जंगलों में पिछले 2 साल में 40 हजार से ज्यादा जगह लगी
आग, ज्यादा घटनाओं के बावजूद कंट्रोल स्थिति नियंत्रित
रायपुर। देशभर में जहां जंगलों का एरिया (क्षेत्रफल) घट रहा है वहीं, छत्तीसगढ़ के लिए बड़ी राहत इसलिए है क्योंकि यहां दो साल में वन क्षेत्र 106.03 वर्ग किमी बढ़ गया है। यह वृद्धि भी तब है, जबकि पिछले दो सालों में 40 हजार से ज्यादा स्थानों पर जंगलों में आग लगी।
इसके बाद भी 2019 के 55,610 वर्ग किमी जंगल 2021 में बढ़कर 55,716.60 वर्ग किमी हो गए हैं, यानी 106 किमी की वृृद्धि हुई है। इसकी वजह यह है कि बस्तर से लेकर सरगुजा तक के जंगल बीट लेवल पर एफएसआई के अर्ली वार्निंग सिस्टम से जुड़ गए हैं। इससे जंगल में तापमान बढ़ने का भी पता चल जाता है।
अरूणाचल और मध्यप्रदे्श के बाद तीसरे पायदान पर छत्तीसगढ़ के जंगल
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छत्तीसगढ़ वनों के क्षेत्रफल के मामले में अरुणाचल प्रदेश और मध्यप्रदेश के बाद तीसरे स्थान पर है। राज्य में वन क्षेत्रफल में वृद्धि दर्ज की गई है। भारतीय वन सर्वेक्षण (आईएसएफआर) द्वारा तैयार रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में जहां कुल वन क्षेत्र 55,610.57 वर्ग किमी था। वहीं, 2021 में बढ़कर यह 55,716.60 वर्ग किमी हो गया है। हालांकि, दो जिले बस्तर (0.51 वर्ग किमी) और कबीरधाम (0.84 वर्ग किमी) में वन क्षेत्रफल में आंशिक रूप से कमी आई है।
दरअसल अर्ली वार्निंग सिस्टम से मिली सूचनाओं के आधार पर स्थानीय स्तर पर आग को काबू में करने की पूरी तैयारी पहले ही की जाने लगी है। इसके अलावा वन कर्मचारियों ने एएनआर (असिस्टेड नेचुरल रिजर्वेशन) एरिया के बाहर बहुत सारी फायर लाइनें बना रखी हैं।
इनसे आग को फैलने से रोकने में मदद मिलती है। बता दें कि एफएसआई एसएनपीपी- वीआईआईआरएस सेंसर के द्वारा देश भर के जंगलों में लगी आग का डेटा बीट लेवल पर इकट्ठा करता है और अर्ली वार्निंग भी देता है। भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) ने नवंबर 2020 और जून 2021 के बीच एसएनपीपी- वीआईआईआरएस सेंसर का इस्तेमाल कर दावानल संबंधी 3 लाख 45 हजार 989 चेतावनियां देश भर के राज्यों को भेजीं।
स्थान की भी सटीक जानकारी
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विभागीय अफसरों का कहना है कि एफएसआई के फारेस्ट फायर मॉनिटरिंग सिस्टम से छत्तीसगढ़ के बीट को भी जोड़ दिया गया है। ऐसे में फॉरेस्ट मैपिंग और जीआईएस सिस्टम की मदद से आग लगने के स्थान की सटीक जानकारी मिल जाती है और समय रहते आग को काबू में कर लिया जाता है।
ऐसे में पेड़ों को ज्यादा नुकसान नहीं होता है। रिपोर्ट के मुताबिक आग लगने की सर्वाधिक घटनाएं बस्तर संभाग में दर्ज की गई हैं। पिछले चार सालों से जंगल में आग लगने के मामले में बीजापुर मंडल टॉप पर है। यहां पर पिछले चार सालों में 7154 घटनाएं हुईं हैं।
पिछले दो साल से बलरामपुर मंडल दूसरे स्थान पर है। यहां पिछले चार साल 4429 स्थानों पर आग लगने की घटना हुई है। जबकि सुकमा पिछले दो साल से तीसरे स्थान (कुल 2543 घटनाएं) पर है। इससे पहले 2019, 2020 में यह दूसरे स्थान (कुल 2298 घटनाएं) पर था।
जंगल जलने में देश में बीजापुर तीसरा
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जंगलों में लगने वाली आग के मामले में छत्तीसगढ़ का बीजापुर देश में तीसरे स्थान पर है। यहां नवंबर 2020 से जून 2021 के बीच 5,499 स्थानों पर आग लगी। महाराष्ट्र के गढ़ चिरौली में 10, 577 और ओडिशा के कंधमाल में 6,156 स्थानों पर आग लगने की घटनाएं हुईं। इसी अवधि में छत्तीसगढ़ में कुल 38, 106 स्थानों पर आग लगी।
यहां के जंगलों में सबसे ज्यादा आग हादसे 2017 में
17 साल में सबसे ज्यादा 33,179 आग हादसे 2017 में हुए। 2017 और 2018 को मिलाकर कुल 56,270 स्थानों पर आग लगी। प्रदेश के जंगलों में सबसे कम आग लगने की घटनाएं 2006 में केवल 99 स्थानों पर हुई।
प्रदेश में ग्राउंड लेवल पर झाड़ियों में ही आग लग रही है। प्रदेश मं छत्तीसगढ़ में क्राउन फायर यानी पेड़ जलने जैसे हादसे तीन साल में नहीं हुए। अलर्ट सिस्टम से भी काफी मदद मिली है।
राकेश चतुर्वेदी, पीसीसीएफ-छत्तीसगढ़