आंतरिक बंदरगाह सुविधाओं को अधिकतम
करने विकसित किया जायेगा पत्तन को
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने 3,004.63 करोड़ रुपये की लागत से पारादीप पोत परियोजना की गहराई बढ़ाने को मंजूरी दी है। केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने यह जानकारी देते हुए कहा कि यह पारादीप पत्तन के मेगा पोर्ट बनने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और पूर्वी राज्यों के विकास के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप है
उन्होंने कहा क पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालयका लक्ष्य दीर्घकालिक रणनीतिक अवसंरचना से जुड़ी मजबूत दृष्टि और नेतृत्व के आधार पर निवेशकों के विश्वास को सुदृढ़ करना है, जिसमें निवेश योग्य विभिन्न परियोजनायें शामिल हैं, जो आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय रूप से स्थायी और व्यावहारिक रूप से सफलतापूर्वक पूरा करने योग्य होतीं हैं। इन दूरदर्शी पहलों में से एक है – बड़ी धनराशि की लागत वाली पारादीप बंदरगाह परियोजना, जो बंदरगाह को एक विश्व स्तरीय आधुनिक बंदरगाह में बदल देगी, जिसमें पोत के उलटे होने को संभालने की क्षमता होगी। यह निर्णय भविष्य को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, क्योंकि प्रधानमंत्री पूर्वी राज्यों के विकास पर जोर दे रहे हैं।
पीपीपी और बीओटी के आधार पर विकसित होगा पश्चिमी डॉक
केंद्रीय मंत्री सोनोवाल ने कहा कि इस परियोजना में पारादीप पोर्ट पर सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड के तहत निर्माण, परिचालन और स्थानांतरण (बीओटी) के आधार पर पश्चिमी डॉक का विकास करना एवं गहराई बढ़ाने के साथ आतंरिक बंदरगाह सुविधाओं को अधिकतम करना शामिल हैं। परियोजना की अनुमानित लागत इसमें बीओटी के आधार पर नए पश्चिमी डॉक का विकास और चयनित रियायतग्राही द्वारा बड़े पैमाने पर ड्रेजिंग शामिल हैं।
जिनकी लागत क्रमशः 2,040 करोड़ रुपये और 352.13 करोड़ रुपये है। इसके अलावा,परस्पर समर्थन परियोजना अवसंरचना उपलब्ध कराने की दिशा में पारादीप पोर्ट 612.50 करोड़ रुपये का निवेश करेगा।
केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि परियोजना की सफलता पारादीप बंदरगाह के मेगा पोर्ट बनने की दिशा में एक मील का पत्थर सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि यह पूर्वी राज्यों के विकास के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
पोर्ट की क्षमता में 25 एमएमटीपीएकी होगी वृद्धि
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह परियोजना पोत के उलटे होने को संभालने के लिए पोर्ट की क्षमता को बढ़ाएगी, पोर्ट की क्षमता में 25 एमएमटीपीए का योगदान करेगी। इसके परिणामस्वरूप पोर्ट की दक्षता में सुधार होगा, बेहतर कार्गो व्यवस्था होगी,व्यापार में वृद्धि होगी और रोजगार सृजन समेत सामाजिक-आर्थिक विकास होगा।
उन्होंने कहा क इस परियोजना से बंदरगाह की भीड़-भाड़ कम होगी, समुद्री माल ढुलाई की लागत कम होगी, जिससे कोयले का आयात सस्ता होगाऔर बंदरगाह के निकटवर्ती इलाकों में औद्योगिक अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा, जिससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
उन्होंने कहा कि परियोजना के बाद, बंदरगाह बहुत बड़े जहाजों को आसानी से संभाल सकता है जिसके लिए 18 मीटर ड्राफ्ट की आवश्यकता होती है। इसके परिणामस्वरूप लोजिस्टिक्स की लागत में कमी आयेगी और मौजूदा वैश्विक प्रतिस्पर्धी माहौल में आयात-निर्यात (एक्जिम) व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
1966 में शुरू किया गया पारादीप पोर्ट
उल्लेखनीय है कि पारादीप पोर्ट प्राधिकरण को लौह अयस्क के निर्यात के लिए एकल वस्तु पोर्ट के रूप में 1966 में शुरू किया गया था। पिछले 54 वर्षों में, पोर्ट ने विभिन्न प्रकार के एक्जिम कार्गो को संभालने के लिए खुद को विकसित किया है जिसमें लौह अयस्क, क्रोम अयस्क, एल्यूमीनियम सिल्लियां, कोयला, पीओएल, उर्वरक कच्चे माल, चूना पत्थर, क्लिंकर, तैयार स्टील उत्पाद, कंटेनर आदि शामिल हैं।
पारादीप पोर्ट प्राधिकरण (रियायती प्राधिकरण) दो चरणों में (12.50 एमटीपीए प्रत्येक)कुल25 एमटीपीए (मिलियन टन प्रति वर्ष) की अंतिम क्षमता के साथ चयनित बीओटी रियायतग्राही द्वारा जहाजों के उलते होने को संभालने की सुविधा के लिए परस्पर समर्थन परियोजना अवसंरचना उपलब्धकराएगा, जिसमें ब्रेकवाटर एक्सटेंशन और अन्य सहायक कार्य शामिल होंगे। रियायत की अवधि रियायत देने की तारीख से 30 वर्ष के लिए होगी।
पारादीप बंदरगाह, निकटवर्ती इलाकों में बड़ी संख्या में मौजूद इस्पात संयंत्रों के दानेदार स्लैग और तैयार स्टील उत्पादों को निर्यात करने के अलावा कोयले और चूना पत्थर के आयात की आवश्यकता को पूरा करेगा।