बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (Chhattisgarh High court)में अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि किसी कर्मचारी के विरुद्ध विभागीय जांच और आपराधिक अभियोजन एकसाथ नहीं चलाया जा सकता है।
कोर्ट ने सोमवार 27 जून को अपनी कार्यवाही के दौरान याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत प्रदान करते हुए विभागीय जांच की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। एसईसीएल प्रबंधन ने याचिकाकर्ता के विरुद्ध विभागीय जांच का आदेश जारी कर दिया था। कोर्ट की सुनवाई पूरी होते तक कार्रवाई पर रोक लगी रहेगी।
तपेश्वर मंडल ने अधिवक्ता सुशोभित सिंह के जरिए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि एक आरोप में उसके खिलाफ पुलिस द्वारा आपराधिक प्रकरण दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि इसमें उनकी किसी तरह की संलिप्तता सामने नहीं आई है और ना ही पर्याप्त साक्ष्य ही है। इसके बाद भी झूठी शिकायत के आधार पर मुकदमा दर्ज कर आपराधिक प्रकरण चलाए जा रहे हैं। इसी बीच एसईसीएल प्रबंधन ने भी बिना किसी जांच पड़ताल और उनका पक्ष सुने बगैर ही विभागीय जांच का आदेश जारी कर दिया है।
आदेश जारी होने के बाद उसके खिलाफ विभागीय अधिकारी ने जांच प्रारंभ कर दी है। याचिकाकर्ता ने आशंका जाहिर की है कि बिना किसी साक्ष्य के की जा रही कार्रवाई से उसका अहित हो जाएगा।
शिकायत के आधार पर पुलिस ने एफआइआर दर्ज कर जांच प्रारंभ कर दी है। इसके बाद एसईसीएल प्रबंधन ने याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप पत्र जारी करते हुए विभागीय जांच का आदेश जारी कर दिया है।
निरीक्षकों को हाईकोर्ट से मिली राहत
पुलिस के दो निरीक्षकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने दोनों को राहत देते हुए निचली अदालत द्वारा जारी विभागीय जांच और कार्रवाई के आदेश को खारिज कर दिया है।
विधानसभा थाना में पुलिस निरीक्षक के पद पर पदस्थ अश्वनी राठौर और लक्ष्मण कुमेटी ने अपने वकील के जरिए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि थाने में एक मामले में अपराध दर्ज होने के बाद अश्वनी राठौर ने जांच शुरू की थी।
जांच कार्रवाई आगे ही बढ़ रही थी उसी बीच पुलिस मुख्यालय ने आदेश जारी कर उनका तबादला अन्य थाना क्षेत्र के लिए कर दिया। उनके तबादले और रिलीव होने के बाद आगे की कार्रवाई को पूरी करने के लिए जांच का काम निरीक्षक लक्ष्मण कुमेटी ने अपने हाथ ले लिया।
जांच के बाद पुलिस निरीक्षक ने विचारण न्यायालय में संबंधित आरोपियों के खिलाफ चालान पेश किया। चालान पेश करने के बाद विचारण न्यायालय ने सुनवाई की प्रक्रिया प्रारंभ की।
सुनवाई के दौरान पुलिस के अधिकारी पुख्ता सबूत पेश नहीं कर पाए। गवाहों और बयानों के आधार पर आरोपी को निचली अदालत ने दोषमुक्त करार दिया। निचली अदालत ने नाराजगी जाहिर करते हुए विवेचना अधिकारियों पर प्रतिकूल टिप्पणी की।
सुनवाई के दौरान निचली अदालत ने विवेचना अधिकारी पर नाराजगी भी जाहिर की। साथ ही उनके खिलाफ विभागीय जांच प्रारंभ करने और दोषी पाए जाने पर विभागीय कार्रवाई का निर्देश दिया था। निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए निरीक्षकों ने अपने वकील के जरिए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।