जानिए मदर इंडिया के छोटे बिरजू की असली कहानी
मदर इंडिया में छोटे बिरजू का किरदार बेहद ही दमदार था और इसके लिए महबूब खान ने बड़ी मुश्किल से साजिद को ढूंढा। शूट के दौरान महबूब खान को साजिद से प्यार हो गया और उन्होंने झुगी से आए उस बच्चे को गोद ले लिया।
झुग्गी से लाए साजिद को महबूब खान ने बना लिया दत्तक पुत्र- जानिए मदर इंडिया के छोटे बिरजू की असली कहानी
‘मदर इंडिया’ में नरगिस दत्त और उनके बेटे बने साजिद
‘मदर इंडिया’ भारतीय सिनेमा जगत की एक ऐसी फिल्म बनी जिसने सफलता के नए आयाम गढ़े। 1975 में रिलीज़ हुई इस फिल्म को देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी खूब सराहना मिली। इसका हर एक किरदार इतना जानदार था कि लोग आज भी उनके नाम भूले नहीं हैं।
फ़िल्म का मुख्य किरदार, ‘बिरजू’ के बचपन का किरदार भी बेहद जबरदस्त था जिसे निभाया था साजिद ने। छोटे बिरजू के किरदार में साजिद इतने फिट बैठे और उन्होंने इतनी कमाल की एक्टिंग की कि निर्देशक महबूब ने फिल्म में बिरजू का किरदार निभाने वाले सुनील दत्त को कहा कि तुम इसे देखो और अपना प्रदर्शन इसी स्तर का रखना।
महबूब खान को बिरजू यूं ही नहीं मिल गए थे बल्कि इसके लिए उन्होंने अपने असिस्टेंट चिमनकांत गांधी को काम पर लगाया था। चिमन कांत ने इस किरदार के लिए महबूब खान के सामने कई बाल कलाकार पेश किए लेकिन उन्हें एक भी किरदार में फिर बैठता हुआ नहीं दिखा। महबूब खान छोटे बिरजू के किरदार में जान डालने के लिए एक ऐसे बाल कलाकार की तलाश में थे जो नटखट होने के साथ साथ बगावती तेवर का भी हो।
एक दिन यह बात महबूब खान के फाइट मास्टर डगलस के कानों में पड़ी कि छोटे बिरजू के लिए कोई सही बच्चा नहीं मिल पा रहा। उन्होंने चिमनकांत को बताया कि उनके फाइटर्स में से एक साजिद का बेटा है वाजिद जो इस किरदार के लिए फिट होगा। यह बात सुन चिमनकांत और डगलस के साथ वाजिद के घर गए। चिमनकांत ने बताया था कि वो डगलस के साथ चोर बाज़ार के नजदीक ही एक मुस्लिम आबादी वाले इलाके मस्तान तलाव में गए, जहां वाजिद और उनका परिवार एक छोटी सी झोपड़ी में रहता था।
चिमनकांत को साजिद देखने में अच्छे लगे। साजिद बेहद कम उम्र के थे करीब 5 साल के। चिमनकांत ने जब उनसे कुछ सवाल पूछे तो उन्होंने फटाफट जवाब दे दिया। चिमनकांत लड़के की हाज़िरजवाबी से बेहद प्रभावित हुए क्योंकि साजिद निडर थे और बचपने का नटखटपन उनमें कूट- कूट कर भरा था। उन्होंने साजिद के पिता से अगले दिन बेटे को महबूब खान के पास लाने को कहा। वाजिद अपने बेटे को लेकर महबूब खान के पास वक्त के पहले ही पहुंच गए थे।
संगीतकार नौशाद भी वहीं मौजूद थे। उन्होंने साजिद को देख लिखा था कि जब महबूब ने साजिद को फटे हुए कपड़ों में देखा तो उन्हें इस बात की आशा कम ही थी कि झुग्गी से आया एक लड़का छोटे बिरजू का किरदार निभा पाएगा। लेकिन जब साजिद ने अपने नटखट अंदाज़ में महबूब खान से बात करनी शुरू की तब महबूब खान को कुछ आशा जगी।
साजिद ने उन्हें एक कहानी भी सुनाई जिसे सुनकर महबूब खान उन पर लट्टू हो गए और उन्हें छोटे बिरजू के रोल के लिए चुन लिया गया।
फिल्म की शूटिंग के दौरान साजिद नरगिस से बहुत घुलमिल गए थे और अपनी ऑन स्क्रीन मां को वास्तविकता में भी मां कहकर ही बुलाते। उनका शरारतें और भोला चेहरा देखा नरगिस भी उन्हें खूब चाहने लगीं थीं। महबूब खान भी उसके अभिनय से बेहद प्रभावित हुए और उससे प्यार करने लगे। अंत में उन्होंने और उनकी दूसरी पत्नी अभिनेत्री सरदार अख़्तर ने साजिद को गोद ले लिया। इस तरह झुग्गी से आया एक लड़का महबूब का दत्तक पुत्र बन गया।