रिहाई में मिलेगी मदद, 65 से अधिक और
21 से कम उम्र वाले कैदियों के लिए अवसर
रायपुर। छत्तीसगढ़ की जेलों में बंद कैदियों और उनके परिजनों के लिए राहत की खबर है। छत्तीसगढ़ में देश की पहली जेल लोक अदालत की स्थापना Establishment of country’s first jail Lok Adalat in Chhattisgarh हुई है।
जिसमें स्टेट लीगल सर्विस ऑथरिटी (सालसा) State Legal Service Authority (Salsa) और जेल प्रशासन की मदद से जेल लोक अदालतों के द्वारा जमानत होने के बाद भी जेलों में बंद कैदियों को रिहा किया जाएगा। इनमें वे कैदी भी आएंगे। जिनकी उम्र 65 से अधिक हो चुकी है। साथ ही 21 साल से कम उम्र के कैदी जिन्हें 7 साल से कम की सजा मिली है वे भी शामिल होंगे।
कोर्ट और कैदियों के बीच की दूरी कम होगी
बिलासपुर हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी Justice Gautam Bhaduri of Bilaspur High Court रायपुर सेंट्रल जेल Raipur Central Jail पहुंच कर जेल लोक अदालत का शुभारंभ किया है। मीडिया से बातचीत में उन्होंने बताया कि, कोर्ट द्वारा जमानत ऑर्डर हो जाने के बाद भी कैदी जरूरी कागजात प्रस्तुत नहीं कर पाते। साथ ही कई बार उन्हें जमानत आदेश की जानकारी भी नहीं मिल पाती है।
जिससे उन्हें लंबे समय तक जेलों में ही रहना पड़ता है। इन परेशानियों को जेल लोक अदालत के माध्यम से दूर किया जाएगा। ऐसे केसे को चिन्हित करके उन्हें सॉल्व किया जाएगा। जिससे कोर्ट और जेल में बंद कैदियों के बीच का गैप कम होगा। न्यायमूर्ति भादुड़ी ने कहा कि, सुदूर इलाकों में रहने वाले लोगों तक अदालत की पहुंच बनाने के लिए पैरा लीगल वालंटियर की मदद ली जा रही है। जो बढ़िया काम कर रहे हैं।
मानव अधिकार के लिए एक अच्छा प्रयास
इन लोक अदालत के माध्यम से कैदियों के मानव अधिकार की रक्षा होगी। इससे कैदियों को मिले कानूनी अधिकारों का उन्हें फायदा होगा। लगभग पूरे देश के जेलों में क्षमता से अधिक कैदी बंद हैं। छत्तीसगढ़ के जेलों में भी यही हाल है। इससे पेंडिंग केस में कमी होगी, और जेलों में विचाराधीन कैदियों की भीड़ कम होगी।