सेना से सेवानिवृत होने के बाद गांव में अनिल
कर रहे फल, सब्जी और औषधीय पौधों की खेती
चंडीगढ़। भारतीय सेना में 16 साल देश की सेवा करने के बाद जब हरियाणा के झज्जर जिले के ढ़ाणा गांव निवासी अनिल कुमार Anil Kumar, resident of Dhana village of Jhajjar district of Haryana अपने गांव पहुंचा तो खेती के तौर तरीके देख वह आश्चर्यचकित रह गया। फसलों में रासायनिक खाद का प्रयोग हो रहा था। इसके बाद अनिल ने प्राकृतिक खेती Organic farming करने की योजना बनाई। कई कृषि विशेषज्ञों से मिला, बात की और फल, सब्जी और औषधीय पौधों की खेती से पांच लाख रुपये सालाना कमाता है।
अनिल ने बताया कि वह समय पर अपनी सभी फसलों को बिजाई करता है। सुबह 5 बजे उठकर अपने खेतों में काम करने के लिए चला जाता है। हालांकि प्राकृतिक खेती में हाथ से ज्यादा काम करना पड़ता है ,लेकिन सेना का जवान होने के चलते अनिल को यह काम ज्यादा कठिन नहीं लगा। 2015 में गेहूं , बाजरा , कपास, सरसों, मूंग ,चना ,जौ मुख्य फसलों के साथ खेती की शुरुआत की औरसह-फसलों में मौसमी सब्जियां, गन्ना और चारा उगाया।
अपने खेतों के चारों तरफ फल और औषधीय पौधे Fruits and medicinal plants उगाने शुरू कर दिए। अब यह पौधे अब उसकी आमदनी का एक अच्छा स्रोत बन गए हैं। किसान ने प्राकृतिक खेती के फायदे बताते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती में खाद और बीज अपना घरेलू होता है। इससे उत्पादन लागत काफी कम हो जाती है और मुनाफा बढ़ता है।
2 से 3 गुना दामों पर बिकती हैं फसलें
अनिल के अनुसार वह अपनी फसलों को गुरुग्राम में बेचते है। जहां कुछ लोग उनसे लगातार जुड़े रहते हैं और अपनी जरूरत के अनुसार फसलों की खरीदारी करते हैं। जिससे किसान को भी इस बात की चिंता नहीं रहती है कि उसकी फसल का कोई खरीददार आएगा या नहीं। खरीददार पहले ही उनसे संपर्क करके भाव तय कर लेते हैं।
इनकी खेती से हो रहा मुनाफा
आमदनी बढ़ाने के लिए जामुन, आँवला,अनार, बेर, खजूर, अमरूद, केला, चीकू नीम और औषधीय पौधे अश्वगंधा, वासा, नींबू घास, अजवायन पता और अपमार्ग लगाये हैं। इसके अलावा बथुआ, पुनर्नवा, चौलाई को भी अपनी आमदनी का हिस्सा बनाते हैं। दूब घास हमारी गायें के लिए एक अच्छा चारा है।