अपोलो अस्पताल से दी गई छुट्टी, शासन-प्रशासन ने दी विदाई
बिलासपुर। जांजगीर-चांपा जिले के बोरवेल से सुरक्षित बाहर निकाले गए बहादुर बालक राहुल (brave boy Rahul) को 10 दिन बाद शनिवार 25 जून को अपोलो अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। राहुल अब पूरी तरह स्वस्थ है। वह खुद अपने पैरों पर चल रहा है। राहुल को विदा करने के लिए बिलासपुर के लोग भी अपोलो पहुंचे।
मुख्यमंत्री ने जताई खुशियां, सरकार करवाएगी स्पीच थेरेपी
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राहुल के घर वापसी को लेकर खुशी जाहिर की है। सीएम ने कहा कि 104 घंटे की लगातार मैराथन रैस्क्यू आपरेशन के बाद बोरवेल से सुरक्षित निकलना और मेडिकल समस्या के बाद भी डाक्टरों की तत्परता और गंभीरता की वजह से ही राहुल ठीक हो सका है।
उन्होंने राहुल के स्वस्थ्य होकर लौटने पर डाक्टरों की मेहनत और प्रशासन की तत्परता पर संतोष जाहिर की है। वहीं अधिकारियों ने कहा कि जांजगीर और बिलासपुर जिला प्रशासन के साथ अपोलो प्रबंधन ने काफी मेहनत कर राहुल को दोबारा जीवनदान दिया है। उन्होंने कहा कि राहुल की स्पीच थेरेपी करवाई जाएगी, जिससे वह बोलने में सक्षम हो सके।
अपोलो से डिस्चार्ज के दौरान राहुल से मिलने प्रदेश के कांग्रेस नेताओं के साथ ही शहर की आम जनता भी उसकी एक झलक पाने के लिए अपोलो अस्पताल पहुंची। सभी ने हाथ दिखाकर राहुल को विदा किया। इस अवसर पर राज्य पर्यटन मंडल के चेयरमेन अटल श्रीवास्तव, जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष प्रमोद नायक, कलेक्टर डा सारांश मित्तर, एसएसपी पारूल माथुर, सीएमएचओ प्रमोद महाजन व जांजगीर कलेक्टर जितेन्द्र शुक्ला मौजूद रहे।
विदाई देने पहुंचे जांजगीर और बिलासपुर के कलेक्टर
राहुल को विदा करने के लिए बिलासपुर कलेक्टर सारांश मित्तर अपोलो पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कहा कि राहुल के बेहतर इलाज और उसके पल-पल की स्थिति के लिए सीएम भूपेश बघेल ने निर्देशित किया था।
इसके अलावा निजी तौर पर राहुल के स्वास्थ्य को लेकर ध्यान दिया गया है। जांजगीर कलेक्टर जितेन्द्र शुक्ला ने कहा कि रेस्क्यू के दौरान पूरे 5 दिन मौके पर उपस्थित थे। राहुल के जीवन जीने की दृढ़ इच्छा ने पूरे रेस्क्यू ऑपरेशन को सफल बनाया। उन्होंने कहा कि राहुल के डिस्चार्ज होने पर काफी खुशी हो रही है। वह स्वस्थ है, यह जानकर मेरा मन खुश हो रहा है।
कलेक्टर शुक्ला के साथ एसपी अग्रवाल
ने राहुल को किया गाँव के लिए रवाना
जांजगीर कलेक्टर जितेंद्र कुमार शुक्ला ने शनिवार को अपोलो अस्पताल बिलासपुर पहुँचकर राहुल साहू के स्वास्थ्य की जानकारी ली। उपचार के बाद लगभग पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद उन्होंने स्वागत के साथ राहुल को अपने जिले जांजगीर-चाम्पा के ग्राम पिहरीद के लिए रवाना किया।
इस दौरान जिले के पुलिस अधीक्षक विजय अग्रवाल भी मौके पर उपस्थित थे। कलेक्टर ने राहुल के परिजनों से भी बात की और कहा कि पूरा जिला प्रशासन आपके साथ है। राहुल के लिए किसी प्रकार की आवश्यकता होने पर हर सम्भव मदद की जाएगी। उन्होंने राहुल का बेहतर तरीके से देख रेख करने का भी आग्रह किया।
कलेक्टर शुक्ला ने राहुल साहू के बेहतर उपचार के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा की गई व्यवस्था पर उनके प्रति धन्यवाद भी ज्ञापित किया है। इसके साथ ही कलेक्टर शुक्ला ने अस्पताल प्रबंधन, बिलासपुर कमिश्नर,आईजी व कलेक्टर को भी राहुल के बेहतर उपचार और आवश्यक व्यवस्था के लिए धन्यवाद दिया है।
