आंखों से नहीं देख पाने वाले सम्यक ने कायम
की मिसाल, देश भर में 7वें पायदान पर रहे
नई दिल्ली। संघ लोकसेवा आयोग के परीक्षा परिणामों में चौंकाने वाला नतीजा सम्यक जैन का आया है। यह अपने आप में एक मिसाल है। इस परीक्षा में देश भर में 7वीं रैंक पाने वाले सम्यक ने सफलता के इस मुकाम तक पहुंचने की अपनी कहानी शेयर करते हुए बताया कि कैसे उनकी मां के साथ, हिम्मत और लगन ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया।
एक अनुवांशिक बीमारी की वजह से आंखों की रोशनी खोने वाले सम्यक ने अपनी कमजोरी को खुद पर हावी नहीं होने दिया और इस मुश्किल वक्त में उनकी मां ने साथ दिया। लिहाजा आज सफलता उनके कदम चूम रही है।
सम्यक ने कोविड के दौरान लॉकडाउन का बखूबी इस्तेमाल किया और उनके आईएएस अधिकारी बनने का ख्वाब पूरा होने का रास्ता भी साफ हो गया। सम्यक ने जिंदगी में उतार-चढ़ाव भी देखे और हिम्मत, मेहतन और धैर्य के साथ अपना रास्ता बनाया।
पढ़ाई के दौरान खोई आंखों की रोशनी
दिल्ली के रोहिणी में रहने वाले सम्यक जैन ने स्कूली पढ़ाई मुंबई से की और 12वीं के बाद इंजीनियरिंग में एडमिशन ले लिया। उसी दौरान सम्यक की जिंदगी में रुकावट आई और फर्स्ट ईयर के दौरान उनकी दोनों आंखों की रोशनी कम होने लगी। यह एक अनुवांशिक बीमारी है। मजबूरन उइन्हें इंजीनियरिंग छोड़नी पड़ी।
परीक्षा में मां ने बेटे के लिए लिखी कॉपी
सम्यक के पैरंट्स एयर इंडिया में नौकरी करते हैं। वह कहते हैं, मेरे पैरंट्स ने मेरी बहुत मदद की। मैंने पीडब्ल्यूडी कैटिगरी से यह एग्जाम दिया। मुझे राइटर की जरूरत थी और यहां मेरी मां ने मेरा साथ दिया। ग्रैजुएशन से लेकर सिविल सर्विसेज के एग्जाम तक, मेरी मां ने मेरा एग्जाम लिखा। प्रीलिम्स में वो मेरी राइटर थीं और मेंस के एग्जाम में मेरी एक दोस्त ने पेपर लिखा।
एसओएल से आईआईएमसी और जेएनयू तक
सम्यक बताते हैं, मैंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (SOL) से इंग्लिश ऑनर्स किया। बाकी स्टूडेंट्स की तरह मेरे मन में भी उस वक्त ओपन लर्निंग को लेकर सवाल आया था, लेकिन फिर मुझे लगा कि मैं अपना बेस्ट दूंगा। वैसे भी किसी भी इंस्टिट्यूट का नाम उसके अल्मनाई से जाना जाता है, इंस्टिट्यूट का नाम स्टूडेंट ही करते हैं। कॉन्फिडेंस के साथ मैंने पढ़ाई की।
इसके बाद मीडिया की ओर मेरा रुझान था और मैंने IIMC से इंग्लिश जर्नलिजम किया। जर्नलिजम पढ़ने का फायदा मिला और मैं देश-दुनिया और समाज के मसलों को समझ सका। फिर जेएनयू से एमए इंटरनैशनल रिलेशंस की पढ़ाई की और यहीं से सिविल सर्विसेज में जाने की सोची। कुल मिलाकर जेएनयू और आईआईएमसी ने मुझे पढ़ने-समझने और समाज के लिए सोचने का माहौल दिया।