नई दिल्ली: काफी वक्त के बाद कोरोना एक बार फिर से सुर्खियों में है। इस बार इसके चर्चा में आने की वजह बना है इसका नया वैरिएंट ईजी.5.1। तेजी से फैलते ओमिक्रॉन से निकले इस वैरिएंट ने ब्रिटेन में स्वास्थ्य अधिकारियों को सतर्क कर दिया है। इस वैरिएंट को एरिस नाम दिया गया है। ब्रिटेन में बीते महीने एरिस का सबसे पहला मामला सामने आया था। इंग्लैंड के स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक इसके बाद से यह बेहद तेजी से फैल रहा है। ब्रिटिश स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी के मुताबिक हर सात नए केस में एक केस एरिस का है। ताजा आंकड़ों मुताबिक यह 14.6 फीसदी केसेज के लिए जिम्मेदार है।
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बढ़ रहे थे गेम
यूकेएचएसए के मुताबिक पिछली रिपोर्ट की तुलना में इस हफ्ते कोविड-19 के मामले बढ़ते रहे। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, विशेष रूप से एशिया में बढ़ते मामलों के कारण देश में इसका प्रसार दर्ज किए जाने के बाद एरिस को 31 जुलाई को एरिस की पहचान कोरोना वैरिएंट के रूप में हुई। रिपोर्ट के मुताबिक अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। हालांकि अभी यह बेहद कम है और आईसीयू में पहुंचने वालों की संख्या भी इतनी ज्यादा नहीं है। यूकेएचएसए की वैक्सीनेशन चीफ डॉ. मैरी रामसे ने कहा कि हम देश में कोरोना के बढ़ते मामलों पर नजर रखे हुए हैं।
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डब्लूएचओ भी रख रहा नजर
डॉ. मैरी रामसे ने कहा कि लगातार और अच्छे ढंग से हाथ धोते रहने से कोरोना से बेहतर ढंग से हिफाजत हो सकती है। उन्होंने ब्रिटेन के लोगों को सलाह देते हुए कहा कि अगर किसी को फेफड़े से जुड़ी बीमारी है तो उसे अन्य लोगों से दूर ही रहना चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने दो हफ्ते पहले ही ईजी.5.1 वेरिएंट पर नजर रखना शुरू किया था। उस वक्त डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस ने कहा था कि हालांकि लोग टीकों और पूर्व संक्रमण से बेहतर तरीके से सुरक्षित हैं, लेकिन देशों को अपनी सतर्कता कम नहीं करनी चाहिए।