70 साल का इंतजार खत्म, बढ़ेगी जैव विविधता
भोपाल। भारत का 70 साल का इंतजार शनिवार को खत्म हो गया। नामीबिया से आए 8 चीतों ने देश की सरजमीं पर पहला कदम रखा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कूनो नेशनल पार्क में बॉक्स खोलकर 3 चीतों को क्वारंटीन बाड़े में छोड़ा। रिकॉर्डेड भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीते भेजने के लिए नामीबिया का आभार माना।
पीएम मोदी ने चीता मित्रों से कहा- कूनो में चीता फिर से दौड़ेगा तो यहां बायोडायवर्सिटी बढ़ेगी। यहां विकास की संभावनाएं जन्म लेंगी। रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से अपील की कि अभी धैर्य रखें, चीतों को देखने नहीं आएं। ये चीते मेहमान बनकर आए हैं। इस क्षेत्र से अनजान हैं। कूनो को ये अपना घर बना पाएं, इसके लिए इनको सहयोग देना है।
When #Cheetah are coming back to #India. A look at how the last of the lots were hunted, maimed and domesticated for hunting parties. Video made in 1939. 1/n pic.twitter.com/obUbuZoNv5
— Parveen Kaswan (@ParveenKaswan) September 16, 2022
कूनो में प्रधानमंत्री के लिए 10 फीट ऊंचा प्लेटफॉर्मनुमा मंच बनाया गया था। इसी मंच के नीचे पिंजरे में चीते थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लीवर के जरिए बॉक्स को खोला। चीते बाहर आते ही अनजान जगह में सहमे हुए दिखे। सहमते कदमों के साथ इधर-उधर नजरें घुमाईं और चहलकदमी करने लगे।
लंबे सफर की थकान चीतों पर साफ दिख रही थी। चीतों के बाहर आते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ताली बजाकर उनका स्वागत किया। मोदी ने कुछ फोटो भी क्लिक किए। 500 मीटर चलकर मोदी मंच पर पहुंचे थे। उनके साथ राज्यपाल मंगूभाई पटेल और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी थे। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन भी है।
पीएम मोदी के भाषण की खास बातें
हमने उस समय को भी देखा, जब प्रकृति के दोहन को शक्ति प्रदर्शन का प्रतीक मान लिया गया था। 1947 में जब देश में केवल 3 चीते बचे थे, तो उनका भी शिकार कर लिया गया।
ये दुर्भाग्य रहा कि 1952 में हमने चीतों को विलुप्त तो घोषित कर दिया, लेकिन उनके पुनर्वास के लिए दशकों तक सार्थक प्रयास नहीं किए। आज आजादी के अमृत काल में देश नई ऊर्जा के साथ चीतों के पुनर्वास के लिए जुट गया है।
यह एक ऐसा काम है, राजनीतिक दृष्टि से जिसे कोई महत्व नहीं देता, इसके पीछे हमने वर्षों ऊर्जा लगाई। चीता एक्शन प्लान बनाया। हमारे वैज्ञानिकों ने नामीबिया के एक्सपर्ट के साथ काम किया। पूरे देश में वैज्ञानिक सर्वे के बाद नेशनल कूनो पार्क को शुभ शुरुआत के लिए चुना गया।
प्रकृति और पर्यावरण, पशु और पक्षी भारत के लिए सस्टेनेबिलिटी और सिक्योरिटी के विषय नहीं हैं। हमारे लिए ये सेंसिबिलिटी और स्प्रिचुअलिटी का भी आधार हैं।
नामीबिया से सीधे ग्वालियर एयरबेस पहुंचे
नामीबिया से स्पेशल चार्टर्ड कार्गो फ्लाइट 8 चीतों को लेकर शनिवार सुबह 7.55 बजे ग्वालियर एयरबेस पहुंची। उनके साथ 24 लोगों की टीम भी आई है। यहां उनका रुटीन चेकअप किया गया। चीतों के साथ नामीबिया के वेटरनरी डॉक्टर एना बस्टो भी आए हैं।
नामीबिया से चीतों को खास तरह के पिंजरों में लाया गया। लकड़ी के बने इन पिंजरों में हवा के लिए कई गोलाकार छेद किए गए हैं। ग्वालियर एयरबेस से चिनूक हेलिकॉप्टर के जरिए चीतों को कूनो नेशनल पार्क लाया गया।
मुख्यमंत्री शिवराज बोले- इससे बड़ा तोहफा नहीं
आज मध्यप्रदेश के लिए अभूतपूर्व, ऐतिहासिक और अप्रतिम क्षण है!
भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी ने नामीबिया से लाए गए चीतों को कूनो नेशनल पार्क में विमुक्त किया।
मध्यप्रदेश और देश को इस अद्वितीय एवं अनुपम क्षण के लिए हार्दिक बधाई! #MPWelcomesCheetah pic.twitter.com/jgQV5LMp4e
— Shivraj Singh Chouhan (मोदी का परिवार ) (@ChouhanShivraj) September 17, 2022
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कूनो जाने से पहले विशेष विमान से दिल्ली से ग्वालियर पहुंचे। यहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा और राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने उन्हें रिसीव किया। मुख्यमंत्री ने कहा, मप्र के लिए इससे बड़ा कोई तोहफा नहीं। देश में चीते विलुप्त हो गए थे और इन्हें फिर से बसाना एक ऐतिहासिक कदम है। यह इस सदी की सबसे बड़ी वन्यजीव घटना है। इससे मध्यप्रदेश में पर्यटन को तेजी से बढ़ावा मिलेगा। ग्वालियर एयरबेस पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने टीम से जानकारी ली।
8 चीतों में 2 सगे भाई भी
दक्षिण अफ्रीका के प्रिटोरिया विश्वविद्यालय में प्रो. एड्रियन ट्रोडिफ ने बताया कि भारत आए 8 चीतों में दो सगे भाई हैं। इनकी उम्र ढाई से साढ़े पांच साल के बीच है। चीते की औसत उम्र 12 साल होती है। चीतों को लकड़ी के पिंजरों में लाया गया। इनमें हवा के लिए कई गोलाकार छेद हैं।
चीतों को लकड़ी के पिंजरों में लाया गया। इनमें हवा के लिए कई गोलाकार छेद हैं। पीएम मोदी ने कूनो में चीते छोड़ने के बाद चीता मित्रों से भी मुलाकात की। चीतों को नई जगह मुफीद वातावरण और सुरक्षा मिले,इसके लिए सरकार ने चीता मित्र बनाए हैं। पीएम मोदी ने कूनो में चीते छोड़ने के बाद चीता मित्रों से भी मुलाकात की। चीतों को नई जगह मुफीद वातावरण और सुरक्षा मिले,इसके लिए सरकार ने चीता मित्र बनाए हैं।
बड़े मांसाहारी वन्यप्राणी की दुनिया में पहली शिफ्टिंग
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बड़े मांसाहारी वन्यप्राणी की शिफ्टिंग की यह दुनिया की पहली परियोजना है। जिन चीतों को पार्क के क्वारंटीन बाड़े में छोड़ा जाएगा, उन्हें लाने के लिए भारत और नामीबिया सरकार के बीच 20 जुलाई 2022 को एग्रीमेंट हुआ था।
देश में 500 चीते होंगे, तब मानेंगे री-अरेंजमेंट
Prime Minister Narendra Modi releases the cheetahs that were brought from Namibia this morning, at Kuno National Park in Madhya Pradesh. pic.twitter.com/dtW01xzElV
— ANI (@ANI) September 17, 2022
एक्सपर्ट्स के अनुसार, भारत में चीतों का पुनर्व्यवस्थापन (री-अरेंजमेंट) तब माना जाएगा, जब यहां चीतों की संख्या 500 हो जाएगी। इस टारगेट को पूरा करने के लिए साउथ अफ्रीका और नामीबिया से हर साल 8 से 12 चीते भारत भेजे जाएंगे। इसके अलावा भारत में चीतों की वंश वृद्धि भी इसमें शामिल होगी। इस दौरान अंतरराष्ट्रीय स्तर के मानकों के आधार पर चीतों के रहन-सहन समेत अन्य मानकों का पूरा खाका बन गया है।
चीतों के स्वभाव के अध्ययन के बाद ही नामकरण किया जाएगा
Here they come💕
1st of the nine cheetahs from Namibia. Ready to travel to India. pic.twitter.com/HikTNw1MtH
