संसद में सरकार ने दिया जवाब, अब तक उठाए गए कदमों की दी जानकारी
नई दिल्ली। पूरे देश में जनजातीय लोगों का समग्र विकास holistic development of tribal people करने के लिए सरकार द्वारा ट्राइबल सब-प्लान (टीएसपी)/ शेड्यूल ट्राइब कंपोनेंट (एसटीसी)/ डेवलपमेंट एक्शन प्लान फॉर एसटी (डीएपीएसटी) का कार्यान्वयन किया जा रहा है। इसके साथ ही हाल के वर्षों में जनजातीय समुदाय के जीवन स्तर पर सुधार आया है।
जनजातीय कार्य राज्य मंत्री रेणुका सिंह सरूता Minister of State for Tribal Affairs Renuka Singh Saruta ने 25 जुलाई को लोकसभा में जानकारी देते हुए इस संबंध में आंकड़े जारी किए। उन्होंने संसद में जवाब देते हुए बताया कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा अनुसूचित जनजातियों के लिए किए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षणों (एनएफएचएस) के अनुसार, शिशु मृत्यु दर 62.1 (2005-06) से घटकर 41.6 (2019-21) हो गई है।
उन्होंने बताया कि वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर 95.7 (2005-06) से घटकर 50.3 (2019-21) हो गई है, संस्थागत प्रसव 17.7% (2005-06) से बढ़कर 82.3% (2019-21) हो गया है और 12 से 23 माह के बच्चों का टीकाकरण 31.3% (2005-06) से बढ़कर 76.8% (2019-21) हो गया है।
दशवर्षीय जनगणना, प्रबंधन सूचना प्रणाली, भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों द्वारा किए गए नमूना सर्वेक्षणों के आंकड़ों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के जीवन स्तर में बहुत सुधार हुआ है, उदाहरण के लिए, अनुसूचित जनजातियों की साक्षरता दर 2001 में 47.1% से बढ़कर 2011 में 59% हो गई है।
इसके अलावा, सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय की पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (पीएलएफएस) रिपोर्ट (जुलाई 2020 – जून 2021) के अनुसार अनुसूचित जनजातियों की साक्षरता दर बढ़कर 71.6% हो गई है।
पूर्ववर्ती योजना आयोग का अनुमान था कि ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले अनुसूचित जनजातियों का प्रतिशत 2004-05 में 62.3% से घटकर 2011-12 में 45.3% हो चुका था। इसके अलावा, शहरी क्षेत्रों में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले अनुसूचित जनजातियों का प्रतिशत 2004-05 में 35.5% से घटकर 2011-12 में 24.1% हो चुका था।
मंत्री रेणुका सिंह ने बताया कि पूरे देश में जनजातीय लोगों का समग्र विकास करने के लिए सरकार ट्राइबल सब-प्लान (टीएसपी)/ शेड्यूल ट्राइब कंपोनेंट (एसटीसी)/ डेवलपमेंट एक्शन प्लान फॉर एसटी (डीएपीएसटी) कार्यान्वित कर रही है। जनजातीय कार्य मंत्रालय के अलावा, 41 केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों के लिए जनजातीय विकास हेतु टीएसपी/एसटीसी/डीएपीएसटी निधियों के रूप में प्रतिवर्ष अपनी कुल योजना आबंटन का 4.3 से 17.5 प्रतिशत निर्धारित करना अनिवार्य किया गया है।
टीएसपी/एसटीसी/डीएपीएसटी निधियों को विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों द्वारा अपनी योजना के अंतर्गत अनुसूचित जनजातियों का त्वरित सामाजिक-आर्थिक विकास करने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, सिंचाई, सड़क, आवास, पेयजल, विद्युतीकरण, रोजगार सृजन, कौशल विकास आदि से संबंधित विभिन्न विकास परियोजनाओं में खर्च किया जाता है। नीति आयोग द्वारा अनुसूचित जनजातियों के कल्याण और विकास के लिए प्रतिबद्ध मंत्रालयों/विभागों द्वारा टीएसपी)/एसटीसी/डीएपीएसटी निधियों का प्रभावी उपयोग करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
जनजातीय कार्य मंत्रालय ने प्रतिबद्ध मंत्रालयों/विभागों की टीएसपी/एसटीसी/डीएपीएसटी निधियों की निगरानी करने के लिए वेब एड्रेस के साथ एसटीसी एमआईएस पोर्टल विकसित किया है: https://stcmis.gov.in. मंत्रालय द्वारा टीएसपी/एसटीसी/डीएपीएसटी के अंतर्गत आबंटन, उपयोग और वास्तविक प्रगति की समीक्षा करने के लिए प्रतिबद्द मंत्रालयों/विभागों के साथ समय-समय पर बैठकें भी आयोजित की जाती है।
दिशानिर्देशों के अनुसार मानक निर्धारित करने वाले टीएसपी/एसटीसी आबंटन का अनुपालन, योजनाओं की पहचान, ऐसी योजनाओं के अंतर्गत टीएसपी/एसटीसी/डीएपीएसटी निधियों का आवंटन और उपयोग, जो एसटी को विशिष्ट लाभ प्रदान करते हैं, निगरानी समीक्षा बैठकों में टीएसपी/एसटीसी/डीएपीएसटी के अंतर्गत लक्ष्य/उत्पाद की स्थापना और प्रगति आदि पर बल दिया जाता है। मंत्रालयों/विभागों से टीएसपी/एसटीसी/डीएपीएसटी के अंतर्गत वास्तविक प्रगति की जानकारी भी प्राप्त की जाती है।