गौवंशीय-भैसवंशीय पशुओं को अलग-अलग रखने के निर्देश
रायपुर। राजस्थान, गुजरात और पंजाब में हजारों गायों-बैलों की मौत की वजह बने लंपी स्किन डिजीज lumpy skin disease को लेकर छत्तीसगढ़ में भी अलर्ट alert in chhattisgarh कर दिया गया है। पशु चिकित्सा सेवाओं के संचालक ने लंपी स्किन रोग से संक्रमितों को स्वस्थ पशुओं से अलग रखने को कहा है।
अन्य राज्यों से पशुओं के आवागमन पर रोक लगा दी गई है। वहीं संक्रमित गांवों के पांच किलोमीटर की परिधि में गोटपाक्स वैक्सीन से रिंग वैक्सीनेशन कराने Getting Ring Vaccination with Gotpox Vaccine के निर्देश दिए गए है। रोग ग्रस्त पशुओं से नमूना एकत्र कर रायपुर स्थित राज्य स्तरीय प्रयोगशाला भेजने की हिदायत दी गई है।
पशु चिकित्सा सेवाओं के संचालक ने जिलों में पदस्थ विभागीय अधिकारियों को पत्र भेजकर कहा है, राजस्थान और गुजरात में गौवंशी पशुओं में लम्पी स्किन डिजीज फैलने की जानकारी प्राप्त हुई है। छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में भी इसके नियंत्रण के लिए सतर्कता अनिवार्य है।
उन्होंने इस रोग के नियंत्रण हेतु रोग ग्रस्त पशुओं का उपचार एवं वेक्टर कंट्रोल हेतु आवश्यक औषधियों एवं अन्य सामग्री की व्यवस्था करने का निर्देश दिया है। इसके लिए चालू वित्तीय वर्ष में उपलब्ध बजट का उपयोग करने को कहा गया है।
जिलों में आवश्यकतानुसार लम्पी स्किन डिजीज के कंट्रोल के लिए गोट पाक्स वैक्सीन की खरीदी चालू वित्तीय वर्ष में दवा खरीदने के लिए आवंटित बजट के 20% हिस्से से किया जा सकता है।
पशु चिकित्सा विभाग के जिला अधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्रों का नियमित भ्रमण करने एवं रोग की निगरानी का निर्देश हुआ है। रोग ग्रस्त पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखने, रोग ग्रस्त जिले एवं रोग ग्रस्त गांव के नजदीकी गांवों में गहन सर्वे एवं निगरानी सुनिश्चित करने चिकित्सकीय टीम तैनात करने के भी निर्देश दिए गए हैं।
जिन क्षेत्रों में गौवंशीय एवं भैंसवंशीय पशुओं का पालन एक साथ किया जाता है, वहां भैंसवंशीय पशुओं को अलग रखने का निर्देश है। वहीं स्वस्थ पशुओं एवं पशु गृहों में नियमित तौर पर जूं, किलनी नाशक दवा का छिड़काव करने को कहा गया है।
रोग ग्रस्त पशुओं के संपर्क में आने वाले व्यक्ति को हमेशा दस्ताने और एवं मास्क पहनकर पशुओं के समीप जाने की हिदायत दी गई है।
बॉर्डर पर चेकपोस्ट बनाकर आवाजाही रोकने को कहा गया
संचालक पशु चिकित्सा की ओर से कहा गया है, प्रदेश के 18 जिलों की सीमा अन्य राज्यों से जुड़ी हुई है। यहां से बीमार पशुओं के आवागमन की संभावना है।
यह भी संभव है कि पशु व्यापारी द्वारा विक्रय हेतु राज्य में लाए गए पशु रोग ग्रस्त हो, इसको ध्यान में रखते हुए प्रदेश के सीमावर्ती ग्रामों में प्राथमिकता के आधार पर चेक पोस्ट लगाकर नियमित चेकिंग सुनिश्चित की जाए।
गांवों में कोटवारों को भी इस संबंध में अलर्ट किया जाए। साथ ही इन गांवों में पशु मेला का आयोजन नहीं करने और पशु बिचौलियों पर भी निगरानी रखने के निर्देश दिए गए हैं।
क्या है यह बीमारी जिसने मचा रखा है हाहाकार
लम्पी स्किन डिजीज एक वायरस के संक्रमण से फैला रोग है। यह रोगी पशु से स्वस्थ पशु में छूने एवं मच्छर व मक्खियों के माध्यम से फैलता है। इस रोग में बुखार के साथ पूरे शरीर पर छोटी-छोटी गांठ बन जाती है, जो बाद में घाव में तब्दील हो जाती है।
लम्पी स्किन डिजीज संक्रमण से दुधारू पशुओं की उत्पादन क्षमता, भार वाहक पशुओं की कार्य क्षमता एवं कम उम्र के पशुओं के शारीरिक विकास पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। उनकी मौत भी हो रही है।
बीमारी के लक्षण दिखते ही सूचना देने को कहा गया
पशु चिकित्सा विभाग ने असामान्य बीमारी के लक्षण पाये जाने पर निकटस्थ पशु चिकित्सालय या पशु औषधालय में सूचना देने को कहा है। पशु गृह एवं पशु प्रक्षेत्र से जुड़े सभी को स्वच्छता से जुड़े सभी कदम अपनाने काे कहा गया है।
कहा गया है, रोग ग्रस्त क्षेत्र में पशु चिकित्सा दल द्वारा सभी स्वच्छता के कदम उठाते हुए नियमित दौरा तब तक किया जाये जब तक पशु पूर्णतः स्वस्थ ना हो जाएं। रोग ग्रस्त पशु की मृत्यु होने पर उसे स्वच्छता के सभी नियमों का पालन करते हुये गहरे गड्ढे में चूना डालकर दफनाया जाए।
जांबिया में मिला था पहला केस
पशु चिकित्सा विभाग के डॉक्टरों का कहना है, यह विदेशों से आई बीमारी है। इसका पहला केस 1929 में अफ्रीकी देश जांबिया में सामने आया था। बाद में इसे यूरोपीय देशों, रूस और कजाकिस्तान और पाकिस्तान में रिपोर्ट किया गया।
भारत में इस बीमारी का पहला केस केरल में मिला था। तीन साल पहले कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड और छत्तीसगढ़ के कुछ क्षेत्रों में यह दिखी थी। दो साल पहले छत्तीसगढ़ के रायपुर, बिलासपुर, राजनांदगांव, कवर्धा, मुंगेली, नारायणपुर, सरगुजा, जशपुर, बेमेतरा, बस्तर, कांकेर, कोरबा और बलरामपुर जिलों में बहुत से पशुओं में इस बीमारी के लक्षण दिखे थे। हालांकि इसे समय रहते नियंत्रित कर लिया गया। इस साल गुजरात-राजस्थान में यह बीमारी बेकाबू हो चुकी है।