नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मानहानि केस में राहुल गांधी की 2 साल की सजा पर शुक्रवार को रोक लगा दी। अदालत ने कहा कि इस बात में कोई शक नहीं कि जो भी कहा गया, वह अच्छा नहीं था। नेताओं को जनता के बीच बोलते वक्त सावधानी बरतनी चाहिए। यह राहुल गांधी का कर्तव्य बनता है कि इसका ध्यान रखें। इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी के वकील महेश जेठमलानी से भी सवाल किया था कि अधिकतम सजा क्यों दी गई। कम सजा भी दी जा सकती थी। 1 साल 11 महीने की सजा हो सकती थी। ऐसे में राहुल डिस्क्वालिफाई नहीं होते।
Read More : सरकार ने दी कर्मचारियों को बड़ी सौगात, पुरानी पेंशन योजना का मिलेगा लाभ
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की थी- सजा की वजह बताई जानी थी, लेकिन ऑर्डर में इस पर कुछ नहीं लिखा था। इससे न केवल राहुल गांधी के राजनीतिक जीवन जारी रखने के अधिकार पर फर्क पड़ा, बल्कि उन लोगों पर भी पड़ा, जिन्होंने राहुल को चुना था।इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट में 3 घंटे बहस चली। सुनवाई जस्टिस बीआर गवई, पीएस नरसिम्हा और संजय कुमार की बेंच ने की। राहुल की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी और पूर्णेश मोदी की तरफ से महेश जेठमलानी ने दलीले दीं।
Read More : CG News : परिवार पर मौत बनकर टूटा शख्स, पत्नी और तीन बेटियों को फावड़े से उतारा मौत के घाट
राहुल को गुजरात की सेशन कोर्ट ने 23 मार्च को दो साल की सजा सुनाई थी। जिसके चलते राहुल की सांसदी चली गई थी। बाद में राहुल ने हाईकोर्ट का रुख किया। उन्हें वहां भी राहत नहीं मिली। 7 जुलाई को गुजरात हाईकोर्ट ने अपने फैसले में दो साल की सजा बरकरार रखी। आखिर में 15 जुलाई को राहुल ने सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली।