आज जयंती: अभिनेता सुंदर ने फिल्मों में
अभिनय के अलावा पार्श्वगायन भी किया
मुंबई। अभिनेता सुंदर सिंह ने 1938 से 1989 तक एक लंबा अरसा फिल्मी दुनिया में बिताया। उन्होंने 400 से ज्यादा फिल्मों में छोटी-छोटी लेकिन कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं की। आमतौर पर उन्हें कॉमेडियन माना जाता था लेकिन उन्होंने संजीदा भूमिकाएं की। वहीं शुरूआती दौर में उन्होंने फिल्मों में पार्श्वगायन भी किया। उन्होंने अपने करियर में कई पंजाबी और हिंदी फिल्मों में नायक या हास्य अभिनेता के रूप में सहायक भूमिकाएँ निभाईं।
This very old advertisement in ‘Dharmyug’ but I fail to recognise actors except ‘Sundar’ pic.twitter.com/cvdANmCxKp
— Manish (@rmanish1) April 17, 2018
उनका जन्म 14 मार्च 1908 को ब्रिटिश कालीन भारतीय साम्राज्य लाहौर में हुआ था। उन्होंने अपने अभिनय की शुरूआत 1939 में इंपीरियल मेल से की थी। वहीं 400 से ज्यादा फिल्मों में काम करते हुए 1989 में राकेश रोशन व रेखा की फिल्म बहूरानी में उन्हें आखिरी बार देखा गया। इसके बाद 83 साल की उम्र में उनका निधन 5 मार्च 1992 को मुंबई में हो गया था। Actor Sundar did not get the credit he deserved despite having spent his entire life in Cinema.
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बहुमुखी सहायक अभिनेता सुंदर 1950 से 1970 के दशक की अधिकांश हिंदी फिल्मों में वह कॉमेडी करते नजर आते थे। Actor Sundar also did playback singing apart from acting in films.
उन्होंने पंजाबी फिल्मों में भी अभिनय किया और जिद (1945), चांदनी चौक (1954) और मस्ताना (1954) फिल्मों के लिए पार्श्व गायक के तौर पर अपनी आवाज दी। सुंदर ने हिंदी-पंजाबी फिल्मों में कई फिल्में में यादगार अभिनय किया। उनके कुछ उल्लेखनीय काम को जानते हैं कुछ फिल्मों के जरिए से-
1. सीमा (1955)
अमिय चक्रवर्ती की सीमा (1955) में सुंदर ने मुरलीधर की भूमिका की है, जो बलराज साहनी (अशोक) का दाहिना हाथ है। अशोक यहां युवा महिलाओं के लिए एक अनाथालय और रिमांड होम चलाता है। जब मुश्किल में फंसी गौरी (नूतन) को यहां लाया जाता है, तो ‘बाबूजी’ (बलराज साहनी) यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं कि बेहद गुस्सैल इस महिला (नूतन) को जीवन में दूसरा मौका मिले।
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जब अशोक बीमार पड़ जाता है और कमजोर हो जाता है, तो वह जोर देकर कहता है कि सीमा को मुरलीधर (सज्जन) से शादी कर लेना चाहिए। यहां एक अच्छे दृश्य में, मुरलीधर अपने गुरु (बलराज साहनी) से बहस करते हैं और उन्हें याद दिलाते हैं कि वह गलत क्यों हैं। इन दृश्यों में सुंदर छा जाते हैं।
2. हावड़ा ब्रिज (1958)
कोलकाता में फिल्माई गई शक्ति सामंत की थ्रिलर हावड़ा ब्रिज में सुंदर ने भीकू की भूमिका निभाई थी। जो ओम प्रकाश के चरित्र श्याम को बताता है कि उसने हावड़ा ब्रिज पर हाल ही में हुए कत्ल को देखा था।
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मोहम्मद रफ़ी और शमशाद बेगम द्वारा गाए गए और ओपी नय्यर द्वारा रचित सुपरहिट गीत ‘मैं जान गई तुझे सइयां’ में भीकू अपनी मंगेतर छमिया (कम्मो) से रोमांस करता है क्योंकि वह इनाम की रकम पाने का सपना देख रहा है। इसमें सुंदर का अभिनय देखते ही बनता है।
3. सोलवा साल (1958)
देव आनंद और वहीदा रहमान के साथ राज खोसला की सोलवा साल (1958) में सुंदर ने एक प्रमुख सहायक अभिनेता का किरदार निभाया है। उन्होंने इस फिल्म में देव आनंद के फोटोग्राफर दोस्त गोगी की भूमिका निभाई, जो हेमंत कुमार द्वारा गाए गए और एसडी बर्मन द्वारा रचित गीत ‘है अपना दिल तो आवारा’ में माउथ ऑर्गन बजाते हैं।
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मूल रूप से इस गाने में एसडी बर्मन के बेटे आरडी बर्मन ने माउथ ऑर्गन बजाया था। गोगी के किरदार में सुंदर इस फिल्म में देव आनंद और वहीदा रहमान दोनों को गुमशुदा श्याम को खोजने और लापता हार वापस पाने में मदद करते है।