देवउठनी एकादशी का पर्व 23 नवंबर को भक्ति भाव के साथ मनाया जाएगा। शहर में सभी मंदिरों में विशेष पूजन अर्चन के साथ अनेक अनुष्ठान होंगे। वहीं चार माह से रुके हुए मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे।तुलसी माता की पूजा करने से भगवान विष्णु शीघ्र प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा से साधक को जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।
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ब्रह्म मुहूर्त – 05 बजकर 03 मिनट से 05 बजकर 57 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 01 बजकर 53 मिनट से 02 बजकर 36 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 05 बजकर 22 मिनट से 05 बजकर 49 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 11 बजकर 41 मिनट से 04 बजकर 01 मिनट तक
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अशुभ समय
राहुकाल – सुबह 10 बजकर 48 मिनट से 12 बजकर 08 मिनट तक
गुलिक काल – सुबह 08 बजकर 10 मिनट से 09 बजकर 29 मिनट तक
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दिशा शूल – पश्चिम
तुलसी विवाह पूजन विधि : देव उठनी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि करें और व्रत का संकल्प लें. इसके बाद भगवान विष्णु की आराधना करें. एक चौकी पर तुलसी का पौधा और दूसरी चौकी पर शालिग्राम को स्थापित करें. इसके बाद बगल में एक जल भरा कलश रखें, और उसके ऊपर आम के पांच पत्ते रखें. तुलसी के गमले में गेरू लगाएं और घी का दीपक जलाएं. फिर तुलसी और शालिग्राम पर गंगाजल का छिड़काव करें और रोली, चंदन का टीका लगाएं. तुलसी के गमले में ही गन्ने से मंडप बनाएं. अब तुलसी को लाल चुनरी सिर में डालें. गमले को साड़ी लपेट कर उनका दुल्हन की तरह श्रृंगार करें. इसके बाद शालिग्राम को चौकी समेत हाथ में लेकर तुलसी की सात बार परिक्रमा की जाती है. इसके बाद आरती करें. तुलसी विवाह संपन्न होने के बाद सभी लोगों को प्रसाद बांटे.
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