रायपुर: धान के कटोरे में धान की लहलहाती फसलों को अब बेहतर दाम मिलने लगा है और इससे छत्तीसगढ़ के किसानों के चेहरे पर मुस्कान खिल उठी है. प्रदेश की लोकप्रिय विष्णुदेव साय की सरकार ने धान उत्पादक किसानों के लिए तरक्की के दरवाजे खोल दिए हैं. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने शपथ लेने के कुछ ही दिन बाद 25 दिसंबर को सुशासन दिवस के मौके पर धान उत्पादक किसानों के खाते में दो साल का बकाया बोनस डाला और उसके बाद फिर कृषक उन्नति योजना के तहत 3100 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से धान खरीदी कर किसानों के चेहरों पर खुशियां बिखेर दी. सीएम विष्णुदेव साय स्वयं एक किसान है. लिहाजा वह किसानों की नब्ज़ भली भांति समझते हैं. साय सरकार ने मोदी की गारंटी पर अमल किया है. इसी के साथ कृषि और किसानों की उन्नति के लिए तत्परता के साथ कई कदम उठाए हैं. छत्तीसगढ़ किसानों को धान की सबसे ज्यादा कीमत मिलने के लिए भी जाना जाता है. विष्णुदेव साय की सरकार ने छत्तीसगढ़ की इस ताकत को और मजबूत करने के लिए नए बजट में अनेक प्रावधान किए हैं.
छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार का एक साल राज्य के हर वर्ग के लिए सौगातों का पिटारा साबित हुआ है.. मोदी की गारंठी के साथ प्रदेश की जनता के अधूरे सपने भी पूरे हो रहे हैं… धान का कटोरा छत्तीसगढ़ में किसानों के हित की ऐसी चिंता पिछली किसी सरकार ने नहीं किया था,जितना साय सरकार की किया है..किसानों से प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान की समर्थन मूल्य पर खरीदी और दो साल के बकाया धान बोनस की राशि 3716 करोड़ रूपए का भुगतान करना और किसानों से बीते खरीफ विपणन वर्ष में 144.92 लाख मेट्रिक टन धान की खरीदी कर एक नया रिकार्ड कायम करना सिर्फ़ चुनावी वादा नही था आज जब उन बातों को अमल में लाया गया तो साल भर के भीतर ही राज्य के किसानों की तक़दीर बदलने लगी है..।समर्थन मूल्य पर सर्वाधिक किसानों से धान खरीदने वाला और धान का सर्वाधिक 3100 रूपए प्रति क्विंटल के मान से मूल्य देने वाला छत्तीसगढ़, देश का प्रथम राज्य बना हुआ है.
धान फसल के क्षेत्राच्छादन में छत्तीसगढ़ राज्य देश में चौंथे स्थान पर, धान फसल के कुल उत्पादन में छत्तीसगढ़ राज्य देश में 7वें स्थान पर और धान फसल के प्रति हेक्टेयर उत्पादकता में छत्तीसगढ़ राज्य देश में 11वें स्थान पर है.. छत्तीसगढ़ का धान ख़रीद मॉडल देश के अन्य राज्यों को भी प्रभावित कर रहा है…पड़ोसी राज्य ओड़िशा भी कुछ ऐसा ही करने जा रही है.. ओड़िशा भी किसानों से समर्थन मूल्य के अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि देने की योजना बना रही है.. छत्तीसगढ़ के पीडीएस सिस्टम का भी अध्ययन किया जा रहा है..अध्ययन दल ने छत्तीसगढ़ का दौरा किया और यहाँ पीडीएस सिस्टम और धान ख़रीदी का तरीक़ा देखा..छत्तीसगढ़ के कृषि उपज मंडियों, अनाज भंडारण के लिए बनाए गए गोदामों और शासकीय उचित मूल्य की दुकानो में जाकर कर्मचारियों और हितग्राहियों से बातचीत कर राज्य की व्यवस्था को समझने का प्रयास किया..छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की सरकार ने किसानों को समर्थन मूल्य के रूप में 32 हजार करोड़ रूपए का भुगतान और किसान समृद्धि योजना के माध्यम से मूल्य की अंतर की राशि 13,320 करोड़ का भुगतान करके ये साबित किया है कि छत्तीसगढ़ की खुशहाली और अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने का रास्ता खेती-किसानी से ही निकलने वाला है और उसके लिए जो भी आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए वो सभी उठाए जा रहे हैं.
