श्रमिक दिवस पर मिलेगी इस छत्तीसगढ़िया खान-पान को नई पहचान, एक मई को हम सब खाएंगे बोरे बासी
रायपुर। अपने छत्तीसगढ़ में पिछले दो दिनों से बोरे बासी की धूम मची है। अब आगे 1 मई श्रमिक दिवस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सभी छत्तीसगढ़वासियों से श्रमिकों के पसीने को महत्व देने बोरे बासी खाने का आह्वान किया है। उनकी एक अपील पर बोरे बासी को लेकर ना सिर्फ प्रदेश बल्कि प्रदेश के बाहर भी देश-विदेश में हर छत्तीसगढ़िया बोरे बासी खाने तैयार बैठा है।
इस उत्साहजनक माहौल के बीच क्या आप जानते हैं कि आखिर अचानक बोरे बासी को लेकर यह सब कैसे हो गया? आईए, हम आपको बताते हैं कि कैसे एक ब्लॉगर सम्मेलन से निकला आईडिया मुख्यमंत्री को भा गया और बोरे बासी को एक सम्मानजनक स्थान मिल पाया।
छत्तीसगढ़ की जानी-मानी फूड ब्लागर कृति शर्मा को इसका श्रेय दिया जा सकता है। कृति बताती हैं कि हाल ही में छत्तीसगढ़ शासन जनसंपर्क विभाग ने ब्लॉगरों का कानक्लेव कराया था। जिसमें सबने अपना-अपना सुझाव दिया था। इस दौरान उन्होंने बोरे बासी पर केंद्रित अपनी बात रखी थी। उस समय जनसंपर्क विभाग प्रमुख दीपांशु काबरा ने बेहद गंभीरता से सारी बातें सुनी। इसके बाद कुछ दिन पहले एक प्रपोजल मांगा गया था कि बोरे बासी की क्या महत्ता है और छत्तीसगढ़ में उसका उत्सव क्यों मनाया जाए?
कृति शर्मा बताती हैं कि उन्होंने प्रस्ताव में विस्तार से जानकारी दी और इसके बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तय किया कि बोरे बासी उत्सव के लिए श्रम की महत्ता पर केंद्रित दिवस एक मई से बेहतर दिन नहीं हो सकता। ऐसे में 1 मई श्रम दिवस पर बोरे बासी उत्सव मनाना तय हुआ।
छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध लेखिका शशि परगनिहा लिखती हैं-कृति शर्मा यह एक उत्साही शेफ़ व फूड-ब्लॉगर है। सबसे पहले कृति ने अपने ब्लॉग में “बोरे-बासी” के बारे में विस्तार से बताया, जिस पर छत्तीसगढ़ के लोगों का ध्यान गया. फिर बात निकली है तो दूर तलक जाएगी। मुख्यमंत्री के कानों तक पहुंची. फिर क्या था।अवसर समीप था, याने “श्रमिक दिवस” तो बात बन गई। श्रम दिवस को बोरे-बासी खाने का स्वरूप दे दिया गया, जो हम छत्तीसगढ़ वासियों के लिए सुखद पहलू है। शशि कहती हैं “बोरे-बासी” के गुणों का व्याख्यान हम क्या करेंगे। इसे तो देश-विदेश के फ़ूड विशेषज्ञ भी स्वीकार करते हैं कि यह कितना सुपाच्य और शरीर के लिए कितना फायदेमंद है।
कौन हैं कृति शर्मा..?
छत्तीसगढ़ के जाने माने लेखक और प्रकाशक डॉ. सुधीर शर्मा की बेटी कृति शर्मा की अपनी पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर की फूड ब्लॉगर के तौर पर है। इनके छत्तीसगढ़ी व्यंजनों की रेसिपी की धमक अमेरिका तक पहुंच चुकी है। न्यूयार्क की सबसे बड़ी फूड पोर्टल ने उनकी रेसिपी को चुना है। वहीं देश में बहुचर्चित फूड ब्लॉगर अनुभव सप्रा ने अपने दो एपिसोड कृति और उनक खान-पान की दुनिया पर रायपुर आकर किए हैं। अनुभव सप्रा के यू-ट्यूब चैनल के दो लाख से अधिक सब्सक्राइबर हैं।
डॉ. शर्मा के संपादन में प्रकाशित हुई ‘बड़ सुग्घर बोरे बासी’
एक तरफ बेटी कृति शर्मा के आईडिया को क्रियान्वित करते हुए छत्तीसगढ़ सरकार बोरे बासी उत्सव मनाने जा रही है तो दूसरी तरफ पिता डॉ. सुधीर शर्मा भी पीछे नहीं हैं। उनके द्वारा संपादित पुस्तक ‘बड़ सुग्घर बोरे बासी’ तैयार है और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के हाथों 1 मई को विमोचन की योजना है। डॉ. शर्मा कहते हैं कि-बोरे बासी हमारे छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक अस्मिता का प्रतीक चिह्न है।
इसकी अपनी अद्भुत सुंदरता है। बोरे बासी सिर्फ एक व्यंजन नहीं है बल्कि तन मन से सुंदर बनाने वाला हष्ट-पुष्ट और सुंदर बनाने का आधार है। इस पर अमेरिका और इंग्लैंड में भी शोध हुआ है।
