सट्टा मटका भारत में खोला जानेवाला एक मशहूर जुए का खेल है. दरअसल यह एक तरह का जुआ होता है. बता दें कि भारत में हर तरह का जुआ गैरकानूनी है. इसके बावजूद सट्टा मटका हमारे देश के कई हिस्सों में धड़ल्ले से खेला जाता है. सट्टा मटका के खेल में जीत किस्मत पर निर्भर करती है. इसमें जोखिम ज्यादा होता है, लेकिन इसमें जीतने वाले को अच्छी रकम मिलती है. यही वजह है कि लोग इसकी ओर आकर्षित हो ही जाते हैं. आज हम आपको मटका किंग के मर्डर की पूरी स्टोरी बता रहे हैं.
कहानी शुरू होती है 50 के दशक में जब गुजरात से मुंबई आए कल्याण भगत ने न्यूयॉर्क और बॉम्बे कॉटन मार्केट के खुलने और बंद होने पर बेटिंग का धंधा शुरू किया. उनके लिए कॉटन के दाम का अनुमान लगाना आसान था. यहीं से शुरू हुआ असली मटके का खेल.
भगत कल्याण ने मुंबई में जब इस मटका बेटिंग को स्टार्ट किया था तब उनका शुरुआती धंधा रतन खत्री ही मैनेज किया करते थे. बाद में दोनों के रास्ते अलग हो गए. कल्याण भगत की मौत के बाद उनका यह साम्राज्य उनके बेटे सुरेश भगत ने संभाला, लेकिन सुरेश भगत की हत्या इस साम्राज्य के लालच में उनके अपनों ने ही कर दी. मटके का बिजनेस हड़पने के लिए सुरेश भगत की हत्या उनकी पत्नी और बेटे ने ही करवाई.
मटका किंग के मर्डर की कहानी
पुलिस के मुताबिक, सुरेश की पत्नी जया भगत ने अरूण गवली गैंग के आदमी के साथ मिलकर मर्डर की पूरी प्लानिंग की. 2008 में एक ट्रक वाले को हत्या की सुपारी दी गई. जया भगत इसे एक एक्सीडेंट का रूप देना चाहती थी पर सच पुलिस के हाथ लग गया. दरअसल सुरेश भगत इस खतरे को पहले ही भांप चुके थे. उन्होंने मुंबई क्राइम ब्रांच आर हाई कोर्ट को इस बारे में पहले ही बता दिया था कि उन्हें अपने करीबियों से जान का खतरा है.
सुरेश भगत और पांच अन्य की अलीबाग मार्ग पर 13 जून 2008 को एक साजिश के तहत हत्या की गई थी. वारदात को अंजाम देने के लिए भगत की स्कॉर्पियो गाड़ी एक ट्रक से टकरा दी गई. जांच में पुलिस को पता चला कि उसकी पत्नी एवं अन्य लोगों ने जानबूझकर एक्सीडेंट करवाया. पुलिस ने इसके बाद सुरेश भगत की पत्नी जया भगत, बेटे हितेश भगत और सुहास रोगे समेत आठ लोगों को गिरफ्तार कर लिया.