कलेक्टर जितेंद्र कुमार शुक्ला ने राहुल को सकुशल गृह ग्राम ले जाने हेतु जिले के अधिकारियों को भी आवश्यक निर्देश दिए हैं। उन्होंने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, चिकित्सकों को भी राहुल के स्वास्थ्य की जानकारी समय-समय पर लेने के निर्देश दिए हैं।
बैक्टीरियल इंफेक्शन से जूझ रहा था राहुल
जांजगीर-चांपा जिले के मालखरौदा के पिहरीद गांव में बोरवेल में गिरे बच्चे राहुल साहू का इलाज अपोलो अस्पताल में चल रहा था। राहुल को जब अस्पताल लाया गया था, तब भी राहुल की स्थिति उतनी खराब नहीं थी, इलाज के दौरान डॉक्टरों को उसके शरीर के खुले जख्मों में जानलेवा बैक्टीरियल इंफेक्शन मिला, डाक्टरों ने तत्काल ही हेवी एंटीबायोटिक डोज देना शुरू कर दिया है।
इसके बाद कल्चर रिपोर्ट के आधार पर डाक्टरों को पता चला कि खून के सेल के साथ सिड्यूमोनस एरोजिनोसा नामक बेक्टीरिया मिला है। इस दौरान उसे दो दिनों तक फीवर रहा है और हाथ पैर में अकड़न की शिकायत रही, जिसके लिए डाक्टरों की एक टीम 24 घंटें निगरानी देती रही, और फिजियो थेरेपी की मदद से उसके शरीर में मूवमेंट लाया गया। हैवी एंटीबायटिक से शरीर के संक्रमण तेजी से खत्म हो गए है। डॉक्टरों ने बताया कि राहुल की तेजी से रिकवरी चमत्कार से कम नहीं है।
गिरा था 60 फीट गड्ढे में, 5 दिन बाद निकाला गया सुरक्षित
पिहरीद गांव का राहुल अपने घर के पीछे खेलते समय 10 जून की दोपहर को 60 फीट बोरवेल के गड्ढे में गिर गया था। जैसे ही जिला प्रशासन को इस घटना की सूचना मिली देर शाम से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया गया। कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला की अगुवाई में जिला प्रशासन की टीम पिहरीद गांव पहुंची और रेस्क्यू ऑपरेशन की शुरुआत की गई।
एनडीआरएफ, सेना और एसडीआरएफ ने एसईसीएल के विशेषज्ञों की मदद से बड़े पैमाने पर बचाव अभियान शुरू किया। बचावकर्मियों ने बोरवेल के समानांतर गड्ढे की खोदाई की, और बोरवेल में फंसे राहुल से केवल एक मीटर की दूरी पर चट्टान की वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन में दिक्कत आई लेकिन बचाव दल ने चुनौतियों से निपट लिया।
आखिरकार 5 दिन बाद 104 घंटे की मशक्कत के बाद 15 जून रात 11 बजकर 46 मिनट पर रेस्क्यू टीम ने चट्टान तोड़कर राहुल को सुरक्षित बोरवेल से बाहर निकाला गया।
एक माह बाद फिर अपोलो में दिखाना होगा, हिदायत भी दी
डाक्टर इंद्रा मिश्रा ने बताया कि वर्तमान में राहुल को तीन दिनों का सीरप व एंटीबायोटिक दिया गया है, वहीं चोट के घाव में एंटीबायोटिक मरहम दिया गया है। फीजियो थेरेपी के कारण वह चल फिर रहा है, आने वाले दिनों में और बेहतर तरीके से चल पाएगा और दौड़ भी सकेगा। डाक्टरों ने राहुल के परिजनों को सलाह दी गई है कि राहुल को घर पर अकेला नहीं छोड़ा जाए। डाक्टरों का कहना है कि अभी भी गिरने की बात करने पर राहुल खामाेश हो जाता है और कुछ भी रिएक्ट नहीं करता है।
उस घटना की याद राहुल को पसंद भी नहीं है। एक व्यक्ति को 24 घंटे उसके साथ में रहने की सलाह दी गई है। डाक्टर मिश्रा ने कहा कि 12 वर्ष की आयु के बाद ठीक से बाेल पाना सीखना थोड़ा मुश्किल है लेकिन स्पीच थैरेपी की मदद से कुछ बोलना सीख सकता है। इस दौरान परिजनों को ज्यादा से ज्यादा बातचीत करना होगा। राहुल को मोबाइल और टीवी से थोड़ा दूरी बनाने की बात भी कही गई है।