श्रद्धांजलि: वरिष्ठ राजनीतिज्ञ शरद यादव नहीं रहे
दिनेश चौधरी
मध्यप्रदेश के जबललपुर में मालवीय चौक छात्र-राजनीति का बड़ा केंद्र रहा। मालवीय चौक को इस रूप में प्रतिष्ठित करने में शरद यादव का बड़ा हाथ रहा।
इसके विलोम में यह भी कहा जा सकता है कि शरद यादव को प्रतिष्ठा दिलाने में मालवीय चौक का बड़ा योगदान रहा। उन्हें चौक में किसी भी वक्त चप्पल, पतलून और इसके ऊपर कुर्ते में देखा जा सकता था। यह उस जमाने का नया फैशन था।
शरद यादव के संसद में दिए ये भाषण सुने हैं आपने? pic.twitter.com/ugEETKaDMu
— BBC News Hindi (@BBCHindi) January 13, 2023
एक समय शरद यादव मालवीय चौक के पर्याय बन गए थे। इसलिए रिक्शे वाले सज्जन कभी-कभी मालवीय चौक के बदले शरद यादव के नाम पर भी भड़ास निकाल लिया करते थे।
शरद साइंस कॉलेज से होते हुए इंजीनियरिंग कॉलेज पहुँच गए थे। साइंस कॉलेज में तीन होस्टल थे और इंजीनियरिंग में नौ। सभी जगह शरद यादव की तूती बोलती थी।
Mr @RahulGandhi ने शरद यादव जी को श्रद्धांजलि अर्पित की , बोले … pic.twitter.com/aY0Kft4PFW
— Supriya Bhardwaj (@Supriya23bh) January 13, 2023
होस्टल के छात्र शरद की सेना होते थे। जब कभी उनका आदेश होता मच्छरदानी के डंडे निकालकर चौक की ओर कूच कर जाते थे। शरद की सेना होस्टल पैनल कहलाती थी।
इसके जवाब में श्याम बिलोहा के नेतृत्व में सिटी पैनल हुआ करता था। एक बार दोनों सेनाओं में जमकर जंग छिड़ी। एक-दूसरे के नेताओं की पीटने-पिटाने की नौबत आई।
जबलपुर बन्द का आह्वान कभी इस ओर से हुआ करता और कभी उस पक्ष से। शरद की भागीदारी दीगर आंदोलनों में भी थी। उन्हें मीसा के तहत धर लिया गया। शरद के साथ दूसरे छात्र-नेताओं को भी पकड़ा गया।
हायर सेकेंडरी के छात्रों का एक अलग आंदोलन होता था, जिसके नेता संतोष राहुल हुआ करते थे। वे स्कूली छात्रों के नेता थे पर खुद कॉलेज छात्रों से भी सीनियर थे।
शरद यादव जी समाजवाद के पुरोधा होने के साथ एक विनम्र स्वभाव के व्यक्ति थे। मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा है।
उनके शोकाकुल परिजनों को अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं। देश के लिए उनका योगदान सदा याद रखा जाएगा।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 12, 2023
छात्र नेताओं का मुख्यालय होने के नाते मालवीय चौक स्वाभावतः छात्रों के भी आकर्षण का केंद्र हुआ करता था।
उन दिनों प्रतिमा के घेरा काफी बड़ा हुआ करता था और छोटी-मोटी सभाएँ यहीं घास के कालीन पर सम्पन्न हो जातीं। खासतौर पर इम्तिहान के दिनों में यहाँ गहमा-गहमी अचानक बढ़ जाती थी।
ऐसा लगता था जैसे कोई मेला लगा हुआ हो। छात्र-नेताओं का यह कर्तव्य होता था कि वे अपने अनुयायियों के हितों का समुचित ध्यान रखें। वे रखते भी थे, फिर भी उनके कर्तव्यों की याद दिलाने के लिए छात्र झुण्ड के झुण्ड चौक में धावा बोलते थे।
समाजवादी विचारधारा के पुरोधा और हमारे समय के सबसे सुलझे नेताओं में से एक शरद यादव जी का जाना अत्यंत दुखद ख़बर है।
वे मेरे राजनीतिक अभिभावक थे। मैंने सामाजिक न्याय का पाठ उनसे ही सीखा।
ईश्वर उनके परिजनों को दुख की यह घड़ी सहने की शक्ति प्रदान करें।
ॐ शांति: pic.twitter.com/oELgRbzDwu
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) January 12, 2023
इस सामूहिक अभियान का मकसद इम्तिहान के अगले पर्चे की “गेसिंग” हासिल करना होता। जैसे रिसाव के बाद गैस हवाओं में फैल जाती है, चौक में ‘गेसिंग’ फैल जाया करती।
इस काम के लिए वहाँ बहुत-सी फोटो-कॉपी की दुकानें भी हुआ करती थीं। जिस नेता की गैसिंग जितनी खरी साबित होती, उसे उतना पक्का नेता माना जाता। 1974 में सेठ गोविन्ददास के निधन पर खाली हुई संसदीय सीट पर संयुक्त विपक्ष की ओर से शरद यादव ने चुनाव लड़ा।
देश की विगत पांच दशक की सियासत में शरद यादव उन चुनिंदा नेताओं में से एक थे, जिनका सार्वजनिक जीवन पारदर्शी था, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय के प्रति जिनकी प्रतिबद्धता निर्विवाद थी! विनम्र श्रद्धांजलि। pic.twitter.com/I8CDkEt3sI
