कौशल विकास प्रशिक्षण देकर इन महिलाओं को
अपनी आजीविका हासिल करने दी जा रही सहायता
गुवाहाटी। उत्तर पूर्व विकास मंत्रालय के तत्वावधान में उत्तर पूर्व क्षेत्र सामुदायिक संसाधन प्रबंधन सोसायटी (एनईआरसीआरएमएस) North East Region Community Resource Management Society (NERCRMS) कौशल विकास प्रशिक्षण skill development training के माध्यम से नारी शक्ति को सशक्त बनाने की दिशा कार्य कर रहा है।
जिसमें उत्तर पूर्व क्षेत्र की ग्रामीण महिलाओं को मशरूम की खेती में प्रशिक्षण प्रदान कर उन्हें अपनी आजीविका कमाने में सहायता प्रदान की जा रही है। Women of North East are becoming self-sufficient through mushroom farming
इसकी शुरुआत, एनईआरसीआरएमएस द्वारा मशरूम की खेती के लिए एक महिला स्वयं सहायता समूह-बांचुंग को प्रशिक्षण देने के साथ हुई थी। यह समूह अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग जिले में स्थित है। इस समूह का गठन जनवरी 2016 में 20 महिला सदस्यों के साथ हुआ था और यह समूह सिंगफो जनजाति से संबंधित है।
रिवॉल्विंग फंड से हालत सुधरी महिला समूह की
इस क्षेत्र में मशरूम की खेती में तीव्र गति से बढ़ोत्तरी हो रही है और उत्पाद को बाजार में अच्छा मुनाफा प्राप्त हो रहा है। कस्तूरी मशरूम बिना खाद के प्रोटीन युक्त भोजन का उत्पादन करने के लिए सबसे उपयुक्त कवकों में से एक है।
शुरुआत में, यह समूह दिशाहीन था और उसे अपनी गतिविधि के बारे में भी पता नहीं था कि इसकी स्थिरता कैसे सुनिश्चित की जाए। वर्ष 2016 में, इस परियोजना का कार्यान्वयन होने के बाद, इस समूह ने इसकी प्रक्रिया और गतिविधियों के बारे में जानकारी प्राप्त की और बाद में इसमें शामिल हुए।
इन्हें रिवॉल्विंग फंड के माध्यम से वर्ष 2016 से 2020 तक कुल 1,22,000 रुपये प्राप्त हुए और समूह ने अचार तैयार करने, बुनाई करने और मशरूम की खेती करने के साथ अपनी शुरुआत की।
7,000 रुपये से शुरू की मशरूम की खेती
सितंबर 2019 के पहले सप्ताह में, इस समूह को खेरेम बीसा के मोहोंग गांव के बड एम भेजागा ने मशरूम की खेती में प्रशिक्षण दिया। प्रशिक्षण के दौरान समूह के सदस्यों इसमें सक्रिय रूप से शामिल हुए।
प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद, जनवरी 2020 में, प्रशिक्षण के माध्यम से और रिवॉल्विंग फंड के समर्थन से, इस समूह ने 7,000 रुपये की राशि के साथ मशरूम की खेती शुरू की, जो कि मशरूम के बीज, पैकेजिंग प्लास्टिक, रबर और पाइप स्प्रे पर खर्च हुए।
दो महीने बाद, मशरूम बिक्री के लिए तैयार हो गया और इसका थोक बाज़ार मुल्य 150-160 रुपये प्रति किलोग्राम और खुदरा बाजार मूल्य कभी-कभी 200 रुपये तक रहा।
हो रहा मुनाफा
डेढ़ महीने में उन्होंने 17 किलोग्राम थोक बाज़ार मुल्य पर 2,870 रुपये में और 60 किलोग्राम खुदरा बाजार मूल्य पर 12,000 रुपये में बेचा। कुल मिलाकर बिक्री 14,870 रुपये की हुई, जिसमें उन्हें अच्छा मुनाफा हुआ।
इस समूह ने एनईआरसीआरएमएस के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त की, जिसने उन्हें आय सृजन करने के लिए मशरूम की खेती के बारे में जानकारी प्रदान की और ग्रामीण महिलाओं का कौशल विकास करने और उसे बढ़ावा देने के लिए सैद्धांतिक और वित्तीय सहायता प्रदान की।