प्रदेश में 5 स्थानों पर हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट की विस्तृत परियोजना
रिपोर्ट बनाने अनुबंध, लगाएंगे 7700 मेगावाट के जल विद्युत संयंत्र
रायपुर। प्रदेश में 7700 मेगावाट के पांच पंप स्टोरेज हाइडल इलेक्ट्रिक प्लांट लगाने की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाने का काम केंद्रीय एजेंसी वैपकास करेगी। छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर जनरेशन कंपनी Chhattisgarh State Power Generation Company और केंद्र सरकार की एजेंसी वॉटर एंड पॉवर कंसल्टेंसी सर्विसेस (वैपकास लिमिटेड) Water & Power Consultancy Services (WAPCOS Limited) ने इसके लिये कांट्रेक्ट एग्रीमेंट पर 29 नवंबर मंगलवार को हस्ताक्षर किये।
पॉवर कंपनी के चेयरमेन अंकित आनंद (आईएएस) एवं प्रबंध निदेशक एनके बिजौरा की उपस्थिति में वैपकास के सीनियर एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर अमिताभ त्रिपाठी एवं पॉवर कंपनी के मुख्य अभियंता (सीपी एंड बीडी) एचएन कोसरिया ने अनुबंध पत्र में हस्ताक्षर किये। जनरेशन कंपनी ने प्रदेश में ऐसे पाँच स्थलों का चयन कर लिया है, जहां 7700 मेगावाट बिजली उत्पादित होने का अनुमान है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पिछले दिनों केबिनेट में छत्तीसगढ़ राज्य जल विद्युत परियोजना (पंप स्टोरेज आधारित) स्थापना नीति 2022 Chhattisgarh State Hydroelectric Project (Pumped Storage Based) Establishment Policy 2022 को मंजूरी दी थी।
पॉवर कंपनी मुख्यालय डगनिया स्थित सेवाभवन में आयोजित कार्यक्रम में चेयरमेन आनंद ने कहा कि भविष्य में ऊर्जा की आवश्यकता को देखते हुए यह तकनीक बेहतर साबित होगी। यह ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ में काफी संभावनाएं हैं। वैपकास इसकी संभावनाओं पर रिपोर्ट देगी। पॉवर कंपनी प्रबंध निदेशक बिजौरा ने कहा कि प्रदेश के पाँच स्थानों को पंप स्टोरेज जल विद्युत परियोजना के लिए चिह्नित किया गया है।
गरियाबंद, जशपुर व बलरामपुर में दिखी संभावनाएं
जिसमें हसदेव बांगो कोरबा और सिकासेर जलाशय गरियाबंद में 1200-1200 मेगावाट, जशपुर के डांगरी में 1400 मेगावाट व रौनी में 2100 मेगावाट तथा बलरामपुर के कोटपल्ली में 1800 मेगावाट बिजली उत्पादन होने की संभावना है। इसकी फिजिबिलिटी रिपोर्ट व डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनाने का कार्य वैपकास करेगी। पंप स्टोरेज जल विद्युत परियोजनाओं की स्थापना हेतु सर्वे, अनुसंधान, स्थल चयन, चिन्हांकन व विकास के लिए छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर जनरेशन कंपनी को नोडल एजेंसी बनाया गया है।
टरबाइन से गिरने के बाद स्टोर किया जाएगा पानी
इस तकनीक में ऊंचे और निचले स्थान पर पानी स्टोरेज टैंक बनाया जाता है। गुरुत्वाकर्षण स्थितिज ऊर्जा (कायनेटिक फोर्स) का उपयोग करते हुए पानी को निचले स्थान पर छोड़कर टरबाइन को घुमाया जाता है, जिससे बिजली पैदा होती है।
पुरानी तकनीक वाले जल विद्युत संयंत्रों में पानी नदी में बहा दिया जाता था, लेकिन नई तकनीक में टरबाइन से पानी गिरने के बाद उसे स्टोर किया जाता है और दिन के समय सौर ऊर्जा से मिलने वाली सस्ती बिजली से पानी को फिर से ऊपर वाले स्टोरेज में डाल दिया जाता है। इससे एक ही पानी का उपयोग कई बार बिजली बनाने में किया जा सकता है।
इस अवसर पर पॉवर कंपनी के कार्यपालक निदेशक सीएल नेताम, आलोक सिंह, एमआर बागड़े, मुख्य अभियंता श्री एसपी चेलकर तथा वैपकास के एसीई गौरव कुमार व प्रोजेक्ट मैनेजर अरूण देव, सहायक अभियंता नीरज वर्मा उपस्थित थे।