Janmashtami 2023: मथुरा-वृंदावन से लेकर देश के विभिन्न राज्यों में सुबह से मंदिरों में हरे रामा- हरे कृष्णा के जयकारे गूंज रहे हैं. श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है. श्री हरि के अवतारों में यही सम्पूर्ण अवतार माने जाते हैं. जिन लोगों ने 6 सितंबर को जन्माष्टमी नहीं मनाई, वे आज यह त्योहार मनाएंगे.
Janmashtami 2023: आज देशभर में धूमधाम से जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जा रहा है. मथुरा- वृंदावन से लेकर देश के विभिन्न राज्यों में सुबह से मंदिरों में हरे रामा हरे कृष्णा के जयकारे गूंज रहे हैं. श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता हैं. श्री हरि के अवतारों में यही सम्पूर्ण अवतार माने जाते हैं. जिन लोगों ने 6 सितंबर को जन्माष्टमी नहीं मनाई, वे आज यह त्योहार मनाएंगे. आइए आपको जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि बताते हैं.
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शुभ मुहूर्त (Janmashtami 2023 Shubh muhurt)
ज्योतिषविद डॉ. अरुणेश कुमार शर्मा के अनुसार, भगवान का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि 12 बजे हुआ था. इसलिए जन्माष्टमी पर भगवान की पूजा का सबसे उत्तम मुहूर्त रात 12 बजे ही माना जाता है. 7 सितंबर की रात 12 बजते ही आप भगवान श्रीकृष्ण की विधिवत पूजा कर हैं. जन्माष्टमी के व्रत का पारण समय शुक्रवार, 8 सितंबर सुबह 6 बजकर 2 मिनट के बाद रहेगा.
जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण की कैसी मूर्ति लाएं? जन्माष्टमी पर सामान्यत: बाल कृष्ण की स्थापना की जाती है. आप अपनी मनोकामना के आधार पर जिस स्वरूप को चाहें स्थापित कर सकते हैं. प्रेम और दाम्पत्य जीवन के लिए राधा कृष्ण की मूर्ति स्थापित कर सकते हैं. संतान के लिए बाल कृष्ण की मूर्ति स्थापित कर सकते हैं. धन प्राप्ति के लिए कामधेनु गाय के साथ विराजमान श्रीकृष्ण की प्रतिमा स्थापित कर सकते हैं.