धान के खेत 5 लाख हेक्टेयर घटे लेकिन पैदावार 2 लाख टन बढ़ेगी
रायपुर। छत्तीसगढ़ के अधिकांश जिलाें में धान की बुआई पूरी होने के बाद रोपा चल रहा है। जून के सूखे के बाद जुलाई में हुई ताबड़तोड़ बारिश से छत्तीसगढ़ में धान समेत खरीफ फसलों की बुआई में हुई देर को कवर कर लिया है और पूरे प्रदेश में खेती-किसानी जोरों पर है। धान को लेकर इस बार खास बात ये है कि सरकार की फसल परिवर्तन की रणनीति के तहत इस बार धान के खेत पिछले साल के मुकाबले करीब 5 लाख हेक्टेयर घटकर 21.87 लाख हेक्टेयर ही हैं, लेकिन ज्यादा पैदावार का टारगेट है।
पिछले साल 98 लाख टन धान पैदा हुआ था, लेकिन इस बार उम्मीद की जा रही है कि खेत कम होने के बावजूद पैदावार 1 करोड़ टन से ऊपर चली जाएगी, यानी पिछले साल से 2 लाख टन ज्यादा। अच्छी बारिश के साथ ही छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में देर से शुरू हुई बुआई भी अब अंतिम दौर में है। जहां बुआई हो चुकी, वहां रोपाई चल रही है।
थोड़ी समस्या बस्तर और सरगुजा में ही है। बस्तर में जरूरत से ज्यादा बारिश होने की वजह से किसान खेतों से पानी निकाल रहे हैं। वहीं, सरगुजा संभाग के सरगुजा, बलरामपुर और सूरजपुर में खेत अब तक सूखे हैं। हालांकि वहां भी शनिवार रात से बारिश शुरू हुई है, इसलिए मौसम विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगले दो-तीन दिन में वहां भी धान की खेती के लायक पानी हो जाएगा। इसलिए धान की फसल पर कोई अंतर नहीं होगा।
खरीफ 27 लाख हेक्टेयर में
प्रदेश में अभी तक लगभग 27 लाख हेक्टेयर से ज्यादा में खरीफ फसलें बोई जा चुकी हैं। सर्वाधिक 21.87 लाख हेक्टेयर में धान, 1.61 लाख हेक्टेयर में मोटा अनाज, 1.5 लाख हेक्टेयर में दलहन, 74 हजार हेक्टेयर में तिलहन तथा 76 हजार हेक्टेयर में सब्जी और अन्य फसलें बोई जा चुकी हैं।
एक्सपर्ट व्यू -डा. जीके दास, कृषि मौसम विज्ञानी
सूखे से उत्पादन बेअसर
प्रदेश के अधिकांश हिस्से में अब खेती-किसानी के लिए पर्याप्त बारिश हो चुकी है। मानसून में हर साल तीन बार सूखे जैसी आशंकाएं पैदा होने लगती हैं। देरी के कारण, जुलाई-अगस्त में मानसून ब्रेक होने और सितंबर-अक्टूबर में फसल पकने से पहले अगर बारिश न हो तो सूखे जैसे हालात बनते हैं। लेकिन अनुभव यही रहा है कि मानसून में थोड़ी देर या छोटे ब्रेक का खरीफ फसलों के उत्पादन पर असर नहीं पड़ता है।