तेल-तिलहनों के भाव अपरिवर्तित, मांग
बढ़ने से बिनौला तेल में सुधार की स्थिति
नई दिल्ली। विदेशी बाजारों में खाद्य तेलों के भाव टूटने के बीच देशभर के तेल-तिलहन बाजारों में बीते सप्ताह आयात किये जाने वाले सोयाबीन तेल, सीपीओ एवं पामोलीन खाद्य तेलों के दाम में गिरावट आई जबकि देशी तेलों की मांग के बीच सरसों, मूंगफली तेल-तिलहन, सोयाबीन तिलहन और बिनौला तेल सुधार दर्शाते बंद हुए। बाकी तेल-तिलहनों के भाव अपरिवर्तित रहे।
नमकीन बनाने वाली कंपनियां ज्यादातर अपने इस्तेमाल में गंधहीन खाद्य तेलों- बिनौला, मूंगफली और सूरजमुखी का इस्तेमाल करती हैं और उनकी मांग होने से बिनौला तेल में सुधार आया।
विदेशों में खाद्य तेलों के दाम में ऐतिहासिक गिरावट Historic fall in the prices of edible oils abroad आई है। इस गिरावट के बीच कच्चा पामतेल और पामोलीन तेल की कीमतें नीचे Crude palm oil and palmolein oil prices came down आई हैं। जबकि किसानों द्वारा नीचे भाव पर सोयाबीन की बिकवाली से बचने के कारण सोयाबीन तिलहन के दाम में सुधार Soybean oil seeds prices improve आया है। विदेशी बाजारों के भाव टूटने और सरकार द्वारा रिफाइनिंग करने वाली कंपनियों को 20 लाख टन सोयाबीन और 20 लाख टन सूरजमुखी तेल प्रतिवर्ष आयात का कोटा जारी करने के बीच सोयाबीन तेल कीमतों में गिरावट Soybean oil prices fall आई।
सूत्रों ने कहा कि सरकार के द्वारा अगले दो साल के लिए रिफाइनिंग कंपनियों को शुल्क मुक्त आयात करने की छूट देने से स्थानीय तिलहन उत्पादक किसान हतोत्साहित हैं। अभी सोयाबीन और मूंगफली की बिजाई चल रही है, अक्टूबर में सरसों की बिजाई होनी है। लेकिन शुल्क मुक्त आयात की छूट दिये जाने से बिजाई का काम प्रभावित हो सकता है क्योंकि किसानों को अपनी फसल के लिए लाभ के आसार कम दिखते हैं। साल्वेंट एक्स्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) Solvent Extractors Association (SEA) ने भी सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा है।
सूत्रों ने कहा कि सरसों का इस बार उत्पादन बढ़ा है पर आयातित तेलों के महंगा होने के समय जिस रफ्तार से सरसों का रिफाइंड बनाकर आयातित तेलों की कमी को पूरा किया गया, उससे आगे चलकर त्योहारों के मौसम में सरसों या हल्के तेलों की दिक्कत बढ़ सकती है। त्योहारों के दौरान ऑर्डर की कमी होने की वजह से खाद्य तेल आपूर्ति की दिक्कत देखने को मिल सकती है।
सूत्रों ने बताया कि पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का भाव 75 रुपये बढ़कर 7,485-7,535 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल समीक्षाधीन सप्ताहांत में 50 रुपये के सुधार के साथ 15,150 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ। वहीं सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी तेल की कीमतें भी क्रमश: 25-25 रुपये बढ़कर क्रमश: 2,380-2,460 रुपये और 2,420-2,525 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुईं।
सूत्रों ने कहा कि किसानों द्वारा कम कीमत पर बिकवाली से बचने के कारण समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज के थोक भाव क्रमश: 90-90 रुपये की तेजी के साथ क्रमश: 6,500-6,550 रुपये और 6,300-6,350 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।
समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशों में तेल कीमतों के भाव टूटने से सोयाबीन तेल कीमतें भी नुकसान के साथ बंद हुईं। सोयाबीन दिल्ली का थोक भाव 300 रुपये की हानि के साथ 14,100 रुपये, सोयाबीन इंदौर का भाव 200 रुपये टूटकर 13,800 रुपये और सोयाबीन डीगम का भाव 300 रुपये की गिरावट के साथ 12,400 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
आयातित तेलों के मुकाबले देशी तेलों की मांग होने से समीक्षाधीन सप्ताहांत में मूंगफली तिलहन का भाव 110 रुपये के सुधार के साथ 6,765-6,890 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पूर्व सप्ताहांत के बंद भाव के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल गुजरात 300 रुपये के सुधार के साथ 15,710 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ जबकि मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव 55 रुपये सुधरकर 2,635-2,825 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी बाजारों में तेल कीमतों में जोरदार गिरावट आने के बाद कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव भी 150 रुपये टूटकर 11,300 रुपये क्विंटल, पामोलीन दिल्ली का भाव 250 रुपये टूटकर 13,200 रुपये और पामोलीन कांडला का भाव 50 रुपये टूटकर 12,100 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में नमकीन कंपनियों की मांग के कारण बिनौला तेल का भाव 430 रुपये का सुधार दर्शाता 14,150 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। वैसे बिनौला में कारोबार लगभग समाप्त हो चला है।