उपराष्ट्रपति ने भारतीय सूचना सेवा (आईआईएस) बैच
2018 और 2019 के अधिकारियों के साथ बातचीत की
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडु Vice President M Venkaiah Naidu ने मंगलवार 9 अगस्त को अपने निवास पर आयोजित कार्यक्रम में नागरिक केंद्रित और उत्तरदायी शासन के लिए लोगों और सरकारों के बीच निरंतर संवाद की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने कहा कि नीति निर्माण और इसका क्रियान्वयन दोतरफा प्रक्रिया होनी चाहिए जिसमें हर स्तर पर लोगों की भागीदारी हो। उपराष्ट्रपति ने आज उप-राष्ट्रपति निवास में उनसे मिलने आए 2018 और 2019 बैच के भारतीय सूचना सेवा अधिकारियों Indian Information Service Officers of 2018 and 2019 Batch को संबोधित करते हुए सरकारों और नागरिकों के बीच की खाई को पाटने में संचार की भूमिका पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा- “लोकतंत्र में, लोगों को उनकी मातृभाषा में सरकार की नीतियों और पहलों के बारे में समय पर जानकारी देते हुए सशक्त बनाने की आवश्यकता है। दूसरी ओर, सरकारों को भी एक उद्देश्य और समयबद्ध तरीके से लोगों की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं से अवगत कराने की आवश्यकता है।”
स्वच्छ भारत मिशन के हिस्से के रूप में शुरू किए गए जन व्यवहार बदलाव अभियान का उल्लेख करते हुए नायडु ने कहा कि किसी भी सुधार की सफलता लोगों के सहयोग पर निर्भर करती है। उन्होंने कहा कि लोग किसी पहल को बेहतर ढंग से तभी समझ पाएंगे और उसका समर्थन करेंगे जब वे शुरू से ही इसकी योजना और कार्यान्वयन की रणनीति में शामिल होंगे।
उन्होंने भारत को दुनिया का सबसे बड़ा संसदीय लोकतंत्र बताते हुए कहा कि किसी भी सुधार प्रक्रिया का उद्देश्य लोगों के जीवन को सुखी और समृद्ध बनाना होना चाहिए।
उन्होंने अधिकारियों से कहा- “इसलिए, सभी सरकारी नीतिगत उपायों का ध्यान लोगों के जीवन में स्थायी खुशी लाने पर होना चाहिए।”इसके साथ ही उन्होंने “दीर्घकालिक लाभ के लिए अस्थायी दर्द”को सहन करने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
उपराष्ट्रपति नायडु ने कहा कि आईसीटी क्रांति और इंटरनेट के प्रसार ने हमारे समाचारों के ग्रहण के तरीके को मौलिक रूप से बदल दिया है। इसके साथ ही उन्होंने आगाह किया कि यह ‘सूचना की आसानी’ इससे जुड़े जोखिमों के साथ आती है।
उन्होंने कहा, “गलत सूचना, दुष्प्रचार और फर्जी खबरें नई चुनौतियों के रूप में उभरी हैं, जिनसे सरकारी सूचना अधिकारियों (संचारकों) को चौबीसों घंटे निपटने की जरूरत है।”उपराष्ट्रपति ने कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा सोशल मीडिया के दुरुपयोग के प्रति भी आगाह किया। उन्होंने ऐसी प्रवृत्तियों पर जल्द से जल्द अंकुश लगाने का आह्वान किया।
इंटरनेट और सोशल मीडिया के विस्तार के उदय से उत्पन्न ‘तत्काल पत्रकारिता’ की बढ़ती प्रवृत्ति की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए नायडु ने इसके कारण पत्रकारिता के मानदंडों और लोकाचार के क्षरण के बारे में चिंता व्यक्त की।
उन्होंने मीडिया रिपोर्टिंग में तटस्थता और निष्पक्षता के महत्व पर जोर दिया और कहा कि समाचारों को विचारों से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा, “मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है और इसकी तटस्थतातथा निष्पक्षता भारत के लोकतांत्रिक लोकाचार के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है।”
