अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ में किसकी होगी सरकार और किसे मिलेगी हार इसमें अब कुछ ही घंटों का समय बचा हुआ है। 3 दिसम्बर को ईवीएम से इसके नतीजे सामने आएंगे मगर 24 घंटे से भी कम समय बचे होने के बाद भी सरगुजा में राजनीतिक दल संभाग की ज्यादा से ज्यादा सीटें जितने का दावा करने के साथ ही प्रदेश में सरकार बनाने का दमखम दिखा रही है, जो ये बताने के लिए काफी है कि सरगुजा समेत छत्तीसगढ़ में मुकाबला कांटे का है। छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक कहावत है कि सरगुजा जीता तो प्रदेश जीता यही कारण है कि भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही दलों की नजरे सरगुजा संभाग की 14 सीटों पर टिकी रहती है। वैसे तो चुनाव में एक एक सीट बेहद अहम होती है मगर सरगुजा संभाग की करीब करीब सभी सीटें हाई प्रोफाइल है।
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एक तरफ जहां यहां उपमुख्यमंत्री टीएस सिंह देव मैदान में है तो वहीं खाद्य मंत्री अमरजीत भगत भी चुनाव लड़ रहे हैं। बेहद खास मानी जानी वाली अम्बिकासिंह देव के भी भाग्य का फैसला होना है। इसके अलावा अम्बिकापुर मेयर डॉ.अजय तिर्की भी पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ भाजपा की ओर से सांसद रेणुका सिंह और गोमती साय विधानसभा चुनाव के मैदान में है तो वहीं पूर्व मंत्री भईया लाल राजवाड़े और रामविचार नेताम पर भी सबकी नजरें टिकी हुई है। छत्तीसगढ़ में नतीजे बिल्कुल भी स्पष्ट नहीं है।
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यही कारण है कि छत्तीसगढ़ में सरकार किसकी बन रही है ये बताने में राजनीति के चाणक्य भी सही साबित नहीं हो रहे हैं, मगर इन सबके बीच सरगुजा संभाग के भाजपा और कांग्रेस के नेता सरगुजा की ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने के साथ ही प्रदेश में सरकार बनाने का दावा जरूर कर रहे हैं। सरगुजा की सियासत पर नजर डाले तो यहां 2018 चुनाव के पहले मामला बेहद दिलचस्प रहा है। वर्ष 2003 के चुनाव में 14 में से 10 सीटे जीतकर भाजपा बढ़त में थी, तो वर्ष 2008 के चुनाव में 14 में भाजपा को 9 तो कांग्रेस को 5 सीटे मिली थी।
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वर्ष 2013 के चुनाव में ये आंकड़ा 50-50 का हो गया था क्योंकि दोनों ही दलों को 7-7 सीटों के साथ संतोष करना पड़ा था। वर्ष 2018 एक ऐसा चुनाव था जब भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया और 14 कि 14 सीटें कांग्रेस की झोली में थी। ऐसे में इस बार जनता किसे कितने सीट देती है इसका फैसला कंल हो ही जायेगा मगर ये साफ है कि दोनों ही दल एक दुसरे से कम नहीं आंक रही और अपनी-अपनी जीत को लेकर आश्वस्त नजर आ रही है।
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