एक महीने पहले सूखने की कगार पर
थे बांध, अब तेजी से हो रहा जलभराव
रायपुर। छत्तीसगढ़ में पिछले एक पखवाड़े से हो रही भारी बरसात heavy rainfall in chhattisgarh से बस्तर संभाग में बाढ़ का कहर है। वहीं मध्य और उत्तर छत्तीसगढ़ के अधिकांश बांध और जलाशयों में तेजी से जलभराव हुआ है। Rapid waterlogging in most of the dams and reservoirs of Chhattisgarh
प्रदेश के सबसे बड़े जलाशय रविशंकर सागर यानी गंगरेल में 85.77% पानी भर चुका है। वहीं कबीरधाम के छीरपानी और राजनांदगांव के मटियामोती जलाशय लबालब भर चुके हैं।
मौसम विभाग के मुताबिक 16 जुलाई की सुबह 8.30 बजे तक छत्तीसगढ़ में 412.8 मिमी पानी बरस चुका है। सामान्य तौर पर एक जून से 16 जुलाई तक यहां औसतन 382.2 मिमी बरसात होती है।
इस मान से छत्तीसगढ़ में सामान्य से 8% अधिक बरसात हो चुकी है। 13 जिलाें में सामान्य से अधिक पानी बरसा है। आठ जिलों में बरसात की स्थिति सामान्य है। वहीं छह जिलों में सामान्य से कम पानी बरसा है। जशपुर, बलरामपुर और सरगुजा में अभी भी सूखे के हालात बन रहे हैं। प्रदेश के अधिकांश जिलों में शनिवार को भी हल्की से मध्यम स्तर की बरसात जारी है।
इस बीच जल संसाधन विभाग के स्टेट डाटा सेंटर ने बताया है, प्रदेश के 12 बड़े जलाशयों में इस समय 54.48% तक जलभराव हो चुका है। पिछले साल 16 जुलाई तक 53.78% पानी भरा था। मध्यम स्तर के जलाशयों में कुल क्षमता का 58.16% पानी भर चुका है।
2021 में इस समय तक 46.75% जलभराव हो पाया था। गंगरेल जलाशय में 657.82 लाख घन मीटर पानी भर चुका है। वहीं मिनी माता बांगो जलाशय में 1513.64 लाख घन मीटर पानी भरा है। यह कुल क्षमता का 52.30% है।
वहीं खारंग में 70% और सिकासार में 79% जलभराव हुआ है। एक महीने पहले तक इन जलाशयों में सूखे जैसी स्थिति बन रही थी।
छत्तीसगढ़ में मानसून पूर्व बरसात सामान्य नहीं रही। इसकी वजह से मई महीने के मध्य तक कई बांध सूख चुके थे। 16 मई को बड़े जलाशयों में से गंगरेल के पास केवल 53% पानी बचा था। मुरुमसिल्ली, अरपा भैंसाझार जलाशय सूख चुके थे। मझोले जलाशयों में कांकेर का परालकोट जलाशय भी सूख चुका था।
जल संसाधन विभाग के अधिकारी कई जिलों में बांधों का पानी सिंचाई के लिए नहीं देने का मन बना रहे थे ताकि पेयजल और निस्तारी के लिए पानी को सुरक्षित रखा जा सके। जून में भी पानी का संकट खत्म नहीं हुआ था।
सक्रिय है अभी बरसात का सिस्टम
मौसम विभाग के मुताबिक, एक निम्न दाब का क्षेत्र तटीय ओडिशा और उसके आसपास स्थित है। इसके साथ ऊपरी हवा का चक्रीय चक्रवाती घेरा 7.6 किलोमीटर ऊंचाई तक विस्तारित है। मानसून द्रोणिका गुजरात के सौराष्ट्र-कच्छ, गुना, जबलपुर, पेण्ड्रा रोड, हीराकुण्ड, बंगाल की खाड़ी में स्थित निम्न दाब के केंद्र से होते हुए दक्षिण-पूर्व की ओर पूर्व- मध्य बंगाल की खाड़ी तक 1.5 किलोमीटर ऊंचाई तक फैली हुई है।
इसके प्रभाव से प्रदेश के अधिकांश स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा होने अथवा गरज चमक के साथ छीटें पड़ने की संभावना है। मध्य और दक्षिण छत्तीसगढ़ में एक-दो स्थानों पर गरज-चमक के साथ भारी वर्षा की भी संभावना जताई जा रही है।
बीजापुर में सर्वाधिक 1030.1 और सबसे
कम बलरामपुर में 140.2 मि.मी. वर्षा दर्ज
छत्तीसगढ़ शासन के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा बनाए गए राज्य स्तरीय नियंत्रण कक्ष द्वारा संकलित जानकारी के मुताबिक एक जून 2022 से अब तक राज्य में 412.5 मिमी औसत वर्षा दर्ज की जा चुकी है। राज्य के विभिन्न जिलों में 01 जून से आज 17 जुलाई तक रिकार्ड की गई वर्षा के अनुसार बीजापुर जिले में सर्वाधिक 1030.1 मिमी और बलरामपुर जिले में सबसे कम 140.2 मिमी औसत वर्षा दर्ज की गयी है। प्रदेश में पिछले दस वर्षों के आधार पर अब तक वर्षा का औसत 366.8 मि.मी. है।
राज्य स्तरीय बाढ़ नियंत्रण कक्ष से प्राप्त जानकारी के अनुसार एक जून से अब तक सरगुजा में 157.2 मिमी, सूरजपुर में 226.3 मिमी, जशपुर में 167.9 मिमी, कोरिया में 245.3 मिमी, रायपुर में 279.3 मिमी, बलौदाबाजार में 398.7 मिमी, गरियाबंद में 492.9 मिमी, महासमुंद में 437.9 मिमी, धमतरी में 470.8 मिमी, बिलासपुर में 437.6 मिमी, मुंगेली में 477.0 मिमी, रायगढ़ में 369.0 मिमी, जांजगीर-चांपा में 502.1 मिमी, कोरबा में 318.7 मिमी, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही में 435.5 मिमी, दुर्ग में 389.6 मिमी, कबीरधाम में 397.4 मिमी, राजनांदगांव में 456.3 मिमी, बालोद में 539.9 मिमी, बेमेतरा में 308.3 मिमी, बस्तर में 517.5 मिमी, कोण्डागांव में 504.0 मिमी, कांकेर में 566.1 मिमी, नारायणपुर में 415.3 मिमी, दंतेवाड़ा में 464.7 मिमी और सुकमा में 403.7 मिमी औसत वर्षा रिकार्ड की गई।