिले यानी जशपुर को प्रभावित कर रहा था।
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दरअसल हम बात कर रहे है रायगढ़ के तौर पर बनाये गए नए पुलिस रेंज रायगढ़ और इसमें शामिल किये गए जिलों की। इसी साल के जुलाई में पुलिस विभाग के नक़्शे में बड़ा फेरबदल हुआ था। तत्कालीन भूपेश बघेल की सरकार ने पुलिस रेंज की संख्या बढ़ाते हुए इन्हे आठ कर दिया था। सरकार की तरफ से तीन नए रेंज का सृजन किया गया था इनमें राजनांदगांव, रायपुर ग्रामीण और तीसरा रायगढ़ था। इन रेंज के परिसीमन के साथ ही सरकार ने यहां फौरन नए अफसरों की नियुक्तियों को हरी झंडी दे दी थी। बताया गया था कि रायगढ़ उपरेंज बिलासपुर रेंज के अधीन रहेगा।
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गृह विभाग ने परिसीमन के बाद डेपुटेशन से लौटे आईपीएस अंकित गर्ग को सरगुजा रेंज का आईजी बनाया गया था जबकि बद्रीनारायण मीणा को दुर्ग रेंज में बतौर आईजी तैनात किया गया था। इसी तरह पीचक्यू में तैनात राहुल भगत को नए रेंज राजनांदगांव का आईजी का प्रभार सौंपा था। इसके अलावा आनंद छाबड़ा को बिलासपुर रेंज का आईजी नियुक्त किया गया था। जबकि सरगुजा के प्रभारी रहे आईजी राम गोपाल गर्ग को नए रेंज रायगढ़ का आईजी बनाया गया था।
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