नई दिल्ली। विधि आयोग ऐसी सिफारिश कर सकता है कि अगर विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया तो तोड़-फोड़ करने वाले प्रदर्शनकारियों को नुकसान का पूरा हर्जाना भरने के बाद ही जमानत मिल सकेगी। विधि आयोग सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण कानून में संशोधन के लिए सिफारिश का प्रस्ताव दे सकता है।
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सिफारिश में कहा गया है कि अगर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले से हर्जाना वसूला जाएगा तो इससे लोग प्रदर्शन के दौरान तोड़फोड़ नहीं करेंगे। साल 2015 में भी सरकार ने कानून में संशोधन का प्रस्ताव दिया था, लेकिन उस वक्त विधेयक नहीं लाया गया था। विधि आयोग आपराधिक मानहानि कानून का भी अध्ययन कर रहा है, लेकिन फिलहाल इसमें संशोधन के कोई सिफारिश नहीं की गई है। संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ देश के कई राज्यों में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए थे, जिनमें बड़े पैमाने पर सार्वजनिक संपत्तियों को निशाना बनाया गया था। साल 2007 में सुप्रीम कोर्ट ने भी विरोध प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति के बढ़ते नुकसान की घटनाओं पर स्वतः संज्ञान लेकर सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण कानून को कड़ा बनाने के निर्देश दिए थे।
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इस कानून के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है तो उसे पांच साल तक की जेल की सजा या जुर्माने या फिर दोनों हो सकते हैं। सार्वजनिक संपत्ति में ऐसे भवनों और संपत्ति को शामिल किया जाता है, जिनका उपयोग जल, प्रकाश, ऊर्जा उत्पादन या वितरण में किया जाता है। साथ ही तेल प्रतिष्ठान, सीवरेज, कारखाना या फिर लोक परिवहन या दूरसंचार के साधनों को भी सार्वजनिक संपत्ति में शामिल किया जाता है। सार्वजनिक संपत्ति में आग लगाने या फिर विस्फोट से तबाह करने पर दस साल जेल की सजा का प्रावधान है। विधि आयोग सरकार द्वारा गठित एक कार्यकारी निकाय है। देश में कानूनी सुधार के लिए विधि आयोग काम करता है। देश में विधि आयोग का गठन एक निर्धारित अवधि के लिए किया जाता है और यह विधि और न्याय मंत्रालय के लिए परामर्शदाता निकाय के रूप में काम करता है। विधि आयोग के सदस्य कानूनी विशेषज्ञ होते हैं।
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