हर साल राष्ट्रीय डेंगू दिवस 16 मई को देश में मनाया जाता है। सरकार डेंगू से निपटने के लिए तरह-तरह के इंतजाम करती है, लेकिन हर साल डेंगू के मरीज दोगुनी रफ्तार से बढ़ रहे है। कानपुर की बात करे तो 2020 में शहर में 292 मरीज मिले थे। वहीं, अगर 2023 की बात करें तो 1482 मरीज डेंगू की चपेट में आए थे।
सही समय पर इलाज जरूरी
जिला अस्पताल उर्सला के चिकित्सक एमडी मेडिसिन डॉ. गौतम जैन ने बतया कि डेंगू जिस तरह से पैर पसार रहा है, यह गंभीर समस्या है। मच्छरों के माध्यम से यह संक्रमण फैलता है। इस रोग के लक्षणों में बुखार, जोड़ों में दर्द, चक्कर आना, उल्टी आदि की समस्याएं होने लगती हैं।
गंभीर मामलों में डेंगू से मौत भी हो जाती है। इसके लक्षणों को पहचान कर अगर शीघ्र इलाज करा लिया जाए तो सामान्यतया न तो अस्पताल में भर्ती कराने की आवश्यकता पड़ती है और नही प्लेटलेट्स चढ़ाने की। इसके इलाज में दवा के साथ साथ घर में उपलब्ध तरल खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
एडीज प्रजाति के मच्छरों से होता है प्रसार
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी व नोडल अधिकारी डॉ. आरपी मिश्रा ने बताया कि डेंगू मरीज की पहचान न होने और समय से इलाज न होने पर खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। लोगों को चाहिए कि अगर डेंगू का लक्षण दिख रहे है तो तुरंत सरकारी अस्पताल में जाकर निःशुल्क जांच कराएं और इलाज शुरू कर दें।
इस तरह से करे बचाव
डेंगू मच्छर से बचने के लिए पूरे बाजू के कपड़े पहने, मच्छर अगरबत्ती व मच्छरदानी का प्रयोग करें, कहीं भी पानी का ठहराव न होने देने। जहां पानी का ठहराव हो वहां पर मिट्टी का तेल या जला हुआ मोबिलऑयल डाल दें तो इससे संक्रमण का खतरा कम हो जाएगा।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय डेंगू दिवस पर गुरुवार को सभी ब्लॉक क्षेत्रों में जागरूकता संबंधी गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा।
“समुदाय से जुड़ें, डेंगू को नियंत्रित करें” रहेगी थीम
उन्होंने बताया कि मानसून की शुरुआत से पहले ही निवारक उपायों को तैयार करने के लिए वर्ष 2016 से हर साल 16 मई को ‘राष्ट्रीय डेंगू दिवस’ मनाया जाता है। इस वर्ष राष्ट्रीय डेंगू दिवस पर “समुदाय से जुड़ें, डेंगू को नियंत्रित करें” थीम है।
जिले में डेंगू की स्थिति
वर्ष 2020 में 292 केस मिले थे। इसके बाद 2021 में 687, 2022 में 896 व 2023 में 1482 केस सामने आए थे।