ये भी क्या कम है कि मात्र एक साल में छत्तीसगढ़ सेंट्रल पूल में धान के योगदानकर्ता राज्य के रूप में पूरे देश में दूसरे स्थान पर है… खरीफ विपणन वर्ष 2023-24 में सर्वाधिक 24.75 लाख किसानों से समर्थन मूल्य पर धान खरीदने वाला छत्तीसगढ़, देश में प्रथम स्थान पर रहा है.. विपणन वर्ष 2023-24 में राज्य सरकार ने मोदी जी की गारंटी को पूरा करते हुए किसानों से 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से और 21 क्विंटल प्रति एकड़ के मान से धान की खरीदी की और चालू खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में राज्य के किसानों से प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान की खरीदी की जा रही है.. मुख्यमंत्री साय ने जशपुर जिले के फरसाबहार ब्लॉक में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि “इस साल राज्य में किसानों ने 147 लाख मीट्रिक टन धान की रिकॉर्ड बिक्री की है.. छत्तीसगढ़ के धान का कटोरा को भरने में 24 लाख से ज्यादा किसानों ने अपनी हिस्सेदारी की है..” किसानों को धान बेचने में किसी भी तरह की दिक्कत ना हो, इसके लिए सभी खरीदी केन्द्रों में बेहतर और पर्याप्त इंतजाम किए गये.. धान उपार्जन केन्द्रों एवं सोसायटियों द्वारा नवीन निर्धारित मात्रा के अनुरूप धान खरीदी के लिए किसानों को टोकन जारी की गई.. राज्य में इस साल 160 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी अनुमानित है.. समर्थन मूल्य पर धान उपार्जन के एवज में राज्य के किसानों को लगभग 40 हजार करोड़ रूपये का भुगतान किया गया.
आदिवासी क्षेत्रों में आय के अवसरों को बढ़ाने और पौष्टिक भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए छत्तीसगढ़ राज्य में विष्णुदेव साय सरकार बहुत सी समावेशी ग्रामीण और त्वरित कृषि विकास परियोजनाएँ चला रही है, जिसका भी लाभ सीधे-सीधे राज्य के किसानों को मिल रहा है.. समर्थन मूल्य पर धान खरीदी और कृषकों के कल्याण के लिए चलाई जा रही बहुत सी योजनाओं से किसानों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हो रही है.. राज्य का युवा भी खेतों की ओर मुड़ने लगा है… छत्तीसगढ़ सरकार 14 नवंबर 2024 से धान खरीदी शुरू कर चुकी है सरकार के इस कदम से शहरों में पलायन कर चुके किसान फिर से खेती किसानी की ओर वापस लौटने लगे हैं.
पूर्व प्रधानमंत्री, भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती 25 दिसम्बर सुशासन दिवस के अवसर पर 25 दिसंबर 2023 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की किसानों को धान बोनस दिए जाने गारंटी को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मुख्य आतिथ्य में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा रायपुर जिले के अभनपुर विकासखण्ड के ग्राम बेन्द्री में आयोजित समारोह में राज्य के 12 लाख किसानों को दो साल के धान की बकाया बोनस राशि 3716 करोड़ 38 लाख 96 हजार रुपये का वितरण किया गया..वर्ष 2015 व 2015-16 में बेचे गए कुल धान पर बोनस का भुगतान किया गया.. उस वर्ष प्रति एकड़ अधिकतम धान खरीदी की सीमा 14.80 क्विंटल थी। इस हिसाब से प्रति एकड़ 4,440 रुपये का फायदा किसानों को पहुंचा..दो साल में प्रति एकड़ बोनस की राशि 8,880 रुपये हुई.. धान ख़रीदी के विषय में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा था कि “हम पूर्व प्रधानमंत्री, भारत रत्न स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती को सुशासन दिवस के रूप में मना रहे हैं। 25 दिसम्बर 2023 को राज्य के किसान भाईयों को 2 साल के धान की बकाया बोनस राशि 3716 करोड़ 38 लाख 96 हजार रूपए का भुगतान करेंगे। ऐसे किसान जो पूर्व निर्धारित मात्रा के अनुसार सोसायटियों में अपना धान बेच चुके हैं, उन्हें नवीन निर्धारित मात्रा के अंतर का धान विक्रय करने की सुविधा भी दी गई है.
केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा के हाथों छत्तीसगढ़ के किसानों को एमएसपी पर बोनस की राशि का भुगतान कराया गया.. राज्य के हर जिले में बोनस वितरण कार्यक्रम आयोजित किए गए.. इस दौरान सरकार को धान बेचने वाले 24 लाख से ज्यादा किसानों के बैंक खाते में बोनस का पैसा एकमुश्त भेजा गया..राज्य के किसान भी इस बात को भली-भाँति समझ चुके हैं कि ऐसे फ़ैसले वही राज्य सरकार लेती है जो हृदय से किसानों का हित चाहती हो..मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अगुवाई में छत्तीसगढ़ सरकार ने एक साल में ही किसानों के हित में जो फैसले लिए हैं उससे किसान की माली हालत में ख़ासा सुधार हुआ है..खेती-किसानी ही छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार है इसलिए समझी सी बात है कृषि के क्षेत्र में सम्पन्नता से ही छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था में सुदृढ़ता आएगी.. छत्तीसगढ़ में विकसित कृषि से ही विकसित राज्य बनाने का सपना साकार होगा.. यही वजह है कि छत्तीेसगढ़ सरकार ने इस साल कृषि के बजट में 33 प्रतिशत की वृद्धि करते हुए 3 हजार 435 करोड़ रूपए का प्रावधान किया है.. न सिर्फ़ छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था का मूल आधार कृषि है बल्कि देश की जीडीपी में भी कृषि का बड़ा योगदान है.
राज्य में लगभग 80 प्रतिशत किसान छोटे और सीमांत श्रेणी के हैं.. इन किसानों की मदद करने के लिए विभिन्न योजना और सब्सिडी की व्यवस्था की गई है.. राज्य सरकार ऐसे किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर 5 लाख रूपए तक अल्पकालीन कृषि ऋण उपलब्ध करा रही है..फसल ऋण में नगद और वस्तु का अनुपात 60 अनुपात 40 है.. सहकारी एवं ग्रामीण बैंकों से ब्याज मुक्त कृषि ऋण उपलब्ध कराने के लिए खरीफ वर्ष 2024 में 15.21 लाख किसानों को 6912 करोड़ रूपए का अल्पकालीन कृषि ऋण शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर वितरित किया गया.. दीनदयाल उपाध्याय भूमिहीन कृषि मजदूर योजना के तहत भूमिहीन परिवारों को हर साल 10 हजार रूपये की आर्थिक सहायता देने के लिए बजट में 500 करोड़ रुपए प्रावधानित है.
किसानों को उनकी उपज का अधिकतम मूल्य दिया जा सके इसके लिए छत्तीसगढ़ की विष्णु देव साय सरकार ने छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी अधिनियम में भी संशोधन करने का निर्णय ले चुकी है.. इस अधिनियम में संशोधन होने से अन्य प्रदेश के मंडी बोर्ड या समिति के एकल पंजीयन या अनुज्ञप्तिधारी, व्यापारी और प्रसंस्करणकर्ता भारत सरकार द्वारा संचालित ई-नाम पोर्टल (राष्ट्रीय कृषि बाजार) के माध्यम से अधिसूचित कृषि उपज की खरीदी-बिक्री बिना पंजीयन के कर सकेंगे.. इसका लाभ राज्य के किसानो को ये होगा क़ि छत्तीसगढ़ राज्य के किसानों और विक्रेताओं को उत्पाद का अधिकतम मूल्य मिल पाएगा.