— sudeep thakur सुदीप ठाकुर (@sudeep_rjn) January 13, 2023
तब मालवीय चौक में होने वाली सभाओं के लिए सभी दिशाओं में 2-3 किलोमीटर की लंबाई तक चुंगे लगा करते थे। इस तरह चौक में गूँजने वाली आवाज बड़ी संख्या में लोगों तक पहुँचती। इससे पहले आम सभाएँ प्रायः श्रीनाथ की तलैया में होती थीं और इसके भी पहले तिलक भूमि तलैया में। तिलक भूमि तलैया में मंच के रूप में एक चबूतरा जैसा बना हुआ था। इस जगह की एक और खासियत यह थी कि यहाँ स्कूली लड़कों के लिए एक ‘बच्चा बाज़ार’ लगा करता था।
यहाँ ऊँचे और निचले दर्जों के बच्चों के बीच किताबों के लेन-देन का कारोबार होता था। बच्चों की खूब भीड़ होती और ज्यादातर दसवें और ग्यारहवें दर्जे के बच्चे यहाँ आया करते थे। आंदोलनों का केंद्र बन जाने की वजह से आगे चलकर राजनीतिक सभाएँ भी मालवीय चौक में ही होने लगीं।
वरिष्ठ समाजवादी नेता शरद यादव नहीं रहे. उनका एक पुराना भाषण सुना जाए.#SharadYadav pic.twitter.com/xYCVY0C1ex
— Masihuzzama Ansari (مسیح الزماں انصاری) (@masihuzzama_) January 12, 2023
यहाँ कई बड़े नेताओं के भाषण हुए। जयप्रकाश नारायण और राजीव गाँधी से लेकर वी.पी. सिंह, एच. डी. देवेगौड़ा, मधु लिमये वगैरह की सभाएँ मालवीय चौक में ही हुईं। उपचुनाव में संसदीय सीट जीतकर शरद यादव छात्र नेता से पूर्णकालिक नेता में बदल गए। आपातकाल के बाद 77 का चुनाव भी जीता।
इसके बाद जब उन्होंने जबलपुर छोड़ा और पलटकर मालवीय चौक आए तो राजनीति करने नहीं आए। अपने पसंदीदा पान के ठेले में पान खाने के लिए आए जहाँ आज भी उनका खाता चलता है। खाता उन्होंने जानबूझकर बन्द नहीं किया है और कहते हैं कि आज की तारीख में उनके खाते में कोई साढ़े चार सौ रुपयों की उधारी है। पान की उधारी भले ही चुक जाए, जो कर्ज मालवीय चौक पर है वह तो नहीं चुकाया जा सकता! शरद यादव को सादर नमन!
बेटी का भावुक पोस्ट- पापा नहीं रहे, देश भर के प्रमुख राजनीतिज्ञों ने किया याद
जनता दल यूनाइटेड के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव नहीं रहे। गुरुवार 12 जनवरी की रात गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में उनका निधन हो गया। वह 75 साल के थे। सांस लेने में तकलीफ होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी बेटी ने निधन की जानकारी दी।
"सामाजिक न्याय के प्रणेता थे शरद यादव"
– लालूप्रसाद यादव, पूर्व मुख्यमंत्री, बिहार
ट्वीट कर दी श्रद्धांजलि@RJDforIndia | @laluprasadrjd | #SharadYadav https://t.co/7M1CMkXvj8 pic.twitter.com/jy0vNyVDaz
— Meena Kotwal (मीना कोटवाल) (@KotwalMeena) January 12, 2023
उनका पार्थिव शरीर दिल्ली के छतरपुर स्थित उनके निवास स्थान पर रखा गया, जहां लोग उनके अंतिम दर्शन कर सकेंगे।शरद यादव की बेटी शुभाषिनी यादव ने ट्वीट करके पिता के निधन की जानकारी दी।
शुभाषिनी ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘पापा नहीं रहे।’ सूत्रों के मुताबिक, अपने अंतिम समय में वे बीमार चल रहे थे और उनका इलाज गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में चल रहा था। शरद यादव के निधन से पूरे राजनीतिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।
मध्य प्रदेश में पैतृक गांव में होगा अंतिम संस्कार
दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और जदयू नेता शरद यादव को श्रद्धांजलि दी। pic.twitter.com/6ibe6ILRLG
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 13, 2023
शरद यादव के दामाद राज कमल राव ने कहा, उन्हें कार्डियक अरेस्ट हुआ था, हम उन्हें अस्पताल लेकर गए। वहां पहुंचने के बाद डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
उन्हें किडनी की समस्या थी और डायलिसिस पर थे। उनके पार्थिव शरीर को मध्य प्रदेश में उनके पैतृक गांव ले जाया जाएगा जहां अंतिम संस्कार किया जाएगा।
