किसी उपग्रह का हिस्सा माना जा रहा, एक भेड़ की
मौत लेकिन किसी तरह की जनहानि की खबर नहीं
अहमदाबाद। मध्य गुजरात के कई गांवों में 12 मई से लेकर 16 मई तक आसमान से लोहे के गोले और उसके टुकड़े गिरे। इनके गिरने से पहले जोरदार आवाज और तेज रोशनी हुई। इन्हें लेकर क्षेत्र में रहस्य और डर का माहौल है। हालांकि जांच के बाद शासन-प्रशासन की ओर से इसे चीन के एक रॉकेट का मलबा बताया जा रहा हैं।
इसकी शुरूआत 12 मई को हुई, जब मध्य गुजरात के लोग अचानक आसमान से आती आवाज सुनकर चौंक गए। देखते ही देखते तेज रोशनी चमकी और फिर जोरदार धमाके जैसी आवाज हुई। आसमान से धातु से हुए गोले टपकने लगे। एक के बाद एक तीन गांवों में इस तरह के गोले गिरे।
पांच गोले गिरने के बाद धातु के टुकड़ों के गिरने का सिलसिला शुरू हुआ। इनमें से कुछ टुकड़े लोहे की पट्टी की तरह । कुछ टुकड़े भेड़ों के बाड़े में आकर गिरे, जिससे एक मेमने की मौत हो गई। किसी और के हताहत होने की खबर नहीं है। आसमान से टपकी इन भारी-भरकम गोलों को देखकर गांव वाले हैरान रह गए। पुलिस ने आकर सभी गोलों को इकट्ठा किया और इसरो के अधिकारियों को सौंप दिया।
ऐसे शुरू हुआ लोहे की भारी-भरकम गोले गिरने का सिलसिला
खबर के मुताबिक, सबसे पहले 12 मई को शाम करीब 4.45 बजे गुजरात के भलेज गांव में आसमान से धातु का रहस्यमयी गोला आकर गिरा। काले रंग के इस गोले का वजन करीब 5 किलो था। उसके बाद एक गोला खम्बोलज गांव में और फिर रामपुरा में आकर गिरा। ये सभी गांव आणंद जिले के 15 किमी के इलाके में हैं।
स्थानीय पुलिस के मुताबिक, इसी तरह का गोला पड़ोस में खेड़ा जिले के चकलासी गांव में भी आकर गिरा। उसके बाद 13 मई को एक गोला वड़ोदरा के सावली तालुका में गिरा। कई और जगह से भी ऐसी खबरें आईं। एक दिन बाद आणंद के सोजित्रा तालुका में कसोर में धातु के टुकड़े आकर गिरे। कुछ टुकड़े भेड़ों के बाड़े में गिरे, जिससे एक भेड़ की मौत भी हो गई।
पहले रोशनी चमकी, फिर तेज आवाज आई
सोमवार 16 मई को भी सोजित्रा तालुका के ही खोडियारपुरा गांव में आसमान से धातु के टुकड़े गिरने की खबर पुलिस को मिली। पुलिस के अनुसार, ये सभी गोले धातु की बनी थीं और खाली जगहों पर आकर ही गिरे थे। कुछ तो कीचड़ के ढेर पर आकर टपके. गांववालों ने बताया कि किस तरह ये टुकड़े आसमान से गिरे।
एक ग्रामीण के मुताबिक, इन टुकड़ों के गिरने से पहले बहुत तेज आवाज हुई, फिर आसमान में अंधा कर देने वाली तेज रोशनी चमकी। ये इतनी तेज थी कि कुछ भी नजर नहीं आ रहा था। उसके बाद जोरदार आवाज हुई। हमने देखा तो लोहे का एक गर्म टुकड़ा भेड़ के ऊपर आकर गिरा है, जिससे उसकी तुरंत मौत हो गई।
चीनी रॉकेट का मलबा होने का अनुमान
गांव वाले और पुलिस अनुमान ही लगा रहे थे कि आसमान से टपके ये गोले आखिर हैं क्या। इस बीच अमेरिका के हार्वर्ड स्मिथसोनियन एस्ट्रोफिजिक्स सेंटर के एक खगोलविद जोनाथन मैक्डॉवल ने ट्वीट करके इनके बारे में अंदाजा लगाया कि ये गोले क्या हो सकते हैं। मैक्डॉवल का कहना था कि ये गोले संभवतः चीन के रॉकेट चैंग झेंग 3बी सीरियल वाई 86 की तीसरे चरण की रीएंट्री का मलबा हो सकता है।