उपराष्ट्रपति ने युवा सूचना अधिकारियों से देश भर से कई विकासात्मक कहानियों को सामने लाने के लिए कहा। उन्होंने अधिकारियों से कहा, “सरकारी संचारकों के रूप में आपको यह सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास करने चाहिए कि विभिन्न मंत्रालयों और विभागों द्वारा किए जा रहे अच्छे काम को मीडिया में पर्याप्त रूप से जगह दिलाई जाए।
“सूचना और मनोवैज्ञानिक युद्ध को आधुनिक युद्धों का एक महत्वपूर्ण आयाम बताते हुए श्री नायडु ने आईआईएस अधिकारियों को इन उभरते और रणनीतिक क्षेत्रों में विशेषज्ञता विकसित करने की सलाह दी।
दुनिया भर में चरम जलवायु घटनाओं और मौसम के अनिश्चित रूख की बढ़ती आवृत्ति का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने युवा अधिकारियों से प्रकृति संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण के लिए एक मास मीडिया अभियान चलाने के लिए कहा। उन्होंने अधिकारियों से कहा, “यदि आप प्रकृति से प्यार करते हैं, तो प्रकृति आपकी रक्षा करेगी।”
विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा वोट हासिल करने के लिए लोकलुभावन उपायों के खिलाफ आगाह करते हुए नायडु ने कहा कि मुफ्त बांटने की संस्कृति (फ्रीबी कल्चर) ने कई राज्यों की वित्तीय स्थिति को खराब कर दिया है। उन्होंने कहा, “सरकार को निश्चित रूप से गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए, लेकिन साथ ही स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढांचे के विकास को भी प्राथमिकता देनी चाहिए।”
भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में अपने अंतिम संबोधन में नायडु ने कहा कि “एक साधारण किसान के बेटे से देश के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद तक मेरे पहुंचने की कुंजी कड़ी मेहनत, कामकाज में समर्पण भाव और देश के हर हिस्से की निरंतर यात्रा तथा लोगों के साथ बातचीत में निहित है।” उन्होंने कहा कि लोगों से मिल कर और बात करके मैंने बहुत कुछ सीखा है।
अधिकारी प्रशिक्षुओं को प्रतिष्ठित सिविल सेवा में शामिल होने के लिए बधाई देते हुए उपराष्ट्रपति ने उन्हें देश के लोगों के जीवन को बदलने के लिए काम करने का आह्वान किया। यह ध्यान रहे कि कि भारतीय सूचना सेवा (आईआईएस) Indian Information Service (IIS) एक केंद्रीय समूह ‘ए’ सेवा है जिसके सदस्य भारत सरकार के मीडिया प्रबंधक के रूप में काम करते हैं।
अपनी विभिन्न क्षमताओं में आईआईएस अधिकारी सरकार और लोगों के बीच सूचनाओं के प्रसार और विभिन्न सरकारी नीतियों एवं योजनाओं को बड़े पैमाने पर जनता तक पहुंचाने में एक महत्वपूर्ण संचार कड़ी के रूप में कार्य करते हैं।
इस बातचीत के दौरान आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. (डॉ.) संजय द्विवेदी IIMC Director General Prof. (Dr.) Sanjay Dwivedi , आईआईएमसी के एडीजी आशीष गोयल ADG of IIMC Ashish Goel, आईआईएमसी की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रिंकू पेगू Dr. Rinku Pegu, Associate Professor, IIMC, आईआईएस अधिकारियों के प्रशिक्षण समन्वयक और 2018 तथा 2019 के भारतीय सूचना सेवा बैच के अधिकारी उपस्थित थे। इस अवसर पर प्रो. संजय द्विवेदी ने उपराष्ट्रपति को अपनी पुस्तक “भारत बोध का नया समय” भी भेंट की।