कोरोना काल में नर्सिंग केयर की बढ़ती जरूरत से सामने आई नई परिस्थिति
रायपुर। प्रदेश में कोरोनाकाल में नर्सों की जरूरत बढ़ गई है। यही कारण है कि पिछले दो साल में 26 नए नर्सिंग कॉलेज खुले हैं।
प्रदेश में कोरोनाकाल में नर्सों की जरूरत बढ़ गई है। यही कारण है कि पिछले दो साल में 26 नए नर्सिंग कॉलेज खुले हैं।
प्रदेश में कोरोनाकाल में नर्सों की जरूरत बढ़ गई है। यही कारण है कि पिछले दो साल में 26 नए नर्सिंग कॉलेज खुले हैं। ये सभी निजी क्षेत्र के हैं।
गौर करने वाली बात ये है कि सरकारी कॉलेज एक भी नहीं खुले। विशेषज्ञों के अनुसार बीएससी नर्सिंग करने के बाद सरकारी ही नहीं निजी क्षेत्र में नर्सों की अच्छी मांग है। प्रदेश में 2 साल पहले 8 सरकारी समेत नर्सिंग कॉलेजों की संख्या 102 थीं।
अब संख्या बढ़कर 128 हो गई है। दो साल पहले बीएससी नर्सिंग की सीटें 4500 के आसपास थीं। अब इसकी संख्या बढ़कर 5200 से ऊपर पहुंच चुकी है।
एक निजी अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. कमलेश अग्रवाल व निजी कॉलेज के डायरेक्टर मुकेश अग्रवाल ने बताया कि नर्सों की अच्छी मांग है। प्रोफेशनल डिग्री लेने के बाद सरकारी ही नहीं निजी अस्पतालों में भी नौकरी मिल जाती है।
जीएनएम कॉलेज को अपग्रेड भी किया
इंडियन नर्सिंग काउंसिल ने देशभर के जीएनएम कॉलेजों को अपग्रेड करने को कहा था। प्रदेश में भी कुछ कॉलेजों को अपग्रेड कर बीएससी नर्सिंग कोर्स में बदला गया है। अभी भी प्रदेश के पूरे कॉलेज अपग्रेड नहीं हो पाए हैं। जीएनएम के अभी 35 कॉलेजों में 1800 के आसपास सीटें हैं। जीएनएम कोर्स जारी है।
कॉलेज बंद हो गए हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। कॉलेजों में अभी भी एडमिशन होगा। इसके लिए डीएमई कार्यालय ने काउंसिलिंग की तिथि घोषित कर दी है।
एफिलिएशन आयुष विश्वविद्यालय से
आयुष विवि से प्रोफेशनल डिग्री मिल जाती है। नए कॉलेजों को चिकित्सा शिक्षा विभाग ने काउंसिलिंग में शामिल कर लिया है। यही नहीं पं. दीनदयाल उपाध्याय हेल्थ एंड आयुष विवि से एफिलिएशन भी मिल गया है। बिना एफिलिएशन निजी ही नहीं सरकारी कॉलेजों को भी काउंसिलिंग में शामिल नहीं किया जाता।
डे केयर की मांग भी 8 घंटे का 1200 रुपए
घरों में मरीजों की देखरेख के लिए डे केयर नर्सों की जरूरत पड़ती है। 8 घंटे के लिए 1000 से 1200 रुपए नर्सों को दिया जा रहा है। 24 घंटे के लिए तिगुना पारिश्रमिक दिया जाता है। हालांकि डे केयर में नर्स रखने का ट्रेंड उच्च वर्ग में है।
कई मध्यम वर्गीय कामकाजी लोग भी डे केयर में नर्सों की मांग करते हैं। इसके लिए कई निजी अस्पताल के अलावा निजी कॉलेज नर्स भेजते हैं। कैंसर, पैरालिसिस, हड्डी में फ्रैक्चर के लिए नर्सों की जरूरत पड़ती है।
कोरोनाकाल में नर्सों की मांग अस्पतालों के अलावा डे केयर के लिए रही। वैक्सीनेशन में भी नर्सों की सेवाएं ली जा रही हैं। कुछ जीएनएम काॅलेजों को बीएससी में अपग्रेड किया जा रहा है, जिससे सीटें बढ़ रही हैं।
डॉ. एके चंद्राकर, कुलपति आयुष विवि