जमीन खरीदने के बाद नहीं दिया पैसा, हाईकोर्ट
ने अपील खारिज कर रजिस्ट्री शून्य घोषित की
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने जमीन बिक्री से संबंधित एक विवाद पर महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है। मामले में कोर्ट ने कहा कि अगर रजिस्ट्री में लिखी गई रकम बेचने वाले को नहीं मिलती है तो ऐसा बिक्री विलेख शून्य घोषित होगा। साथ ही अपील को भी खारिज कर दिया है। मामले की सुनवाई जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस रजनी दुबे की डिवीजन बेंच में हुई।
मोहम्मद अल्ताफ मेमन ने हाईकोर्ट में अपील करते हुए द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश बस्तर द्वारा 9 सितंबर 2015 को पारित आदेश को चुनौती दी है। इसमें कहा गया कि फनिंद्र भारत की पिपलावंद में 8.60 हेक्टेयर भूमि का सौदा 19 लाख 72 हजार में होने के बाद 25 फरवरी 2012 को रजिस्ट्री हुई। इसमें 4 लाख 89 हजार रुपए चेक के माध्यम से और 11 हजार रुपए नगद विक्रेता को दिया गया।
शेष 14 लाख 72 हजार रुपए का चेक दिया गया। चेक की राशि का भुगतान हुए बिना ही जमीन की रजिस्ट्री हो गई। इसके बाद जब बेचने वाले ने बैंक में चेक लगाया तो वह बाउंस हो गया। साथ ही खरीदने वाले ने बैंक से चेक से होने वाले भुगतान को रोक दिया था। खरीदने वाले ने पूरा पैसा नहीं दिया तो विक्रेता ने जिला न्यायालय में याचिका दायर की। कोर्ट में बताया कि धोखा देकर जमीन की रजिस्ट्री कराई गई है।
निचली अदालत ने पैसा नहीं देने के कारण रजिस्ट्री कैंसिल कर दी। अपीलकर्ता ने बताया कि खरीदी गई जमीन पर दूसरे लोगों का कब्जा था, इसलिए चेक को रोका गया था। हाईकाेर्ट में भी अपील हुई। सभी पक्षों की सुनवाई के बाद कोर्ट ने माना है कि अगर रजिस्ट्री में लिखी गई रकम बेचने वाले को नहीं मिलती है तो ऐसी खरीदी-बिक्री को शून्य माना जाएगा।
बेटी के इलाज के लिए हाईकोर्ट ने तबादले पर लगाई रोक
गंभीर रूप से बीमार बेटी के इलाज के लिए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट Chhattisgarh High court ने आबकारी निरीक्षक के तबादले पर रोक लगा दी है। बेटी का इलाज लम्बे समय से रायपुर में ही इलाज चल रहा है। शान्तिविहार, डगनिया, रायपुर निवासी जागेश्वर प्रसाद वर्मा, जिला रायपुर में आबकारी मुख्य आरक्षक के पद पर पदस्थ हैं।
सचिव, आबकारी विभाग, रायपुर द्वारा एक आदेश जारी कर जागेश्वर वर्मा का स्थानांतरण जिला – रायपुर से जिला धमतरी कर दिया गया। इसके खिलाफ जागेश्वर प्रसाद वर्मा द्वारा अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं लक्ष्मीन कश्यप के माध्यम से याचिका दायर कर ट्रान्सफर आदेश को चुनौती दी गई।
याचिका में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2022 में एसके नौशाद रहमान एवं अन्य विरुद्ध यूनियन ऑफ इण्डिया एवं अन्य के वाद में यह सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है कि यदि किसी शासकीय अधिकारी, कर्मचारी के परिवार में कोई अत्यंत गंभीर समस्या है या परिवार का कोई सदस्य अत्यंत गंभीर बीमारी से ग्रस्त है तो उन्हें गृह जिले या इच्छित जिले में पदस्थापना का पूर्ण प्रयास किया जाएगा।
याचिकाकर्ता की पुत्री अत्यंत गंभीर बीमारी से ग्रस्त है एवं उसका रामकृष्ण केयर हास्पिटल, रायपुर में इलाज चल रहा है। याचिकाकर्ता की उम्र भी 58 वर्ष है, एवं उनकी पुत्री पूर्ण रूप से उन पर ही आश्रित है। यदि याचिकाकर्ता द्वारा स्थानांतरित स्थल पर ज्वाइन किया जाता है तो उसे पुत्री के इलाज में काफी असुविधा होगी।
हाईकोर्ट ने रिट याचिका की सुनवाई के पश्चात् याचिकाकर्ता की पुत्री की गंभीर बीमारी को देखते हुए रायपुर से जिला धमतरी किए गए स्थानांतरण आदेश पर रोक लगा दी है।