धान का मूल्य ही नही किसी भी फसल के उत्पादन में जिन संसाधनों की आवश्यकता होती है छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार ने अपने शुरुआती एक साल में उसे भी सम्भाल लिया है.. राज्य के किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री सिंचाई योजना, सौर सुजला योेजना के माध्यम से सिंचित रकबे में बढ़ोत्तरी का प्रयास भरपूर किया जा रहा है…. नवीन सिंचाई योजना के लिए 300 करोड़ रूपए, लघु सिंचाई की चालू परियोजनाओं के लिए 692 करोड़ रूपए, नाबार्ड पोषित सिंचाई परियोजनाओं के लिए 433 करोड़ रूपए, एनीकट और स्टाप डेम निर्माण के लिए 262 करोड़ रूपए के बजट का प्रावधान छत्तीसगढ़ सरकार ने किया है.. छत्तीसगढ़ राज्य में खरीफ फसलों का सामान्य क्षेत्र 48.08 लाख हेक्टेयर तथा रबी फसलों का क्षेत्र 18.06 लाख हेक्टेयर है.. राज्य सरकार के प्रयासों का फल एक ही साल में दिखाई भी देने लगा है.
वर्तमान में प्रदेश में विभिन्न सिंचाई स्रोतों से खरीफ मौसम में 16.04 लाख हेक्टेयर के लिये सिंचाई सुविधा उपलब्ध है, जो कुल फसली क्षेत्र का 35 प्रतिशत है.. राज्य में कुल 40.11 लाख कृषक परिवार है, जिसमें से 80 प्रतिशत लघु एवं सीमांत श्रेणी के हैं.. प्रदेश में 33 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति एवं 12 प्रतिशत अनुसूचित जाति के कृषक परिवार हैं.. खरीफ उत्पादन में वर्ष 2022-23 की तुलना में वर्ष 2023-24 में कुल अनाज में 3 प्रतिशत, दलहन में 9 प्रतिशत एवं तिलहन में एक प्रतिशत की वृद्धि हुई है.. छत्तीसगढ़ के भूमिहीन किसानों और मजदूरों की स्थिति में सुधार के सारे उपक्रम किए जा रहे हैं. कृषि और उससे सम्बंधित सहायक गतिविधियां के लिए भी समन्वित प्रयास किए जा रहे हैं.. छत्तीसगढ़ की कृषि में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों की निर्भरता कम करने के भी तमाम उपाय किए जा रहे हैं. इसके लिए पारंपरिक और स्थायी कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देने के कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं.. राज्य के दंतेवाड़ा जिले को पूरी तरह जैविक जिला घोषित किया जा चुका है.. दंतेवाड़ा जिले में रासायनिक खाद और कीटनाशकों का प्रचार-प्रसार और विक्रय पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है.. वृहद क्षेत्र प्रमाणीकरण के अंतर्गत दंतेवाड़ा जिले के 110 गाँवों के 10264 किसानों के 65279 हेक्टेयर भूमि का जैविक प्रमाणीकरण किया जा चुका है और ये क्षेत्र देश का सबसे बड़ा जैविक क्षेत्र बन गया है.
धान का कटोरा छत्तीसगढ़ में सिर्फ़ धान पर निर्भरता को कम करने के प्रयास भी किए जा रहे हैं.. बागवानी फसलों, दलहन, तिलहन जैसी फसलों का रकबा बढ़ाने के उपाय किए जा रहे हैं.. इससे किसानों की आय भी बढ़ेगी और मोनो क्रापिंग से भूमि की उर्वरता में कमी का जोखिम भी कम होगा..साय सरकार के किसान हितैषी नीतियों के असर है कि छत्तीसगढ़ के सभी इलाके के किसान अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं,जिससे उनका परिवार तेजी से विकास पथ पर अग्रसर हो रहा है.