दिल्ली :हाल ही में गैस सिलेंडर के दाम 200 रुपये कम हुए हैं. उसके बाद से कयास लगाए जा रहे हैं कि आने वाले दिनों में पेट्रोल और डीजल की कीमत में भी कटौती की जा सकती है. इसके संकेत दो जगहों से मिले हैं. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर सरकार किस प्लानिंग पर काम कर रही है.
टमाटर से महंगाई को कम करने के लिए नेपाल से आयात कर कीमतों को कम करने का प्रयास किया गया, नतीजा सभी के सामने हैं. जैसे ही प्याज की कीमतों में इजाफे की बात सामने आई, एक्सपोर्ट पर टैक्स लगा दिया गया. कीमतें स्थिर देखने को मिल रही है. वैसे ही गेहूं, चावल और बाकी सामान की कीमतों को स्थिर रखने के लिए सरकार की ओर से कदम उठाए गए हैं. हाल ही में आम लोगों को गैस सिलेंडर की कीमतों से राहत देने के लिए फ्लैट 200 रुपये कम कर दिए गए.
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नए दाम 30 अगस्त से लागू भी हो गए. उसके बाद अब महंगाई को और कम करने और पेट्रोल और डीजल के दाम को कटौती होने के आसार हैं. इसके संकेत दो जगहों से मिले हैं. पहला संकेत केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी की ओर से एक इंटरव्यू ने दिया गया है. वहीं दूसरा संकेत ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट से मिलता हुआ दिखाई दिया है.
जुलाई के महंगाई के जो आंकड़ें सामने आए थे, वो सरकार और आम लोगों के लिए डराने वाले थे. इस महीने में रिटेल महंगाई 15 महीने के हाई पर पहुंच गई थी. वहीं दूसरी ओर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बाद भी पेट्रोल और डीजल की कीमतों में राहत नहीं दी गई. मई 2022 के बाद से देश में फ्यूल की कीमत में कोई बदलाव देखने को नहीं मिला है.
ऐसे में सरकार पर भी काफी दबाव है. यह दबाव इसलिए भी बढ़ चुका है क्योंकि सरकार ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के जिस नुकसान की बात कर रही थी, उसकी भरपाई हो चुकी है और प्रॉफिट में आ गई हैं. आइए आपको भी उन दो रिपोर्ट के सफर पर ले चलते हैं, जहां से पेट्रोल और डीजल के दाम में कटौती के संकेत मिले हैं.
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हरदीप सिंह पुरी ने दिए संकेत
हाल ही में केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने एक इंटरव्यू दिया है. जिसमें उन्होंने पूरे देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी की वकालत की और संकेत दिया कि आने वाले दिनों में दाम कम किए जा सकते हैं. पुरी ने इंटरव्यू में इस बात को माना कि केंद्र सरकार राज्य सरकारों को फ्यूल की कीमतें कम करने के प्रयास में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित कर रही है और कीमतों को कम करने की तैयारी शुरू कर दी है. उन्होंने कहा कि 2021 और 2022 में, तेल की कीमतों में टैक्स को कम कर कंज्यूमर को राहत देने का प्रयास किया गया था. केंद्र सरकार ने 4 नवंबर, 2021 में टैक्स को कम करते हुए पेट्रोल पर 5 रुपये और डीजल पर रुपये प्रति लीटर की राहत दी थी. उसके बाद 22 मई, 2022 को सरकार ने फिर टैक्स को कम किया और पेट्रोल पर 8 रुपये और डीजल पर 6 रुपये प्रति लीटर की राहत दी.
कम हो सकती है फ्यूल की कीमतें
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में सिटीग्रुप इंक के हवाले से कहा गया है कि रसोई गैस की कीमतों में कटौती के बाद भारत में महंगाई की दर कम हो सकती है और कुछ प्रमुख त्योहारों और चुनावों से पहले गैसोलीन और डीजल की कीमतों में कमी देखने को मिल सकती है. अर्थशास्त्री समीरन चक्रवर्ती और बाकर एम. जैदी ने बुधवार को एक नोट में कहा कि एलपीजी को कम करने के सरकार के फैसले से महंगाई में लगभग 0.30 फीसदी की कमी आ सकती है. उन्होंने कहा कि टमाटर की कीमतों में गिरावट के साथ गैस की कीमतों को कम करने से सितंबर में महंगाई 6 फीसदी से नीचे आने की संभावना बढ़ गई है.
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उठाए हैं कई कदम
अधिकारी खुदरा कीमतों को कम करने के लिए सक्रिय कदम उठा रहे हैं, जो मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के कारण जुलाई में 15 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंची थी. भारत ने मंगलवार को एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में 200 रुपये की कमी की, जिससे लगभग 300 मिलियन उपभोक्ताओं को कुछ राहत मिली. खाद्य पदार्थों की कीमतें कम करने और घरेलू बजट को कंट्रोल में रखने के लिए भारत ने पहले ही चावल, गेहूं और प्याज जैसे मुख्य खाद्य पदार्थों के निर्यात पर सख्ती कर दी है.
उन्होंने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था के तनाव और नॉर्मल के-शेप रिकवरी के बैकग्राउंड में, रसोई गैस की कीमत में कमी कंज्यूमर सेंटीमेंट के लिए काफी पॉजिटिव हो सकती है. खास बात तो ये है कि सितंबर के महीने में संभावित मांग-आपूर्ति की कमी के कारण प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी होगी? यह सवाल काफी अहम होने जा रहा है.
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संभव है टैक्स में कटौती होगी
राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सहित कम से कम पांच राज्यों में इस साल की आखिरी तिमाही में चुनाव होंगे, इसके बाद 2024 की शुरुआत में आम चुनाव होंगे. जहां पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी अपने तीसरे टर्म को लेकर प्रयास करेंगे. अर्थशास्त्रियों ने कहा कि महंगाई को कंट्रोल करने और रूरल इनकम को सपोर्ट करने के लिए और अधिक राजकोषीय उपायों पर चर्चा हो सकती है.
ग्लोबल कच्चे तेल की कीमतों में अस्थिरता के बावजूद गैसोलीन और डीजल की कीमतों में एक साल से अधिक समय से कोई बदलाव नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि फ्यूल की लागत में किसी भी तरह की कटौती उत्पाद शुल्क में कटौती के माध्यम से की जानी चाहिए, जिसे चुनाव से पहले खारिज नहीं किया जा सकता है.