रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के हाथों मुंबई में हुआ
स्वदेश निर्मित दोनों युद्धपोतों का जलावतरण
मुंबई। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मुंबई के मझगांव डॉक पर मंगलवार 17 मई को स्वदेश निर्मित दो युद्धपोतों ‘सूरत’ और ‘उदयगिरी’ का जलावतरण किया। खास बात यह है कि देश के गौरव इन दोनों युद्धपोत में स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) की भिलाई स्टील प्लांट, राउरकेला स्टील प्लांट और बोकारो स्टील लिमिटेड से विशेष स्टील की आपूर्ति की गई थी।
मझगांव डॉक लिमिटेड (एमडीएल) के मुताबिक पहली बार स्वदेश निर्मित दो युद्धपोतों का एक साथ जलावतरण किया गया है। दोनों युद्धपोतों को नौसेना डिजाइन निदेशालय (डीएनडी) ने अपने यहां डिजाइन किया है और एमडीएल, मुंबई में इनका निर्माण किया गया है। एमडीएल, जलपोत एवं पनडुब्बी निर्माण करने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की प्रमुख रक्षा कम्पनी है।
“सेल” का 4300 टन विशेष स्टील इस्तेमाल हुआ इन युद्धपोतों में
स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) ने भारत के स्वदेशी नौसेना युद्धपोतों आईएनएस “उदयगिरी” और आईएनएस “सूरत” के लिए 4300 टन विशेष स्टील की आपूर्ति की है। सेल द्वारा आपूर्ति किए जाने वाले स्टील में डीएमआर 249 ग्रेड प्लेट्स और एचआर शीट्स शामिल हैं। स्टील की पूरी मात्रा सेल के बोकारो, भिलाई और राउरकेला स्टील प्लांट्स से सप्लाई की गई है।
यह भारत के “आत्मनिर्भर भारत मिशन” में महत्त्वपूर्ण योगदान देने और आयात को प्रतिस्थापित करने की दिशा में, देश के प्रयासों को मजबूत करने के सेल के निरंतर प्रयासों की दिशा में एक और कदम है। सेल ने इससे पहले भी आईएनएस विक्रांत, आईएनएस कमोर्टा सहित भारत की विभिन्न रक्षा परियोजनाओं के लिए विशेष गुणवत्ता वाले स्टील की आपूर्ति की है।
हम अपनी ही नहीं दुनिया की जहाज निर्माण की जरूरत पूरी करेंगे:राजनाथ
जलावतरण समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि दोनों युद्धपोत दुनिया के सबसे तकनीकी रूप से उन्नत मिसाइल वाहक होंगे, जो वर्तमान के साथ-साथ भविष्य की आवश्यकताओं को भी पूरा करेंगे। उन्होंने कहा,‘‘आने वाले समय में हम न केवल अपनी जरूरतों को पूरा करेंगे, बल्कि दुनिया की जहाज निर्माण की जरूरतों को भी पूरा करेंगे।
हम जल्द ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ की परिकल्पना को साकार करेंगे।” रक्षा मंत्री ने कहा कि दोनों युद्धपोत भारतीय नौसेना के शस्त्रागार की ताकत बढ़ाएंगे और दुनिया को भारत की रणनीतिक ताकत के साथ-साथ आत्मनिर्भरता की शक्ति का परिचय देंगे। रक्षा मंत्री ने स्वदेशी विमान वाहक पोत ‘आईएनएस विक्रांत’ का विशेष उल्लेख करते हुए इसे भारतीय नौसेना के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के पथ में एक प्रमुख मील का पत्थर बताया।
उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह हिंद महासागर से प्रशांत और अटलांटिक महासागर तक भारत की पहुंच बढ़ाएगा। उन्होंने कहा कि ‘आईएनएस विक्रांत’ का जलावतरण भारतीय रक्षा इतिहास में एक स्वर्णिम क्षण होगा। इस अवसर पर नौसेना प्रमुख एडमिरल एस हरि कुमार और भारतीय नौसेना और रक्षा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
रडार को चकमा देने की प्रणाली है ‘सूरत’ में
नौसेना की ओर से जारी सूचना के अनुसार-जहाज ‘सूरत’, प्रोजेक्ट 15 बी कार्यक्रम के तहत बनाया जाने वाला चौथा और अंतिम विध्वंसक पोत है, जिसमें रडार को चकमा देने की प्रणाली है। यह पी15 ए (कोलकाता श्रेणी) विध्वंसक के एक महत्वपूर्ण बदलाव का परिचायक है। गुजरात की वाणिज्यिक राजधानी और मुंबई के बाद पश्चिमी भारत के दूसरे सबसे बड़े वाणिज्यिक केंद्र सूरत शहर के नाम पर इसका नाम रखा गया है। प्रोजेक्ट 15बी श्रेणी के जहाज भारतीय नौसेना की अगली पीढ़ी के स्टेल्थ (रडार को चकमा देने में सक्षम) निर्देशित मिसाइल विध्वंसक हैं, जिन्हें मुंबई में मझगांव डॉक लिमिटेड (एमडीएल) में बनाया जा रहा है।
हथियार, सेंसर तथा मंच प्रबंधन प्रणाली से लैस है ‘उदयगिरि’
दूसरा पोत ‘उदयगिरि’ ‘प्रोजेक्ट 17 ए’ फ्रिगेट कार्यक्रम का हिस्सा है। ‘उदयगिरि’ पोत का नाम आंध्र प्रदेश की पर्वत श्रृंखला के नाम पर रखा गया है। यह प्रोजेक्ट 17 ए फ्रिगेट्स के तहत तीसरा पोत है। यह पी 17 फ्रिगेट (शिवालिक श्रेणी) का उन्नत संस्करण है, जो बेहतर हथियार, सेंसर तथा मंच प्रबंधन प्रणाली से लैस है।