अपने पालतू जगुआर और पैंथर के बिना
यूक्रेन नहीं छोड़ने भारतीय डाक्टर की जिद
कीव। रूस और यूक्रेन के बीच अभी भी युद्ध चल रहा है। लाखों यूक्रेन निवासियों को दूसरे देशों में शरण लेनी पड़ी है, हज़ारों की संख्या में लोग मारे गए हैं और अब भी न जाने कितनों के सिर पर मौत मंडरा रही। यूक्रेन में भारतीय मूल के डॉक्टर गिरि कुमार पाटिल भी रह रहे हैं। वे पूर्वी यूक्रेन के में सेवरोदोनेत्स्क टाउन में पिछले 6 साल से रह हैं।
बीते 4 महीनों में कई भारतीयों और भारतीय छात्रों को यूक्रेन से सुरक्षित हिन्दुस्तान वापस लाया गया है। इस बीच वहां रह रहे आंध्र प्रदेश के पाटिल ने स्वदेश न लौटने का निर्णय लिया है। इसकी वजह हैं उनके दो पालतू जानवर एक जगुआर और एक ब्लैक पैंथर। लगभग 20 महीने पहले कीव के एक चिड़ियाघर से पाटिल ने इन दोनों पशुओं को गोद लिया था। पाटिल अपने इन दोनों पालतू जानवरों के बिना यूक्रेन छोड़ने को राज़ी नहीं हैं।
बम शेल्टर बनवा रहे, जिससे जान बचे खास दोस्तों की
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शेलिंग, गोलीबारी और सिर पर चौबीस घंटे मंडरा रही मौत के बावजूद पाटिल रोज़ जान पर खेलकर अपने पेट्स के लिए खाने की व्यवस्था करते हैं। पाटिल ने बताया कि वह अपने इन दोस्तों को बचाने के लिए 80 लाख रुपये का बम शेल्टर बनवा रहे हैं। पाटिल ने कहा कि उनके पास दूसरा कोई चारा नहीं था क्योंकि चिड़ियाघरों ने इनको रखने से मना कर दिया। रिपोर्ट के अनुसार, इस शेल्टर को बनाने के लिए पाटिल ने अपनी पूरी संपत्ति खर्च कर दी।
घर लौटने का निर्णय लिया
पाटिल ने बताया कि उनके माता-पिता उन्हें बेचैन होकर, परेशान होकर फोन करते हैं। पाटिल किसी भी हालत में बेज़ुबानों को छोड़कर जाने के लिए तैयार नहीं हैं। दो महीने तक युद्ध ग्रसित देश में रहने के बाद पाटिल ने घर लौटने का निर्णय लिया है। इसकी वजह है उन्हें स्थानीय जवानों ने अपराधी समझ लिया और धमकी दी।
खबर के अनुसार, भारत लौटकर पाटिल अपने इन ‘बच्चों’ को यूक्रेन से लाने की हर पूरी कोशिश करेंगे। उनका कहना है कि वो किसी भी हालत में अपने इन दोस्तों को भारत लेकर आएंगे। बता दें कि पाटिल 2007 में मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए यूक्रेन गए थे। इसके बाद 2014 से वे वहीं पर प्रैक्टिस कर रहे हैं।