AI : फिनटेक क्षेत्र की लोकप्रिय कंपनी Klarna, ने इंसानों के बदले AI को काम पर लगाने जैसा बड़ा फैसला लिया है। कंपनी के CEO सेबेस्टियन सिएमियातकोव्स्की ने दावा किया है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) अब उन ज्यादातर कामों को संभाल सकता है, जिन्हें पहले इंसान करते थे।
भर्ती प्रक्रिया पर रोक
सिएमियातकोव्स्की ने खुलासा किया कि Klarna ने पिछले एक साल से नई भर्तियां बंद कर दी हैं। कंपनी के कर्मचारियों की संख्या पहले 4,500 थी, जो अब 3,500 रह गई है। CEO का कहना है कि टेक कंपनियों में हर साल 20% कर्मचारियों का स्वभाविक रूप से इस्तीफा देना आम बात है। इसके चलते Klarna ने रिक्त पदों को भरने के बजाय अपने कार्यबल को स्वभाविक रूप से कम होने दिया।
उन्होंने कहा, “हर टेक कंपनी में एक स्वाभाविक कर्मचारी घटाव होता है। लोग औसतन पांच साल तक काम करते हैं, जिसके बाद 20% कर्मचारी हर साल छोड़ देते हैं। नई भर्तियां न करके, हम अपने कार्यबल को स्वाभाविक रूप से घटने दे रहे हैं।”
जो बचे, उनकी सैलरी पर कोई असर नहीं
सिएमियातकोव्स्की ने यह भी कहा कि बचे हुए कर्मचारियों की सैलरी में कटौती नहीं की जाएगी। इसके बजाय, कम कर्मचारियों की वजह से बचत का फायदा मौजूदा कर्मचारियों को वेतन बढ़ाने के रूप में दिया जा सकता है।
AI का बढ़ता प्रभाव
Klarna का यह कदम वैश्विक स्तर पर उन चर्चाओं को बल देता है, जहां AI के कारण नौकरी के भविष्य पर सवाल उठाए जा रहे हैं। McKinsey & Company की 2023 की एक रिपोर्ट के अनुसार, AI के विकास के साथ, 2030 तक लाखों कर्मचारियों को नई भूमिकाओं में बदलाव करना पड़ सकता है।
Klarna की वेबसाइट पर अभी भी कुछ पदों के लिए भर्तियां जारी हैं, लेकिन कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि ये केवल आवश्यक पदों के लिए हैं, खासतौर पर इंजीनियरिंग के क्षेत्र में।
IBM ने भी जताया AI पर भरोसा
Klarna के इस फैसले से पहले, अमेरिकी टेक कंपनी IBM ने भी AI और ऑटोमेशन के प्रति अपना समर्थन दिखाया था। IBM के CEO अरविंद कृष्णा ने पिछले साल कहा था कि आने वाले पांच सालों में कई नौकरियां AI द्वारा की जा सकती हैं। उन्होंने मानव संसाधन (HR) विभाग का उदाहरण देते हुए कहा था कि इसका 30% हिस्सा AI और ऑटोमेशन द्वारा संभाला जा सकता है। उन्होंने कहा था, “आने वाले पांच सालों में HR का 30% हिस्सा AI और ऑटोमेशन द्वारा संभाल लिया जाएगा।”
भविष्य की चुनौती
Klarna का यह कदम स्पष्ट संकेत है कि AI धीरे-धीरे कार्यस्थलों को बदल रहा है। हालांकि, इससे यह सवाल उठता है कि इंसानी रोजगार पर इसका कितना गहरा असर पड़ेगा। कंपनियों की ऐसी रणनीतियां न केवल आर्थिक बचत का जरिया बन रही हैं, बल्कि काम के पारंपरिक तरीकों को भी बदल रही हैं।