सदियों तक मिट्टी के टीले में दफन रहा स्तूप
ध्रुव गुप्त
बहुत कम लोगों को पता है कि देश का सबसे बड़ा बौद्ध स्तूप Largest Buddhist stupa in the country बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के एक गांव केसरिया में Kesariya a village in East Champaran district of Bihar स्थित है। देश औरविदेश के पर्यटकों द्वारा अबतक लगभग अलक्षित यह स्तूप प्रसिद्ध बौद्ध तीर्थ-स्थल वैशाली से मात्र कुछ ही दूरी पर है।
कुछ दशक पहले यह स्थान मिट्टी का एक ऊंचा टीला मात्र हुआ करता था। चरवाहे इसका इस्तेमाल पशुओं के विश्रामागर के रूप में करते थे। सदियों से इस स्थान को लोग देउरा अर्थात देवताओं का घर कहते आए थे। पिछली सदी के नौवें दशक में टीले की थोड़ी मिट्टी उघड़ी तो स्तूप की कुछ ईंटें बाहर झांकने लगीं।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने खुदाई शुरू की तो सामने आया देश का यह सबसे बड़ा स्तूप। अभी इसके पुनरुद्धार का काम चल रहा है। इस टीले के आसपास कुछ और भी टीले हैं जिनकी अगर खुदाई की जाय तो इतिहास के कुछ और रहस्य भी शायद खुल सकें। अभी तो जो स्तूप मिला है, उसे भी पूरी तरह से मिट्टी से बाहर निकालने और उसकी मरम्मत का काम दशकों बाद भी पूरा नहीं हुआ है।
इस स्तूप का निर्माण सम्राट अशोक ने कराया था। बौद्ध काल में केसरिया का नाम केसपुत्त हुआ करता था। बुद्ध ने यहां कई दिनों तक रुककर लोगों को संबोधित किया था। उनके ये उपदेश बौद्ध ग्रंथ ‘केसपुत्तीय सुत्त’ में संकलित हैं। जीवन के अंतिम दिनों में भी कुशीनगर जाने के क्रम में उन्होंने यहां रात्रि विश्राम किया था।
इस जिले में पुलिस अधीक्षक के तौर पर अपने कार्यकाल में अक्सर शाम के बाद इस विशाल,लेकिन टूटे-फूटे स्तूप के ऊपर चढ़कर बुद्ध की टूटी मूर्तियों के बीच कुछ घंटे अकेले बैठना मेरे लिए बहुत रहस्यमय और रोमांचक अनुभव रहा था। संभव हो तो इस स्तूप पर जाकर आप भी कभी कुछ समय बिता आईए। आंखों के आगे इतिहास का एक दौर जीवंत हो उठेगा।