हमेशा याद किए जाएंगे पीड़ितों की सेवा में किए गए उनके कार्य
नोबेल शांति सम्मान व भारत रत्न से विभूषित मदर टेरेसा की जयंती (Mother Teresa’s Jayanti) 26 अगस्त शुक्रवार को हैं। जयंती के मौके पर पूरी दुनिया ने उन्हें याद कर श्रद्धांजलि अर्पित कर रही है।
मदर टेरेसा कैथोलिक नन थीं। उन्होंने गरीबों और बीमारी से पीड़ित रोगियों के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था। वह दुनिया के लिए शांति की दूत थीं। टेरेसा के विचारों ने समाज में शांति और प्रेम बनाए रखने का काम किया है। उन्हें साल 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार मिला था।
मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 को अल्बानिया में हुआ था। 18 साल तक वह अल्बानिया में रही उसके बाद वह आयरलैंड चली गई। 1929 में वह भारत आकर बेसहारा लोगों की सेवा करने लगी।
उन्होंने कोढ़ जैसी बीमारी से पीड़ित लोगों की सेवा की। उनके इन्हीं कामों ने उन्हें पूरी दुनिया में पहचान दी। उन्होंने साल 1948 में भारत की नागरिकता ली।
17 अक्टूबर 1979 में मदर टेरेसा को शांति के नोबेल पुरस्कार से भी नवाजा गया और साल 1980 में उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया।
मदर टेरेसा गरीबों की मदद करने के लिए समर्पित महिलाओं की एक रोमन कैथोलिक मण्डली, ऑर्डर ऑफ द मिशनरीज ऑफ चैरिटी की संस्थापक थीं। उनका असली नाम एग्नेस गोंझा बोयाजिजू था। उन्होंने साल 1950 में कोलकाता का रुख किया, जहां उन्होंने मिशनरीज ऑफ चैरिटी मिशन की स्थापना की।
मदर टेरेसा के जीवनकाल में मिशनरीज ऑफ चैरिटी का कार्य लगातार विस्तृत होता रहा और उनकी मृत्यु के समय तक यह 123 देशों में 610 मिशन नियंत्रित कर रही थीं।
इसमें एचआईवी/एड्स, कुष्ठ और तपेदिक के रोगियों के लिए धर्मशालाएं/घर शामिल थे और साथ ही सूप, रसोई, बच्चों और परिवार के लिए परामर्श कार्यक्रम, अनाथालय और विद्यालय भी थे।
मदर टेरसा की मृत्यु के बाद इन्हें पोप जॉन पॉल द्वितीय ने धन्य घोषित किया और इन्हें कोलकाता की धन्य की उपाधि प्रदान की। मदर टैरेसा की मृत्यु दिल के दौरे के कारण 5 सितंबर 1997 के दिन हुई थी। 09 सितंबर 2016 को वेटिकन सिटी में पोप फ्रांसिस ने मदर टेरेसा को संत की उपाधि से विभूषित किया था।
जिनका कोई नहीं था, उनकी मदर टेरेसा थीं।
असंख्य बेसहारा लोगों का सहारा बनकर असंख्य जनों को प्रेरित करने वाली 'भारत रत्न' एवं नोबेल शांति पुरस्कार सम्मानित मदर टेरेसा जी की जयंती पर हम उनका पावन स्मरण करते हैं।
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) August 26, 2022