निदेशक प्रभारी अनिर्बान दासगुप्ता ने किया शुभारम्भ,स्किन
बैंक से गंभीर रूप से जले मरीजों को मिलेगा नया जीवन
भिलाई। सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र SAIL-Bhilai Steel Plant के मुख्य चिकित्सालय में छत्तीसगढ़ व सेल के पहले स्किन बैंक का शुभारम्भ किया गया। इसके अतिरिक्त छत्तीसगढ़ में कैडेवरिक टिशु ट्रांसप्लांट का भी जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय एवं अनुसंधान केंद्र पहला संस्थान बना। Chhattisgarh and SAIL’s first skin bank inaugurated in BSP’s main hospital
निदेशक प्रभारी ने किया उद्घाटन
आजादी के अमृत महोत्सव के पावन अवसर पर जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय एवं अनुसंधान केंद्र सेक्टर-9
Jawaharlal Nehru Hospital and Research Center Sector-9 में स्थापित स्किन बैंक का शुभारंभ भिलाई इस्पात संयंत्र के निदेशक प्रभारी अनिर्बान दासगुप्ता Director-in-Charge of Bhilai Steel Plant Anirban Dasgupta ने किया। भिलाई बिरादरी को चिकित्सकीय क्षेत्र में यह नई सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
स्कीन बैंक के संचालन की इनकी होगी जिम्मेदारी
जवाहरलाल नेहरू अस्पताल एवं अनुसंधान केन्द्र, सेक्टर-9 के बर्न विभाग में स्थापित स्किन बैंक के संचालन हेतु अस्पताल के कुशल चिकित्सकों की समिति को दायित्व दिया गया है।
जिसमें मुख्य चिकित्सा अधिकारी प्रभारी (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएँ) डाॅ एम रविन्द्रनाथ को स्किन बैंक का प्रशासनिक प्रमुख बनाया गया है।
एडिशनल सीएमओे डाॅ उदय कुमार को स्किन बैंक के प्रबंधक का दायित्व दिया गया है। इसी प्रकार डिप्टी सीएमओ डाॅ अनिरूद्ध मेने को स्किन बैंक का मेडिकल हेड बनाया गया है। इसी क्रम में कंसल्टेंट डाॅ आकांक्षा शर्मा को स्किन बैंक के माइक्रोबाॅयोलाॅजिस्ट की जिम्मेदारी दी गई है।
स्किन बैंक के स्थापना हेतु नई मशीनें व प्रशिक्षित स्टाॅफ
स्किन बैंक को शुरू करने के लिए जरूरी जगह, आवश्यक मशीनें और प्रशिक्षित स्टाफ की आवश्यकता होती है भिलाई के स्किन बैंक को शुरू करने के लिए एडवांस बर्न केयर डिपार्टमेंट में जगह निर्धारित की गई और आवश्यक मशीनें जैसे इलेक्ट्रिकल डर्मेटोम, स्किन मैशर, बायोसेफ्टी केबिनेट और फ्रीजर, इनक्यूबेटर आदि उपलब्ध कराए गए हैं। जिसमें उच्च प्रबंधन ने अपना त्वरित सहयोग किया।
भिलाई इस्पात संयंत्र के बर्न विभाग के 6 स्टाफ मुंबई स्थित नेशनल बर्न सेंटर के स्किन बैंक में प्रशिक्षित किया गया। यह प्रशिक्षित स्टाफ भिलाई में स्किन बैंक प्रारंभ करने में सहायक सिद्ध होंगे।
आवश्यक दस्तावेज तथा स्किन निकालने की सहमति से लेकर दूसरे मरीज को स्किन लगाने तक की पूरी प्रक्रिया का मैन्युअल बनाया गया है।
निरीक्षण दल उपलब्ध सुविधाओं से संतुष्ट
सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के मुख्य चिकित्सालय जवाहरलाल नेहरू अस्पताल एवं अनुसंधान केन्द्र, सेक्टर-9 के एडवांस्ड बर्न केयर विभाग में स्थापित स्किन बैंक के निरीक्षण हेतु विगत दिनों छत्तीसगढ़ के स्टेट ऑर्गन एवं टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन (सोटो) की चार सदस्यीय निरीक्षण टीम ने अस्पताल का दौरा किया।
इस टीम ने भिलाई इस्पात संयंत्र के चिकित्सालय में स्किन बैंक प्रारंभ करने हेतु आवश्यक दस्तावेजों तथा उपकरणों की जांच की। जरूरी उपकरण, आवश्यक दस्तावेज तथा प्रशिक्षित मेडिकल स्टाफ की उपलब्धता से संतुष्ट होकर रायपुर से आई टीम ने स्किन बैंक को प्रारंभ करने की अनुमति प्रदान की।
