Chandrayaan 3 Update in Hindi: चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल (एलएम) बुधवार शाम चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। ऐसा होने पर भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा। सिर्फ भारतवर्ष ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया इस ऐतिहासिक पल का टकटकी लगाए इंतजार कर रही है। लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) से युक्त लैंडर मॉड्यूल शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिंग कर सकता है।
पर्याप्त धूप मिलेगी लैंडर व रोवर को
लैंडर और रोवर के सोलर पैनल को पर्याप्त धूप यानी एनर्जी मिलेगी। चंद्रमा पर लैंडर के उतरने का समय भी वही तय किया गया है, जब उस हिस्से में सूर्य की पर्याप्त रोशनी उपलब्ध होगी। चंद्रमा पर विशालकाय खड्ड बहुत हैं। गहरे गड्ढों में सदियों से सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंचा है। इन क्षेत्रों में तापमान माइनस 245 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है।
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कैसा रहा चंद्रयान का अब तक का सफर
14 जुलाई को प्रक्षेपण के बाद चंद्रयान-3 ने पांच अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था। 17 अगस्त को इसके दोनों मॉड्यूल को अलग हो गए थे। इससे पहले 6, 9, 14 और 16 अगस्त को मिशन को चंद्रमा के और नजदीक लाने की कवायद की गई थी।
लूना-25 के बारे में भी जानिए
इससे पहले चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की कोशिश के दौरान रूस का रोबोट लैंडर चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। रूसी लैंडर लूना-25 अनियंत्रित कक्षा में जाने के बाद चंद्रमा पर क्रैश हो गया था। ऐसे में अब पूरी दुनिया की निगाहें भारत के मिशन चंद्रमा पर लगी हुई हैं। इसरो के मुताबिक, पहले हमें लैंडिंग स्थल पर सूर्योदय का इंतजार करना होगा। इसके बाद लैंडिंग की प्रक्रिया बुधवार शाम लगभग 5:45 बजे शुरू होने की उम्मीद है।
क्या लैंडिंग का दूसरा मौका भी होगा?
इससे पहले इसरो के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक नीलेश देसाई ने बताया था कि अगर 23 अगस्त को लैंडर मॉड्यूल सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर पाया या फिर उसके तकनीकी मानक असामान्य पाए गए तो भी उसके पा दूसरा मौका होगा। ऐसी स्थिति में लैंडिंग 27 अगस्त तक के लिए टाली जा सकती है।।
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भारतीय मिशन चांद का अमूल्य डेटा एकत्र करने में करेगा मदद: माइक गोल्ड
रेडवायर स्पेस के प्रमुख विकास अधिकारी माइक गोल्ड ने कहा कि हम चंद्रमा की खोज के एक नए युग ‘आर्टेमिस’ में प्रवेश कर रहे हैं। यहां हम सिर्फ एक या फिर दो बार नहीं, बल्कि चांद पर स्थायी उपस्थिति स्थापित करने जा रहे हैं। भारत का चांद मिशन हमारी समझ, संशाधनों का उपयोग करने की हमारी क्षमता के अलावा चांद पर हम कहा बस्तियां स्थापित कर सकते हैं यह जानने में मदद करेगा। भारत का यह मिशन चांद का अमूल्य डेटा एकत्र करने में हमारी मदद करेगा। उनका कहना है कि क्या पता मिशन सफल हो या क्या पता वह चांद पर न उतरे, लेकिन मेरे विचार में यह मिशन अपने आप में एक बहुत बड़ी सफलता है।
अब जानिए चंद्रयान-3 के बारे में
भारत ने 14 जुलाई को लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (एलवीएम3) रॉकेट के जरिए 600 करोड़ रुपये की लागत वाले अपने तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण किया था। इसके तहत चंद्रयान 41 दिन की अपनी यात्रा में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। यहां अभी तक कोई भी देश नहीं पहुंच पाए हैं।
भारत के लिए गर्व की बात चंद्रयान-3 मिशन
चंद्रयान-3 की चांद पर लैंडिंग से पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने देशवासियों से एक साथ खड़े होने और इसकी सफल सॉफ्ट लैंडिंग के लिए जयकारे लगाने का आग्रह किया है। चंद्रयान-3 मिशन को देश के लिए गर्व की बात बताते हुए बनर्जी ने इसरो के वैज्ञानिकों की सराहना की। टीएमसी प्रमुख ममता ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, चंद्रयान-3 मिशन पूरे देश के लिए गर्व की बात है! इसरो टीम की कड़ी मेहनत देश की प्रगति का प्रमाण है। यह भारत के वैज्ञानिकों से बनी आई है, न कि किसी राजनीतिक पार्टी से। उन्होंने आगे कहा, इस मिशन में बंगाल समेत देशभर के वैज्ञानिकों ने काफी योगदान दिया है। मैं उन सभी के प्रयासों की सराहना करती हूं, जिन्होंने भारत के चंद्र अन्वेषण को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए कड़ी मेहनत की है। चंद्रयान-3 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने के करीब है, हम सभी को एक साथ खड़े होकर इसकी सफल सॉफ्ट लैंडिंग की मनोकामना करनी चाहिए.
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चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 के बारे में भी जानिए
चंद्रयान-2 सात सितंबर 2019 को चंद्रमा पर उतरने की प्रक्रिया के दौरान फेल हो गया था, जब उसका लैंडर ‘विक्रम’ तकनीकि गड़बड़ी की वजह से चंद्रमा की सतह से टकरा गया था। भारत के पहले चंद्र मिशन चंद्रयान-1 को 2008 में प्रक्षेपित किया गया था।
ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा भारत
चार साल में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की दूसरी कोशिश के बाद अगर सॉफ्ट लैंडिंग सफल होता है तो अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ के बाद भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। चंद्रमा की सतह पर अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ और चीन ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कर चुके हैं। हालांकि, यह ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर नहीं हुई है।
Chandrayaan 3 Update in Hindi: चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल (एलएम) बुधवार शाम चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। ऐसा होने पर भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा। सिर्फ भारतवर्ष ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया इस ऐतिहासिक पल का टकटकी लगाए इंतजार कर रही है। लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) से युक्त लैंडर मॉड्यूल शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिंग कर सकता है।