यह रॉकेट 9 सितंबर 2021 को 5500 किलो वजनी संचार सैटेलाइट को लेकर गया । मैक्डॉवेल ने बताया कि ट्रेकिंग डेटा से पता चला है कि रॉकेट का ये मलबा इन गांवों के 100 किमी उत्तर में दिख रहा था। लेकिन यहां कैसे पहुंचा, ये सवाल खड़ा करता है। हालांकि उनका कहना था कि ये मलबा आसमान में जिस कक्षा में घूम रहा था, वो वायुमंडलीय खिंचाव के कारण बहुत तेजी से अपना रास्ता बदल रही थी। ऐसे में मुमकिन है कि मलबे के गिरने का अनुमानित स्थान बदल गया हो।
इसरो जांच में जुटा, पुलिस ने दर्ज की रिपोर्ट
आणंद जिले के कलेक्टर एम.वाई. दक्षिणी का कहना है कि हमने धातु की गेंद समेत सभी चीजों को इसरो की फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी में भेज दिया है। उनकी जांच की जा रही है। खबर के मुताबिक, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने भी इस बारे में कुछ नहीं बताया है।
आणंद के एसपी अजित राजन ने बताया कि एक जगह आसमान से टपकी चीज की चपेट में आकर भेड़ की मौत की खबर मिलने पर जब मौके पर पहुंची तो गांव वालों ने बताया कि मरी हुई भेड़ को कुत्ते उठाकर ले गए हैं। बाड़े के मालिक के कहने पर रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है। किसी और के घायल होने की खबर नहीं है। राज्जन का कहना है कि पहली नजर में देखने से तो लगता है कि यह उच्च घनत्व वाली धातु के ही टुकड़े थे जो रॉकेट लॉन्च में इस्तेमाल होते हैं।
उपग्रह से संबंधित होने की आशंका
आणंद के पुलिस उप अधीक्षक बी डी जडेजा ने बताया कि आणंद जिले के दगजीपुरा, खंभोलाज और रामपुरा गांव और पड़ोसी खेड़ा जिले के भुमेल गांव में लगभग 1.5 फुट व्यास वाले,धातु के खोखले गोले 12 से 13 मई के बीच गिरे हैं। उन्होंने कहा कि इन वस्तुओं से कोई घायल नहीं हुआ, जो फिलहाल आणंद पुलिस के कब्जे में है।
जडेजा ने कहा ‘‘हमारे प्राथमिक विश्लेषण से पता चला है कि ये धातु के गोले उपग्रह से संबंधित हो सकते हैं। आगे के विश्लेषण के लिए हमने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के साथ-साथ अहमदाबाद में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला से परामर्श करने का निर्णय लिया है।’’
हो सकते हैं रॉकेट-उपग्रह के ईंधन के टैंक
इसरो के सेवानिवृत्त वैज्ञानिक बी एस भाटिया ने कहा कि ये धातु के गोले रॉकेट और उपग्रहों में इस्तेमाल होने वाले ईंधन टैंक हो सकते हैं, जो एक प्रकार के तरल ईंधन ‘‘हाइड्राज़िन’’ को संग्रह करने के लिए उपयोग किया जाता है। आमतौर पर रॉकेट में इस तरह की व्यवस्था होती है कि खाली भंडारण टैंकों को स्वचालित रूप से अलग किया जा सके और ईंधन की पूरी तरह से खपत होने के बाद ये टैंक जमीन पर गिर सकें।
भाटिया ने कहा ‘‘ये बड़े गोले हाइड्राजिन के भंडारण टैंक हो सकते हैं। यह एक बहुत ही सामान्य ईंधन है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से उपग्रहों को उनकी कक्षा में रखने के लिए किया जाता है। इस तरल ईंधन का उपयोग रॉकेट में भी किया जाता है।’’