— Susanta Nanda (@susantananda3) September 16, 2022
चीतों का नामकरण उनके स्वभाव का अध्ययन करने के बाद किया जाएगा। हर एक वन्य प्राणी का अपना स्वभाव होता है। कोई इंसानों को पसंद करता है, तो कई आक्रामक होता है। पार्क के डीएफओ प्रकाश कुमार वर्मा का कहना है कि चीतों के लिए उनके केयर टेकर भी नियुक्त किए जाएंगे। सभी केयरटेकर के अनुभव को रिकॉर्ड में लिया जाएगा। इसके बाद नामकरण किया जाएगा। इसमें तीन से पांच महीने तक का वक्त लग सकता है।
कूनो पालपुर की जमीन पर 19 को कोर्ट में सुनवाई
The cheetahs have arrived in their new home- KUNO – heavenly habitat for our cats! pic.twitter.com/wlEhKBr2EY
— Jyotiraditya M. Scindia (@JM_Scindia) September 17, 2022
कूनो नेशनल पार्क की जमीन को लेकर विवाद शुरू हो गया है। जमीन देने वाले पालपुर राजघराने के वंशजों ने कोर्ट में अवमानना याचिका लगाई है। याचिका में कहा है कि हाईकोर्ट ने हमारी याचिका और दावों के जवाब में अपना जवाब देने के लिए जिला प्रशासन को कहा था। कलेक्टर ने हाईकोर्ट के सीधे आदेश के बावजूद हमारी याचिका का हवाला दिए बिना रिपोर्ट पेश कर भूमि अधिग्रहण करने का आदेश जारी कर दिया।
पालपुर राजघराने के वंशज ने पिछले दिनों एक वीडियो जारी कर कहा, ‘या तो हमें अपनी जमीन वापस दी जाए या सेंचुरी (अभयारण्य) में शेर लाए जाएं। उन्होंने अपना किला और जमीन शेरों के लिए दी थी, न कि चीतों के लिए। जब कूनो को गिर शेरों को लाने के लिए अभयारण्य घोषित किया गया।
तो उन्हें अपना किला और 260 बीघा भूमि खाली करनी पड़ी। बता दें, पालपुर राजघराने के वंशजों ने अपनी पुश्तैनी संपत्ति वापस पाने के लिए राज्य सरकार के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इस मामले में अगली सुनवाई 19 सितंबर को विजयपुर ADJ कोर्ट में होगी।
पूर्व डकैत भी मौजूद रहा, अब है चीता मित्र
प्रधानमंत्री श्योपुर जिले की कराहल तहसील में प्रधानमंत्री ‘प्रधानमंत्री कौशल विकास’ योजना के तहत चार कौशल केंद्रों का उद्घाटन करेंगे। ये योजनाएं विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के लिए काम करेंगी।
पीएम मोदी ने कूनो में चीते छोड़ दिए हैं। इस मौके पर 70-80 के दशक के कुख्यात डकैत रमेश सिंह सिकरवार भी मौजूद थे। अपने समय के दस्यु सम्राट रहे रमेश सिंह अब चीता मित्र हैं। प्रधानमंत्री ने चीता मित्रों से भी मुलाकात की। इस दौरान रमेश सिंह भी वहां थे।
चीता प्रोजेक्ट के पीछे मप्र कैडर के 1961 बैच के आईएएस अफसर एमके रंजीत सिंह की 50 साल की मेहनत है। उन्होंने 1972 में भारत को फिर से चीतों का घर बनाने का आइडिया सबसे पहले दिया और इस प्रोजेक्ट का ड्राफ्ट तैयार किया था। तब ईरानी चीतों को लाने का एग्रीमेंट इस शर्त के साथ हुआ था कि भारत उन्हें लायन देगा।
And then the last lot of cheetah. 3 cheetah hunted by King of Koriya (Chhattisgarh) in 1947. By 1952 government of India declared then extinct. The first step of species extinction in local population extinction. Many are facing now in India. Hope we will pay attention to them. pic.twitter.com/DSRxs17uBW
— Parveen Kaswan (@ParveenKaswan) September 17, 2022