विवाद हुआ तो भी आपस में ही सुलझा लेते हैं
लोग, यहां मिलकर रहना ही है जीने का मंत्र
रायपुर। छत्तीसगढ़ के उत्तर में बसे सरगुजा जिले का मैनपाट Mainpat of Surguja District दो वजहों से मशहूर है। पहला यहां की ठंडी वादियां और दूसरा यहां के शांतिप्रिय तिब्बती peace loving tibetan। तिब्बती यहां 1963 में आकर बसे थे।
ये जबसे यहां आकर बसे हैं, इनके बीच कभी लड़ाई-झगड़े के मामले थाने नहीं पहुंचे। इनकी लड़ाई भी बाहर नहीं हुई और न ही किसी ने इनके खिलाफ थाने में जाकर शिकायत तक दर्ज कराई। इनके बीच जो विवाद होते हैं, उन्हें आपस में ही सुलझा लेते हैं। ये बताते हैं कि सबसे बड़ा विवाद सिर्फ कॉलर पकड़ने तक का याद आता है।
अब तक नहीं आई कोई शिकायत
इनके बीच चोरी, दुष्कर्म, मर्डर जैसा अपराध आज तक नहीं हुआ है। रायपुर से 367 किमी दूर है सरगुजा का मैनपाट। पहाड़ियों के बीच बसा है। यहां तिब्बतियों का ऐसा गांव है, जहां वे 59 वर्षों से रह रहे हैं। यहां एक थाना है। प्रभारी एसआई शिशिर सिंह बताते हैं कि दो साल से कमलेश्वरपुर थाने में हूं।
आज तक कैंप में रह रहे तिब्बतियों के खिलाफ कोई शिकायत नहीं आई है और न ही इस थाने में उनके खिलाफ कोई आपराधिक रिकॉर्ड दर्ज है। जब मैनपाट में तिब्बतियों के स्कूल पहुंचे, तो वहां हेडमास्टर दावा सेरिंग Headmaster Dawa Sering मिले।
यहां प्राथमिक के बच्चे पढ़ रहे थे। बल्कि यह कहना सही होगा कि वो प्रैक्टिकल के साथ पढ़ाई कर रहे थे । कुछ-कुछ ये थ्री इडियट फिल्म 3 idiot movie में दिखाए गए स्कूल जैसा भी लगा। सेरिंग ने बताया कि तिब्बती अपनी संस्कृति को बचाने के लिए बचपन से अलग तरह की शिक्षा पद्धति अपनाते हैं।
बचपन से ही उन्हें धर्म की शिक्षा दी जाती है और धर्म का अर्थ जीवन जीने के तरीके से होता है। इसी अनूठी सीख के कारण वे कभी न तो आपस में झगड़ा करते हैं और न ही दूसरे लोगों से उनका कोई बड़ा विवाद होता है।
कैंप लीडर सुनते हैं समस्या
ऐसा नहीं है कि आपस में बिल्कुल विवाद नहीं होते, पर तिब्बतियों के कैंप में ही इन विवादों को सुलझा लिया जाता है। कैंप में रहने वाले 43 साल के कर्मा दोरजी Karma Dorji बताते हैं कि हर कैंप का एक लीडर होता है। कोई भी समस्या पहले इसी लीडर के पास जाती है।
लीडर जो भी फैसला देते हैं, उसे माना जाता है। अगर फैसले से असहमत होते हैं, तो उससे ऊपर भी उनका अपना कोर्ट होता है। सबसे बड़ा कोर्ट धर्मशाला Dharamshala में है। वहां से फैसला आने के बाद कहीं सुनवाई के लिए नहीं जाते। क्योंकि वे उन्हें भगवान का दर्जा देते हैं। वे बताते हैं कि शादियां कैंपों में होती हैं।
इंटरनेट से दूर हैं अभी तिब्बती
इन आयोजनों में होने वाले विवाद कैंप में ही सुलझा लिए जाते हैं। अभी तक ऐसा कोई मामला नहीं आया है कि धर्मशाला तक ले जाना पड़े। यहां रहने वाले एक्स आर्मी मैन दोरजे का कहना है कि इंटरनेट की बुराइयों से तिब्बती अभी दूर हैं। और इसी कारण यहां क्राइम रेट भी जीरो है। यहां के लोगों इसका खुमार नहीं चढ़ा है।
इसकी वजह बच्चों में कठोर अनुशासन का होना है। हर तिब्बती को दस सूत्र को फॉलो करना अनिवार्य है। मोबाइल का जितना उपयोग है, उतना ही करने की कोशिश की जाती है। यहां के लोगों की अपनी शिक्षा पद्धति है। सरकार मदद करती है पर तिब्बती अपनी संस्कृति को छोड़कर आगे नहीं बढ़ते।
अस्पताल से लेकर स्कूल तक तिब्बती संस्कृति में ढले
मैनपाट तिब्बत सेटलमेंट Mainpat Tibet Settlement की सचिव ने बताया कि तिब्बतियों की अलग जीवन शैली के कारण अपना एक अलग सिस्टम भी खुद ही डेवलप किया है। मैनपाट में 7 कैंप हैं, जहां लगभग 500 परिवार रहते हैं। करीब 2500 की आबादी है।
चीन-तिब्बत विवाद के दौरान 1963 में भारत सरकार ने 3000 तिब्बतियों को मैनपाट में शरण दी थी। तबसे वे यहां हैं। यहां तिब्बत बंदोबस्त अफसर Tibet Settlement Officer आते हैं। जहां आपसी विवाद के निपटारे से लेकर अन्य तरह की व्यवस्थाओं को देखा जाता है।
उनका खुद का अस्पताल, स्कूल, वृद्धाश्रम, कैंटीन हैं। पंचायतों की तरह उनका सिस्टम काम करता है। किसी का विवाद होता है, तो वह पहले कैंप लीडर के पास जाता है। हर कैंप में चुना हुआ लीडर होता है।
वहां निपटारा नहीं होने पर एसटीओ के टीएसओ के पास आता है। यहां भी बात नहीं बनती तो धर्मशाला स्थित केंद्रीय बंदोबस्त अफसर central settlement officer के पास मामला जाता है, हालांकि वहां तक बात जाने की कभी नौबत नहीं आई है।
एफआईआर क्या, शिकायत भी नहीं
सरगुजा के आईजी अजय यादव Surguja IG Ajay Yadav बताते हैं, ‘कोई भी समूह या बिरादरी किसी स्थान में पर लंबे समय तक रहती है, तो छिटपुट विवाद थाने में आते ही हैं, पर कमलेश्वर थाना kamleshwar police station में तिब्बतियों के खिलाफ आज तक एक भी शिकायतें नहीं आई है।’
बचपन से ही सिखाते हैं जिंदगी जीने के सूत्र
तिब्बती धर्म में दस सूत्र इस तरह बताए जाते हैं कि बच्चे इन्हें आत्मसात कर लें। इनमें झूठ न बोलना, चोरी न करना, जीव हत्या नहीं करना, गंदी बातें नहीं करना शामिल हैं। इन सूत्रों के कारण ही तिब्बती मूलत: शांत स्वभाव से रहते हैं।