पेरू की नाज्का रेखाओं की तरह चौंकाती है राजस्थान
की आकृतियां, इन्हें समझना अब भी बेहद मुश्किल
जयपुर। अगर आप पेरु देश के रहस्यमयी रेखाचित्रों के विषय में जानते हैं तो आपके लिए यह जानना भी दिलचस्प हो सकता है कि कुछ ऐसी ही रेखाकृतियां हमारे राजस्थान में भी है। यहां एक लाख स्क्वॉयर मीटर में सांप की तरह बनी विशाल भू-आकृति फैली हुई है। अमेरिकी और ब्रिटिश विशेषज्ञों ने दावा किया है कि यह अब तक धरती पर बनाई गई सबसे विशाल रेखाएं हो सकती है।
इससे पहले दक्षिण अमेरिकी देश पेरू के नाज्का रेगिस्तान में मिली आकृतियों की ही चर्चा की जाती थी। यहां की एक पहाड़ी पर बनी 121 फीट की विशाल बिल्ली की आकृति पूरी दुनिया में भी खूब मशहूर हुई थी। सर्पिल कलाकृति भारत में थार रेगिस्तान में लगभग दस लाख वर्ग फुट के क्षेत्र को कवर करती है। यह छोटे-छोटे भूभागों में एक श्रृंखला के रूप में बनी हुई है। इसे पहली बार गूगल अर्थ पर फ्रांसीसी रिसर्च टीम में शामिल पिता पुत्र की जोड़ी ने देखा था। इनका नाम कार्लो और योहान ओथेमर है। उनके अनुसार, भारत के थार रेगिस्तान में में मिली लाइन नाज्का रेगिस्तान में बनी किसी भी एक लाइन से काफी बड़ी है।
राजस्थान के बोहा गांव में हैं ऐसी आकृतियां, मिली 8 साइट
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रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान के बोहा गांव के पास रेत और गाद को खुरचकर बनाई गई रेखाएं चार अलग-अलग प्रतीक बनाती हैं। इसमें से एक प्रतीक 2364 फीट लंबा और 650 फीट चौड़ा है। यह साढे सात मील की रेखा के अंदर बना हुआ है। इस स्टडी के लेखर किसी भी संस्था से संबंधित नहीं हैं। उनका दावा है कि ये लाइनें कम से कम 150 साल पुरानी हैं। हालांकि, उनका दावा है कि ये इससे भी पुरानी हो सकती हैं।
गूगल अर्थ में इस टीम को आठ साइटें मिली हैं, जिनमें से सात को प्राकृतिक रूप से बने होने का दावा किया गया है। इस टीम ने साल 2016 में इस क्षेत्र के ऊपर ड्रोन उड़ाकर पूरे एरिये की मैपिंग भी की थी। ड्रोन उड़ान के दौरान उन्होंने पाया कि आठ अनुमानित स्थलों में से सात वास्तव में असफल वृक्षारोपण के लिए खोदे गए गड्ढे थे। उन्होंने पाया कि बोहा गांव के पास आठवें स्थान पर चार अलग-अलग प्रतीक थे, जो अलग-अलग लंबाई और 20 इंच चौड़ी रेखाओं से बने थे।
नाज्का लाइंस से लंबी है राजस्थान की भू आकृति
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जमीन पर बने इसे जियोग्लिफ्स के केंद्र में 2,374 फीट लंबा और 650 चौड़ा एक प्रतीक बना हुआ है। यह एक साढ़े सात मील की सर्पिलिंग लाइन से बना है। टीम ने बताया कि इस मेगा-सर्पिल के दक्षिण-पश्चिम में दूसरी पंक्ति है जो समानांतर रेखाओं की ग्रिड बनाने के लिए बार-बार घूमती हुई अंदर की ओर आती है।
उत्तर और दक्षिण-पश्चिम में छोटे जियोग्लिफ की एक जोड़ी भी है, लेकिन वे दोनों समय के साथ नष्ट हो गए हैं। उनका दावा है कि यह पेरू के नाज्का रेगिस्तान में बनी किसी भी रेखा से लंबी है। शोधकर्ताओं के अनुसार, राजस्थान में बनी इन लाइनों को जमीन से नहीं देखा जा सकता है। इसके लिए ऊंचाई से देखने की जरूरत है।
क्या होती हैं जियोग्लिफ्स या भू-आकृतियां
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जियोग्लिफ्स दरअसल जमीन पर बनी आकृतियां होती हैं। जिसे जमीन कर किसी मूविंग ऑब्जेक्ट्स की सहायता से बनाया जाता है। आम तौर पर चार मीटर से अधिक लंबे होते हैं और पत्थर, पेड़ और बजरी जैसे टिकाऊ वस्तुओं से मिलकर बने होते हैं। एक सकारात्मक जियोग्लिफ का निर्माण जमीन पर रखी गई सामग्री से होता है जबकि एक नकारात्मक जियोग्लिफ सामग्री को हटाकर बनता है।
1970 के दशक से अमेजन वर्षावन में कई भू-आकृति की खोज की गई है। वे अक्सर अजीब तरीके से बनी वर्गाकार, गोलाकार या षट्कोणीय आकृतियों के साथ मानव निर्मित होती हैं। इनमें सबसे प्रसिद्ध जियोग्लिफ में नाज्का रेखाएं शामिल हैं।