भारत जोड़ो पदयात्रा को मिल रहा अभूतपूर्व समर्थन,अब देश के अलग-अलग हिस्सों से भी निकलेंगी पदयात्राएं
केरल से दीपक असीम
तिरुअनंतपुरम। केरल में भारत जोड़ो यात्रा को जनता का जो साथ मिल रहा है, उसने कांग्रेस के हौसले बढ़ा दिये हैं। जयराम रमेश ने जानकारी दी है कि ओडिशा और असम से भारत जोड़ो पदयात्रा शुरू की जा रही है।
पदयात्रा की शाखें फूटनी तो शुरू हो गई हैं और अब लगता है कि इसका फैलाव पूरे देश में हो जाएगा। असम में धुबरी से से सादिया जिले तक 800 किलोमीटर की भारत जोड़ो पदयात्रा एक नवंबर से शुरू हो रही है।
इसी तरह ओडिशा में भुवनेश्वर से पदयात्रा 2300 किलोमीटर की परिक्रमा करके फिर उसी जगह पर आ जाएगा जहां से चली थी।
अन्य राज्यों में भी यात्राएं इसी तरह शुरू हो सकती हैं। गुजरात में पदयात्रा शुरू की जाने की बात अभी उभर रही है। उत्साही कांग्रेसी अपने अपने इलाकों से भी छोटी छोटी पदयात्राएं निकाल रहे हैं।
कांग्रेस नेता प्रेमचंद गुड्डू और रीना बौरासी ने सोमवार 19 सितंबर को सांवेर से क्षिप्रा तक पच्चीस किलोमीटर की पदयात्रा निकाली। कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश अध्यक्ष शेख अलीम ने उज्जैन में पदयात्राएं निकालीं।
लोगों को सत्तारूढ पार्टी का विरोध करने के लिए जो मंच चाहिए वो मंच यह यात्रा दे रही है। एनआरसी के विरोध में जिस तरह हर गांव गांव में छोटे छोटे शाहीनबाग बन गए थे, उसी तरह गली गली पदयात्राओं की गूंज भी हो सकती है।
राहुल गांधी के अंदर भी जारी है एक यात्रा
जैसे जैसे पदयात्रा आगे बढ़ रही है वैसे वैसे राहुल गांधी की देहभाषा में भी बदलाव दिख रहा है। एक अनिच्छुक व्यक्ति से वे जिम्मेदार नेता में बदलते दिख रहे हैं।
उन्हें भी अंदाजा नहीं था कि देश के लोग उनसे इतना प्यार करते हैं और केवल उन्हें उम्मीद की नज़रों से देख रहे हैं।
राहुल गांधी को अहसास हो रहा है कि वे एकमात्र ऐसे शख्स हैं जिन्हें पूरे देश में विपक्ष का चेहरा समझा जा रहा है। कांग्रेस हो या अन्य विपक्षी दल, ऐसा कोई चेहरा नहीं है, जो सत्ता खिलाफ इतना जाना-पहचाना हो, सर्व व्यापी हो।
जहां पदयात्रा का दिन समाप्त होता है, वहां पर एक मंच लगाया जाता है, जहां से राहुल गांधी भाषण देते हैं। साढ़े पांच या कहना चाहिए छह महीनों में राहुल गांधी एक कुशल वक्ता बन चुके होंगे।
यात्रा की शुरुआत में उनके भाषण छोटे होते थे। बमुश्किल डेढ़ दो मिनिट में खत्म कर देते थे। मगर अब उनका वक्त बढ़ गया है। वे ज्यादा देर तक माइक पर रहते हैं।
अपने मन की बात भी कह रहे राहुल
हजारों लोगों को संबोधित करने में राहुल गांधी को अब कोई हिचक नहीं होती और वे अपने मन की बात बेहतर तरीके से शेयर करते हैं।
इसके अलावा वे कई जगह आम लोगों से बात करते हैं। कई प्रेस कॉन्फ्रेंस भी उन्हें लेनी हैं। बंद कमरों की मीटिंग होती है। देश भर से शामिल पदयात्रियों से वे रोज़ाना बात करते हैं।
देश की समस्याओं के प्रति भी उनकी समझ बढ़ रही है। यात्रा समाप्त होने तक हमें राहुल गांधी का एक अलग ही रूप देखने को मिल सकता है।
पदयात्रियों से बातचीत में दिख रहा उत्साह
राहुल को पदयात्रा में मज़ा आने लगा है इसके कई संकेत हैं। वे सबसे पहले तैयार होकर आ जाते हैं। पदयात्रियों से बातचीत के दौरान उनमें एक उत्साह दिखने लगा है।
उन्हें लग रहा है कि इस तरह वे एक अलग कांग्रेस खड़ी कर रहे हैं। पुरानी कांग्रेस के बरअक्स नई कांग्रेस जिसके नेता युवा और फिट होंगे।
इन भारतजोड़ो पदयात्रियों में से अनेक को विधानसभा और लोकसभा का टिकिट दिया जाएगा। जो लोग छोड़ कर जा रहे हैं, उनका विकल्प तैयार है बल्कि उनके साथ चल रहा है।
राहुल के पुर्नजन्म की तरह है यह पदयात्रा
राहुल गांधी के अंदर की झिझक हर कदम के साथ मिटती चली जा रही है। लोगों के प्यार और उत्साह ने उन्हें वो आत्मविश्वास दिया है कि अगर कांग्रेस के सारे विधायक और सारे सांसद भी भाजपा में चले जाएं तो वे एक नई कांग्रेस खड़ी कर सकते हैं। यह पदयात्रा राहुल गांधी के पुनर्जन्म की तरह है।
साथ-साथ चलेंगे षड्यंत्र भी
सत्ता के पक्षधर मीडिया चैनल यात्रा को बदनाम करने के जो तौर तरीके अपना रहे थे, वो अभी तक कामयाब नहीं हुए हैं। मीडिया से यात्रा को ब्लैक आउट करने से भी लाभ नहीं हो रहा क्योंकि लोकल मीडिया तो यात्रा जहां से गुजर रही है, कवर कर ही रहा है। गोवा के कांग्रेस विधायकों को तोड़ना यात्रा पर सबसे बड़ा वार था, जिसे यात्रा की कामयाबी हजम कर गई है।
कर्नाटक कांग्रेस में यात्रा को लेकर किसी असहमति को तिल का ताड़ बनाया जा रहा है। राहुल गांधी की यात्रा भारत जोड़ो नहीं कांग्रेस तोड़ो पदयात्रा है, यह साबित करने के लिए अब कोशिश यह होगी कि जिस भी प्रदेश से यात्रा गुजरे, उस प्रदेश के विधायकों का इस्तीफा दिलवाया जाए और उन्हें भाजपा में बैकडोर एंट्री दिलाई जाए। मध्यप्रदेश और राजस्थान में इसकी तैयारी चल रही है।