फोर्टिस अस्पताल ने जारी किया बयान
शरद यादव गेले. #RSS विरोधात लढणारा सच्चा योद्धा हरपला. अनेकांना माहित नसेल पण, जेव्हा नितीश कुमार भाजपाबरोबर समझोता करायला गेले, तेव्हा शरद यादव यांना केंद्रात संरक्षण मंत्रिपदाची ऑफर देण्यात आली परंतु, त्यांनी सिद्धांत श्रेष्ठ मानून ते नाकारले. व RSS बरोबर जाणार नाही,
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— Prakash Ambedkar (@Prksh_Ambedkar) January 13, 2023
गुड़गांव के फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट ने बयान जारी करते हुए कहा, शरद यादव को बेहोशी की हालत में गुरुग्राम के फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट में इमरजेंसी में लाया गया था। जांच करने पर उनके शरीर में कोई हलचल नहीं थी और रक्तचाप भी मापने योग्य नहीं था।
एसीएलएस प्रोटोकॉल के तहत उनका सीपीआर किया गया। तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें सामान्य नहीं किया जा सका और रात 10 बजकर 19 मिनट पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। हम उनके परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करना चाहते हैं।
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके थे
मैं आज अश्रुपूरित श्रद्धांजलि समाजवादी नेता व मंडल मसीहा श्रद्धेय शरद यादव जी को उनके स्मृतिशेष होने पर समर्पित करती हूँ । कोटि कोटि नमन श्रद्धेय शरद जी!
🙏🏼 pic.twitter.com/nmp8s0f5uH
— Yash Yaduvanshi (@yashyadavaa) January 13, 2023
शरद यादव जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके थे। उनका नाम देश के बड़े समाजवादी नेताओं में शुमार किया जाता था। उनके करीबियों के मुताबिक, शरद यादव का राजनीतिक कद इतना ऊंचा था कि जब वे बोलते थे तो पूरा देश सुनता था। मंत्री रहे हों या विपक्ष के सांसद, उनके सामने कभी कोई ऐसा सवाल नहीं आया जिसका जवाब उन्हें नहीं सूझा हो। उनका जवाब सुनकर प्रश्न पूछने वाले चुप रह जाया करते थे।
शरद यादव का जन्म 1 जुलाई 1947 को मध्यप्रदेश के होशंगाबाद के बंदाई गांव में किसान परिवार में हुआ था। किसान के घर जन्मे शरद पढ़ने लिखने में काफी तेज थे। छात्र राजनीति से लेकर राष्ट्रीय राजनीति में पहचान बनाने वाले शरद यादव ने बिहार की राजनीति में भी बड़ा मुकाम हासिल किया था। शरद यादव ने मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और फिर बिहार में अपना राजनीतिक परचम लहराया था। नीतीश कुमार से हुए विवाद के बाद उन्होंने जदयू का साथ छोड़ दिया था। वो बिहार की मधेपुरा सीट से कई बार सांसद रह चुके थे।
लोहिया के विचारों से प्रेरित
😭
समाजवाद के पुरोधा,समाजवादी आंदोलन का एक मजबूत स्तंभ,वरिष्ठ समाजवादी नेता,गरीब,दलित पिछड़ों,अल्पसंख्यकों के आवाज़,डॉ० अंबेडकर के विचारों पर चलने वाले,मंडल आंदोलन के नायक,पूर्व केंद्रीय मंत्री,अभिभावक आदरणीय श्री शरद यादव जी के निधन की खबर से बहुत मर्माहत हूँ।भारतीय। (1/2) pic.twitter.com/djQKx57DBo
— Shiv Chandra Ram Chamar (@ShivChandraRamm) January 12, 2023
वे डॉ. राम मनोहर लोहिया के विचारों से बहुत प्रेरित थे। उन्हीं से प्रेरणा पाकर शरद यादव ने कई आंदोलनों में हिस्सा लिया था। इतना ही नहीं, वे ‘मीसा’ के तहत 1969-70, 1972 और 1975 में जेल भी गए। सक्रिय राजनीति में शरद यादव ने साल 1974 में कदम रखा था
तब वे वे पहली बार जबलपुर लोकसभा सीट से सांसद बने। वे कुल सात बार यूपी एमपी और बिहार से चुनकर लोकसभा पहुंचे थे। उनके राजनीतिक कद का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वे कई सरकारों में केंद्रीय मंत्री भी रहे।
शरद यादव ने अपनी खुद की पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल शुरू की थी। मार्च 2020 में उन्होंने लालू यादव के संगठन राजद में विलय कर लिया। उन्होंने कहा था कि एकजुट विपक्ष की ओर पहला कदम