छत्तीसगढ़ की स्वयंसिद्धा महिलाओं को मेहनत और
आगे बढ़ने के जज़्बे से मिली है स्वावलंबन की चमक
रायपुर। राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में आयोजित राज्योत्सव में जहां प्राचीन जनजाति नृत्य संस्कृति संस्कृति से लोग परिचित हुए वहीं विकास प्रदर्शनी में युवा छत्तीसगढ़ के बढ़ते वैभव को भी लोगों ने देखा।
यहां तेजी से बढ़ते छत्तीसगढ़ के साथ महिला सशक्तिकरण की झलक भी दिखाई दी। यह झलक न सिर्फ महिलाओं के चेहरों में दिखी बल्कि उनकी सोच में भी नजर आई।
यह आत्मनिर्भरता और स्वावलंबन की चमक है, जो छत्तीसगढ़ की स्वयंसिद्धा महिलाओं को उनकी मेहनत और आगे बढ़ने के जज़्बे से मिली है।
महिला बाल विकास विभाग के स्टॉल में जांजगीर-चांपा जिले से आई भारती महिला स्व सहायता समूह की श्रीमती सीमा खरे ने बताया कि उनका समूह सेनेटरी नैपकिन बनाता है। समूह में 10 सदस्य हैं। वो प्रेस मशीन की सहायता से जैली वाला सेनेटरी पैड बनाते हैं, जिसका नाम उन्होंने सहेली रखा है।
इसके विक्रय से समूह को अच्छी आमदनी हो जाती है। उनके समूह ने महिला बाल विकास विभाग के महिला कोष से 30 हजार और आजीविका मिशन से एक लाख रुपये लोन लेकर सेनेटरी पैड बनाने का काम शुरू किया था। उन्होंने खुश होकर बताया कि उन्होंने अब पूरा लोन चुकता कर दिया है।
उन्होंने बताया कि उनके समूह की महिलाएं सेनेटरी पैड बनाने के साथ गाँव में महिलाओं को शारीरिक स्वच्छता और स्वास्थ्य के लिए जागरूक भी करती हैं। इससे बहुत सी महिलाओं में जागरुकता आई है।
जशपुर से आई उरांव जनजाति की बालमुनी ने बताया कि वह हरियाली स्व सहायता महिला समूह की सदस्य हैं और 10 वीं तक पढ़ी हैं। पहले वह कोई काम नहीं करती थी, फिर राज्य सरकार के माध्यम से टोकरी बनाने की ट्रेनिंग ली।
उनके गाँव में 8 समूह इस काम में लगे हैं। हर समूह में 10 सदस्य हैं। उनके समूह को महीने में 70 से 80 हजार की कमाई हो जाती है। इनके साथ ही कई महिलाएँ छत्तीसगढ़ी पारंपरिक व्यंजन, सजावटी और पूजा के समान, मसाले, आभूषण और इसी तरह हाथ से बने कई समानों का विक्रय करती नजर आई।