9 को संभालेंगे कार्यभार, पिता भी
रहे सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश
नई दिल्ली। न्यायमूर्ति धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ Justice Dhananjay Yashwant Chandrachud सोमवार 17 अक्टूबर को देश के 50वें प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किए गए। वे 9 नवंबर को सीजेआई पद की शपथ लेंगे।
उनका कार्यकाल 10 नवंबर 2024 तक होगा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू President Draupadi Murmu ने न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की नियुक्ति कर दी है। यह जानकारी केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रीजीजू Union Law Minister Kiren Rijiju ने दी।
मौजूदा प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित Chief Justice Uday Umesh Lalit के 65 वर्ष की आयु पूरी कर लेने पर सेवानिवृत्त हो जाने के एक दिन बाद 9 नवंबर को न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ प्रधान न्यायाधीश के तौर पर शपथ लेंगे।
न्यायमूर्ति ललित का 74 दिनों का संक्षिप्त कार्यकाल रहा, जबकि सीजेआई के पद पर न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ का कार्यकाल दो वर्षों का होगा।
In exercise of the power conferred by the Constitution of India, Hon'ble President appoints Dr. Justice DY Chandrachud, Judge, Supreme Court as the Chief Justice of India with effect from 9th November, 22.
— Kiren Rijiju (@KirenRijiju) October 17, 2022
केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने ट्वीट किया, संविधान के द्वारा प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए राष्ट्रपति ने उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश डॉ. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ को देश का प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किया है।
यह नियुक्ति नौ नवंबर 2022 से प्रभावी होगी। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ 10 नवंबर 2024 को सेवानिवृत्त होंगे।
पिता रहे सबसे लंबे समय तक मुख्य न्यायाधीश
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ के पिता यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ Yashwant Vishnu Chandrachud 22 फरवरी 1978 से 11 जुलाई 1985 तक देश के 16 वें प्रधान न्यायधीश रहे हैं।
11 नवंबर 1959 को जन्में जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज हैं। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से एलएलबी किया। इसके बाद उन्होंने प्रतिष्ठित इनलैक्स स्कॉलरशिप की मदद से हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की।
हार्वर्ड में, उन्होंने कानून में परास्नातक और फोरेंसिक विज्ञान में डॉक्टरेट की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी, हार्वर्ड लॉ स्कूल, येल लॉ स्कूल और यूनिवर्सिटी ऑफ़ विटवाटरसैंड, दक्षिण अफ्रीका में व्याख्यान दिया है।
विधि क्षेत्र का सुदीर्घ अनुभव
बॉम्बे हाईकोर्ट के जज बनने से पहले, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और गुजरात, कलकत्ता, इलाहाबाद, मध्य प्रदेश और दिल्ली के उच्च न्यायालयों में एक वकील के रूप में अभ्यास किया।
1998 में, उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा एक वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया था। उन्होंने 1998 से 2000 तक भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रूप में कार्य किया।
एक वकील के रूप में, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ के सबसे महत्वपूर्ण मामलों में संवैधानिक और प्रशासनिक कानून, एचआईवी + रोगियों के अधिकार, धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों के अधिकार और श्रम और औद्योगिक कानून शामिल हैं।
विभिन्न उच्च न्यायालयों में रहे
29 मार्च 2000 को, उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने 31 अक्टूबर 2013 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली।
मुख्य न्यायाधीश यू यू ललित की सेवानिवृत्ति के बाद, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ नवंबर 2022 से भारत के 50 वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य करेंगे।
वह भारत के 16वें और सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति वाई. वी चंद्रचूड़ के सुपुत्र हैं।
बदल दिया था पिता का फैसला
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने 1976 के एडीएम जबलपुर मामले में पूर्व मुख्य न्यायाधीश और उनके पिता वी वाई चंद्रचूड़ के फैसले को पलट दिया।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के अपने फैसले में कहा कि निजता का अधिकार संविधान का अभिन्न अंग है। उन्होंने पूर्व सीएआई के फैसले को “बेहद गलत” करार दिया।
जिसे तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जेएस केलकर, न्यायमूर्ति आरके अग्रवाल और न्यायमूर्ति एसए नजीर ने भी समर्थन दिया था।