रायपुर । दिवाली से ठीक पहले धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। धनतेरस कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाते हैं। धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करने, नया सामान खरीदने का बड़ा महत्व है। मान्यता है कि धनतेरस के दिन सोना-चांदी, पीतल के बर्तन खरीदने से अपार सुख-समृद्धि मिलती है। साथ ही धनतेरस का दिन अकाल मृत्यु और शत्रुओं से मुक्ति पाने का दिन भी होता है। धनतेरस के दिन एक बेहद आसान उपाय करके अकाल मृत्यु का खतरा टाला जा सकता है। साथ ही शत्रुओं से मुक्ति पाई जा सकती है।
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पूरे साल में केवल धनतेरस का दिन ही होता है जब मृत्यु के देवता यमराज की पूजा दीप दान करके की जाती है। हालांकि कुछ लोग नरक चतुर्दशी यानी छोटी दीपावली के दिन भी दीपदान करते हैं। स्कंद पुराण के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी की शाम को घर के बाहर यमदेव के उद्देश्य से दीप रखने से अल्पआयु में मृत्यु होने का खतरा दूर होता है।
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अकाल मृत्यु और शत्रुओं से मुक्ति पाने के लिए धनतेरस यानी कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष त्रयोदशी को घर के बाहर यमराज के निमित्त दीपक रखें। इस दिन दीपदान करने से मृत्यु का नाश होता है। इसके लिए गोबर का दीया बनाकर उसमें सरसों का तेल डाल दें और उसे घर में ही जला लें फिर उसे घर से बाहर दूर ले जाकर किसी नाली या कूड़े के ढेर के पास दक्षिण की दिशा में मुख करके रख दें। इसके बाद जल भी चढ़ाएं।
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यह काम सूर्यास्त के बाद ही करें। बेहतर होगा कि यह काम रात को तब करें जब परिवार के सभी सदस्य घर आ जाएं। इससे परिवारजनों का अल्प मृत्यु का संकट समाप्त हो जाता है और प्रेम बाधा भी दूर होती है। इसके अलाया धनतेरस पर रात को दीपदान करना शत्रुओं का भी नाश करता है।
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