पंजीयन के साथ ही स्किन डोनेशन हेतु जागरूकता कार्यक्रम प्रारंभ
स्किन बैंक को प्रारंभ करने की अनुमति प्रदान करने के साथ ही सोटो रायपुर से रजिस्ट्रेशन नंबर जारी कर दिया गया है जो 5 वर्षों के लिए मान्य होगा। इस प्रकार बीएसपी के मुख्य चिकित्सालय में स्थापित स्किन बैंक छत्तीसगढ़ का पहला स्किन बैंक बन गया है।
इसके स्थापना के साथ ही बीएसपी अस्पताल ने स्किन डोनेशन के प्रति लोगों को जागरूक करने का कार्य प्रारंभ कर दिया है। जिससे लोग स्कीन बैंक को स्किन डोनेशन करें और गंभीर मरीजों के जीवनरक्षा में अपना योगदान दें।
गंभीर रूप से जले हुए मरीजों को मिलेगा जीवनदान
बर्न यूनिट के एडीशनल सीएमओे डाॅ उदय कुमार ने बताया कि आने वाले समय में बीएसपी का स्कीन बैंक गंभीर रूप से जले मरीजों के लिये वरदान साबित होगा। इस स्कीन बैंक से गंभीर किस्म से तथा अत्यधिक जले मरीजों को जीवन दान मिल सकेगा।
मरीज की या उनके रिश्तेदारों की सहमति के पश्चात ही मरीज की पैर या पीठ की चमड़ी की ऊपरी परत इलेक्ट्रिकल डर्मेटोम के द्वारा निकाली जाती है तथा निकाली गई जगह पर प्रॉपर बैंडेज किया जाता है।
निकाली गई चमड़ी को 50 प्रतिशत ग्लिसरॉल में लेकर स्किन बैंक में इनक्यूबेटर में स्टोर किया जाता है तथा कुछ आवश्यक जांच भी की जाती है जरूरी जांच की रिपोर्ट आने के पश्चात बायोसेफ्टी केबिनेट में स्किन मेंशर द्वारा स्किन पर छोटे-छोटे छेद बनाए जाते हैं।
जिससे ग्लिसरोल तथा एंटीबायोटिक सॉल्यूशन उसमें अंदर तक जाए और स्किन में कोई संक्रमण ना हो इस प्रक्रिया के पश्चात प्रॉपर लेबल जिसमें नाम रजिस्ट्रेशन नंबर के साथ फ्रीजर में 85 प्रतिशत ग्लिसरॉल में स्टोर किया जाता है इस स्किन को लगभग 5 वर्षों तक 4 डिग्री सेंटीग्रेड पर रख सकते हैं।
स्किन बैंक का स्किन लगाने से बढ़ जाएगी जान बचने की संभावना
स्किन बैंक के मेडिकल हेड तथा डिप्टी सीएमओं डाॅ अनिरूद्ध मेने ने जानकारी देते हुए कहा कि 80 प्रतिशत से ज्यादा जले मरीज में खुद की स्किन कम होने के कारण स्किन बैंक से प्राप्त स्किन लगाने से उनकी जान बचने की संभावना बढ़ जाएगी।
क्योंकि स्किन ना होने से अधिक जले मरीजों के शरीर से प्रोटीन और मिनरल्स निकलते रहते हैं और इन्फेक्शन अंदर जाता रहता है जिससे मरीज कमजोर हो जाता है और घाव के संक्रमण से सेप्टीसीमिया या जहर फैलने के कारण मरीज के मरने की संभावना बढ़ जाती है।
अधिक जले मरीजों में खुद की स्किन कम होने से दूसरे द्वारा दिए गए स्किन लगाने से यह प्रोटीन और मिनरल बाहर निकलने की प्रक्रिया कुछ समय के लिए रुक जाती है और मरीज के बचने की संभावना बढ़ जाती है।
उद्घाटन अवसर पर मौजूद थे वरिष्ठ अफसर
इस अवसर पर बीएसपी के कार्यपालक निदेशक प्रभारी (कार्मिक एवं प्रशासन) के के सिंह, कार्यपालक निदेशक (सामग्री प्रबंधन) ए के भट्टा, कार्यपालक निदेशक (वर्क्स) अंजनी कुमार, कार्यपालक निदेशक (खदान) तपन सूत्रधार, कार्यपालक निदेशक (कार्मिक एवं प्रशासन) एम एम गद्रे, कार्यपालक निदेशक (परियोजनाएं) एस मुखोपाध्याय, कार्यकारी कार्यपालक निदेशक (वित्त एवं लेखा) डी एन करन तथा मुख्य चिकित्सा अधिकारी प्रभारी (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएँ) डाॅ एम रविन्द्रनाथ, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ प्रमोद बिनायके सहित बर्न यूनिट के एडिशनल सीएमओे डाॅ उदय कुमार व डिप्टी सीएमओ डाॅ अनिरूद्ध मेने भी विशेष रूप से उपस्थित थे। इसके अतिरिक्त अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सकों व चिकित्सा बिरादरी के अन्य सदस्य भी मौजूद रहे।