डॉ. शर्मा की इस पुस्तक में बोरे बासी पर केंद्रित आलेख में बोरे बासी पर केंद्रित छत्तीसगढ़ के स्वप्नदृष्टा व दिवंगत सांसद डॉ. खूबचंद बघेल और जनकवि कोदूराम दलित की छह दशक पहले लिखी रचनाओं के साथ-साथ डॉ. सुधीर शर्मा, अरूण कुमार निगम, डॉ. परदेशी राम वर्मा, रामनाथ साहू, गिरीश पंकज, जितेंद्र वर्मा खैरझिटिया, गया प्रसाद साहू रतनपुरिहा, केवरा यदु मीरा, आशा देशमुख, अनुज छत्तीसगढ़िया, धनेश्वरी सोनी गुल, सुनील शर्मा नील, राजकिशोर घिरही, जितेंद्र निषाद चितेश,संगीता वर्मा, दिलीप कुमार वर्मा, लिलेश्वर वर्मा, बसंती वर्मा, चोवाराम बादल, दुर्गाशंकर इजारदार, ओमप्रकाश पात्रे ओम, अनुज छत्तीसगढ़िया, राजकुमार चौधरी, सूर्यकांत गुप्ता और डॉ. गीतेश अमरोहित के आलेख शामिल हैं।
मुख्यमंत्री बघेल ने किया ‘बोरे बासी’ खाने का
आव्हान, गढ़ कलेवा में अब मिलेगी थाली
आव्हान, गढ़ कलेवा में अब मिलेगी थाली
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 1 मई मजदूर दिवस पर बोरे बासी के स्वास्थ्य और सांस्कृतिक महत्व को ध्यान में रखते हुए लोगों को बासी खाने अपील की है।
मुख्यमंत्री के आव्हान पर संस्कृति विभाग द्वारा छत्तीसगढ़ी संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 01 मई को मजदूर दिवस के अवसर पर संस्कृति विभाग के परिसर स्थित गढ़ कलेवा में 01 मई से ‘बोरे बासी थाली’ का शुभारंभ करने जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि बोरे बासी रात में पके हुए चावल को रातभर पानी में भिगोकर सुबह पूरी तरह भीग जाने पर भाजी, टमाटर चटनी, टमाटर-मिर्ची की चटनी, प्याज, बरी-बिजौरी एवं आम-नींबू के आचार के साथ मजे से खाया जाता है।
बोरे बासी स्वास्थ्यगत दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है, इसमें विटामिन बी-12 की प्रचूर मात्रा के साथ-साथ ब्लड और हाइपरटेंशन को नियंत्रित करने का भी काम करता है। बोरे बासी में आयरन, पोटेशियम, कैल्शियम की मात्रा भरपूर होती है। इसे खाने में पाचन क्रिया सही रहता है एवं शरीर में ठंडकता रहती है। छत्तीसगढ़ के किसान मजदूरों के साथ-साथ सभी वर्गों के लोग चाव के साथ बोरे बासी का सेवन करते आ रहे हैं। आधुनिकता और भाग-दौड़ भरी जिन्दगी तथा जागरूकता के अभाव में इसके खान-पान में जरूर कमी आई है, लेकिन छत्तीसगढ़ी खान-पान का प्रचार-प्रसार इसके संरक्षण और संवर्धन के लिए बेहतर उपाय होगा।
छत्तीसगढ़ होटल एवं रेस्टोरेन्ट एसोसिएशन मजदूर
दिवस पर तमाम कर्मचारियों को खिलाएगा बोरे बासी
दिवस पर तमाम कर्मचारियों को खिलाएगा बोरे बासी
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अपील पर 01 मई को मजदूर दिवस के अवसर पर अपने आहार और संस्कृति के गौरव की अनुभूति के लिए देश-विदेश के कोने-कोने में बसे छत्तीसगढ़ के लोग बोरे-बासी खाकर श्रम का सम्मान करेंगे।
मुख्यमंत्री की अपील पर छत्तीसगढ़ के सांसद, विधायक, जन प्रतिनिधि और युवा पीढ़ी भी बोरे-बासी खाकर देश दुनिया में अपने खानपान अपनी संस्कृति के प्रति प्रेम और गर्व की अभिव्यक्ति करेंगे, इसके साथ ही सोशल मीडिया पर हैश टैग #LabourDay2022 ,#बोरे-बासी , #cgmodel के माध्यम से अपनी फोटो-वीडियो शेयर करेंगे।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री की अपील पर छत्तीसगढ़ होटल एवं रेस्टोरेन्ट एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर बधाई देते हुए कहा है कि आगामी 01 मई मजदूर दिवस पर हमारे संस्थान में कार्यरत कर्मचारी जिनकी मेहनत एवं कर्तव्य निष्ठा से हमारे व्यापार को मजबूती मिलती है उनके सम्मान के लिए और उनके परिजनों व साथियों के लिए बोरे बासी व्यंजन की व्यवस्था करेंगें। स्थानीय खान पान को छत्तीसगढ़िया सम्मान के साथ जोड़कर आपने हमारी संस्कृति, विरासत और परंपरा को संजोने का अद्भुत कार्य किया है।