किसानों से पानी का एमओयू,राज्य सरकार और
किसानों के बीच पानी देने करार के लिए अमीन जुटे
रायपुर। राज्य सरकार और किसानों के बीच खेतों में पानी देने करार के लिए अमीन जुटे हुए हैं। जिनका एमओयू को पांच साल हो गया उनकी नवीनीकरण किया जा रहा है। 15 अगस्त से किसानों को मांग के मुताबिक खेतों में पानी दिया जाएगा।
खरीफ सीजन में जरूरी पानी की भास्कर ने पड़ताल की तो पता चला कि किस जिले में कितना पानी लगेगा यह तय नहीं रहता। यह वर्षा पर निर्भर होता है। इसलिए अमीन सिंचाई व खेतों से संबंधित मुद्दों पर गांवों में सभा भी करते हैं।
बताया गया कि यदि गांव के 73 फीसदी किसान सहमति देते हैं तो उनके खेतों में पानी पहुंचाया जाता है। किसानवार लेजर तैयार किए जाते हैं।
फिर जिस तरह बिजली के बिल मौके पर जाकर मीटर रीडिंग कर निकाले जाते हैं, उसी तरह अमीन खेतों में जाकर हर किसान का रकबा चेक करते हैं। उसे कितने क्षेत्र या एकड़ में पानी दिया गया, इसकी पर्ची (बिल) बनाते हैं।
इस पर शुल्क -लगान लिखा रहता है। डैम समेत अन्य चीजों के रखरखाव पर नजर रखना भी उनका काम है। अमीनों संख्या कम होने से काम प्रभावित हो रहे हैं। पटवारियों की तरह ही अमीन को डिविजनों और सब डिविजनों में इलाके बंटे होते हैं।
प्रदेश में लगभग हर जिले में एक डिविजन है। डिविजन के अधीन के 4-5 डिविजन भी होते हैं। इन डिविजनों में खरीफ फसल की 31 अक्टूबर तक और रबी फसल की 31 मार्च तक फसलों व सिंचाई का रिकार्ड अपडेट करते हैं।
पूरे प्रदेश में 35-36 लाख किसान हैं। इनके खेतों की सिंचाई का हिसाब रखने के लिए केवल 350 अमीन ही हैं। राज्य में इनके 735 पद स्वीकृत हैं। इनमें से लगभग 400 ही भरे हुए हैं। बाकी खाली हैं। अमीन रिटायर होते जा रहे हैं। बालोद डिविजन में ही 12 में से चार अमीन बचे हैं। अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से ही कमी बनी हुई है।
अमीनों का मानना है कि सिंचित खेतों का सही-सही रिकार्ड रखना है तो कम से 1900 से 2000 अमीन होने चाहिए। इसकी वजह यह कि छत्तीसगढ़ बनने के बाद कई डेड पड़ी सिंचाई योजनाएं प्रारंभ की गई। बहुत सी नई योजनाएं भी शुरू की गईं। बरसों पुरानी व जर्जर नहरों को रि-मोल्ड किया जा रहा है। इससे सिंचित खेती का रकबा बढ़ा है। अब कहीं कम और कहीं अधिक वर्षा होती है।
हर साल इसका एरिया बदलता रहता है। लगभग हर जिले में एक मेजर प्रोजेक्ट है। इस वजह से अमीनों पर काम का बोझ भी बढ़ा है। राजस्व पटवारियों की तरह ही इन्हें भी प्रदेश में पदोन्नति मिल सकती है, लेकिन पूरे प्रदेश में केवल चार पद ही पदोन्नति के हैं। जैसे पटवारी आरआई बनते हैं, वैसे ही अमीन पहले सिंचाई निरीक्षक फिर केनाल डिप्टी कलेक्टर बनते हैं। टाइमकीपर के पद खत्म दिए गए हैं। उनका काम भी अमीन ही कर रहे हैं।
23 सालों से नहीं बढ़ाया लगान
लगान पिछले 22-23 सालों से नहीं बढ़ाया गया है। लगान वसूली दिसंबर से मार्च तक होती है। किसानों को पानी देने के एवज में सिंचाई विभाग द्वारा नाममात्र लगान वसूल किया जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि एक एकड़ को पानी देने पर किसानों से केवल 91 रुपए ही टैक्स लिया जाता है। 1998-99 में इसे बढ़ाया गया था। पहले यह 32 रुपए था।
प्रमुख बातें
26 जनवरी 2019 को 31 अक्टूबर 2018 तक किसानों का 244.18 करोड़ लगान माफ।
कोरोना काल में 3 मई 2021 को 2018-19 की शेष जलकर 33.60, 2019-20 की 33.18 तथा 2020-21 की 31.48 करोड़ रुपए माफ ।
तीन सालों में 342.44 करोड़ जलकर माफ जिससे करीब 35 लाख किसानों को फायदा ।
इरीगेशन विभाग ने कोरोना में अच्छी राजस्व वसूली की। दिसंबर 2021 तक 455.46 करोड़ रुपए वसूले गए। 2018-19 में 667.70 करोड़, 2019-20 में 611.02 करोड़ 2020-21 में 711.43 करोड़ वसूले गए थे।
सिंचाई के साधनों व सिंचित रकबे की जानकारी बनाने में अमीनों की प्रमुख भूमिका होती है। रिक्त पदों से किसानों के काम प्रभावित होते हैं। करीब तीन सालों पहले अमीन के पद पर 453 लोगों की भर्ती निकाली गई थी। जो चरणों में की जानी थी, लेकिन 226 पर रोक लगा दी गई। अभी वे सहमति पत्रों के नवीनीकरण में जुटे हैं, ताकि गांव वालों को खेतों में पानी दिया जा सके।
– इंद्रजीत उइके, ईएनसी, इरीगेशन डिपार्टमेंट